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लोकसभा 2019ः BJP-कांग्रेस के हारे दिग्गज नेताओं को सत्ता में भागीदारी मिलेगी, संगठन की जिम्मेदारी मिलेगी या लोकसभा की टिकट?

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: January 2, 2019 08:00 IST

कांग्रेस ने इस बार सभी बड़े नेताओं को चुनाव में उतारा था. राजे मंत्रिमंडल में नंबर दो रहे पूर्व गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया के खिलाफ पूर्व केन्द्रीय मंत्री गिरिजा व्यास को चुनाव लड़वाया गया था, लेकिन वे चुनाव हार गई.

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राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दलों में ऐसे बड़े नेता हैं, जो पार्टी की जरूरत के लिए चुनाव लड़े और जो चुनाव हार गए. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसे नेताओं को सत्ता और संगठन में महत्वपूर्ण जगह मिल सकती है. सियासी उत्सुकता इस बात को लेकर है कि ऐसे नेताओं को सत्ता में भागीदारी मिलेगी, संगठन में जिम्मेदारी मिलेगी या लोकसभा चुनाव की टिकट?

राजस्थान विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे, जो तब मुख्यमंत्री थीं, के खिलाफ कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले मानवेंद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के खिलाफ भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले युनूस खान, दोनों को पार्टी ने अपनी जरूरत के लिए चुनावी मैदान में उतारा था. दोनों ही जानते थे कि कोई चमत्कार ही उन्हें जीत दिला सकता है, चमत्कार तो हुआ नहीं और दोनों चुनाव हार गए. 

अब माना जा रहा है कि इस हार में भी इन दोनों की जीत है. इसलिए इन्हें सत्ता या संगठन में सम्मानजनक जगह जरूर मिलेगी. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए मानवेन्द्र सिंह को सत्ता में जगह मिल सकती है तो उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने का अवसर दे कर भी सम्मान दिया जा सकता है.

मानवेंद्र सिंह और युनूस खान, दोनों की इनके दलों को इसलिए भी जरूरत है कि वे अपने-अपने समाज के प्रतिनिधि चेहरे हैं, क्योंकि जहां राजपूत भाजपा के ज्यादा करीब रहे हैं, वहीं मुस्लिम कांग्रेस के साथ रहे हैं. 

यही वजह भी रही है कि मानवेंद्र सिंह को वसुंधरा राजे के सामने झालरापाटन सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया था, तो युनूस खान को सचिन पायलट के सामने टिकट दिया गया था. उल्लेखनीय है कि टोंक सीट पर मुस्लिम समाज का विशेष प्रभाव रहा है. 

कांग्रेस में आने से पहले मानवेंद्र सिंह पिछले विस चुनाव में पहली बार भाजपा की ओर से शिव विस से एमएलए बने थे. राजस्थान की पूर्व सीएम राजे से उनकी बनी नहीं, लिहाजा वे चुनाव से पहले कांग्रेस में आ गए, लेकिन विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. कांग्रेस पार्टी की इच्छा का सम्मान करते हुए उन्होंने राजे के खिलाफ चुनाव लड़ा.उधर, भाजपा ने एक भी मुस्लिम को विस चुनाव में टिकट नहीं दिया था, किन्तु सचिन पायलट के खिलाफ भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी पूर्व परिवहन मंत्री युनूस खान को टिकट दिया और चुनाव लड़वाया गया. उन्हें भाजपा संगठन में सम्मानजनक जिम्मेदारी दी जा सकती है.

कांग्रेस ने इस बार सभी बड़े नेताओं को चुनाव में उतारा था. राजे मंत्रिमंडल में नंबर दो रहे पूर्व गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया के खिलाफ पूर्व केन्द्रीय मंत्री गिरिजा व्यास को चुनाव लड़वाया गया था, लेकिन वे चुनाव हार गई. पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी विस चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन उन्हें भी चुनाव लड़ना पड़ा. वे चुनाव जीत गए, किन्तु उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. समझा जाता है कि इन दोनों नेताओं को भी सम्मानजनक जिम्मेदारी दी जाएगी.कांग्रेस और भाजपा में ऐसे और भी कई बड़े नेता है, जो इस बार विस चुनाव हार गए हैं. ऐसे नेताओं के समर्थकों को भरोसा है कि उन्हें लोकसभा चुनाव में अवसर मिल सकता है.

टॅग्स :लोकसभा चुनावराजस्‍थान चुनावमध्य प्रदेश चुनावकांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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