लोकसभा ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक को दी मंजूरी

By भाषा | Published: December 11, 2019 08:12 PM2019-12-11T20:12:39+5:302019-12-11T20:13:20+5:30

वित्त मंत्री ने कहा कि कहा जा रहा है कि गुजरात के गांधीनगर में विशेष रूप से वित्तीय उद्देश्य वाले विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की स्थापना को 2015 में मंजूरी दी गयी जो गलत तथ्य है। उन्होंने कहा कि इसके लिए 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के आवेदन पर तत्कालीन संप्रग सरकार ने मंजूरी दी थी।

Lok Sabha approves International Financial Services Center (IFSC) Authority Bill | लोकसभा ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक को दी मंजूरी

लोकसभा ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक को दी मंजूरी

Highlightsलोकसभा ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक 2019 को मंजूरी दी 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री ने बजट भाषण में केवल इस परियोजना के प्रथम चरण के पूरा होने की घोषणा की थी।

 लोकसभा ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) प्राधिकरण विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी जिसमें भारत में ऐसे केंद्रों में वित्तीय सेवा बाजार विकसित और विनियमित करने के लिए एक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह केंद्र सर्वश्रेष्ठ वैश्विक मानकों का पालन करेगा और इस पर देश के सभी कानून लागू होंगे। उन्होंने इस केंद्र से कर चोरी होने की कुछ सदस्यों की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि यहां केवल 10 वर्ष के लिए टैक्स हॉलीडे की सुविधा होगी और पीएमएलए कानून के प्रावधान इस पर लागू होंगे।

सीतारमण ने विपक्ष के सदस्यों के इस दावे को खारिज कर दिया कि केवल गुजरात के गांधीनगर के संदर्भ में यह विधेयक लाया गया है और देश में मुंबई समेत कहीं और आईएफएससी की स्थापना के लिए अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कि ये अन्य स्थानों में भी स्थापित किये जा सकते हैं ।

वित्त मंत्री ने कहा कि कहा जा रहा है कि गुजरात के गांधीनगर में विशेष रूप से वित्तीय उद्देश्य वाले विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की स्थापना को 2015 में मंजूरी दी गयी जो गलत तथ्य है। उन्होंने कहा कि इसके लिए 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के आवेदन पर तत्कालीन संप्रग सरकार ने मंजूरी दी थी।

उन्होंने कहा कि 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री ने बजट भाषण में केवल इस परियोजना के प्रथम चरण के पूरा होने की घोषणा की थी। सीतारमण ने कहा कि हमें इस दिशा में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार पहल करने के लिए नरेंद्र मोदी की प्रशंसा जरूर करनी चाहिए। उन्होंने साफ किया कि अन्य राज्य भी आईएफएससी के लिए आवेदन कर सकते हैं और इसकी स्थापना की अनुमति वाणिज्य मंत्रालय को देनी होती है। वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी केवल वित्तीय लेनदेन का नियमन करना है। उन्होंने कहा कि किसी राज्य को रोका नहीं जा रहा।

राज्य आवेदन कर सकते हैं, निवेश कर सकते हैं। आईएफएससी के लिये कोई सीमा नहीं है । मुंबई में बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स में आईएफएससी की अनुमति नहीं दिये जाने के राकांपा सदस्य सुप्रिया सुले के बयान पर सीतारमण ने कहा कि 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली ने संसद में एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि पहले गांधीनगर स्थित आईएफएससी का पूरा उपयोग करना होगा, फिर आगे सोचा जा सकता है। ज्यादा आईएफएससी बनाएंगे तो पहले का उपयोग नहीं कर पाएंगे।

वित्त मंत्री ने कांग्रेस के कार्ति चिदंबरम की ‘ड्राई स्टेट’ संबंधी टिप्पणी पर जवाब देते हुए कहा कि सदस्य को इस विषय को हल्के में नहीं लेना चाहिए और यह गंभीर विषय है। कार्ति ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा था विधेयक को केवल एक राज्य गुजरात के संदर्भ में लाया गया है जहां गुजरात अंतरराष्ट्रीय वित्तीय टेक (गिफ्ट) सिटी है।

उन्होंने कहा कि कारोबार को बढ़ाने के लिए वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करना जरूरी होता है। गुजरात में गिफ्ट सिटी है, लेकिन ऐसे राज्य में वैश्विक प्रतिभा आना नहीं पसंद करेगी जो राज्य ‘ड्राई सिटी’ के रूप में जाना जाता है। बहरहाल, वित्त मंत्री ने जीडीपी की दर कम होने के संदर्भ में कहा कि वह इस तरह की चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं कर रहीं, लेकिन इससे आईएफएससी की स्थापना में अवरोध नहीं आएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार आईएलएफएस पर आए संकट के समाधान की दिशा में काम कर रही है। सरकार द्वारा नियुक्त बोर्ड इस दिशा में प्रयासरत है और जल्द हल निकलने की उम्मीद है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विपक्षी सदस्यों के कुछ संशोधनों को नामंजूर करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

इससे पहले विधेयक को चर्चा एवं पारित किये जाने के लिये रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक की लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी और अब सरकार विचार-विमर्श के बाद इसे लाई है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का मकसद भारत को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि भारत में काफी मात्रा में वित्तीय सेवाएं और इनसे जुड़े विषय आते हैं और लंदन और सिंगापुर की तर्ज पर ऐसा वित्तीय केंद्र भारत को सशक्त बनायेगा। 

Web Title: Lok Sabha approves International Financial Services Center (IFSC) Authority Bill

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