सामजिक कार्यकर्ता जाफर बाबा सैय्यद को कोरोना वायरस महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में गरीबों की मदद करने के लिए 'लोकमत महाराष्ट्रीयन ऑफ द ईयर अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया है.
कौन हैं जाफर बाबा सैय्यदआज जबकि जरूरतमंद इंसान को लूटने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जरूरतमंदों को खोजकर उनकी मदद में सबकुछ न्यौछावर कर देने वाली कोल्हापुर की बैतुलमाल समिति मानव सेवा में दुर्लभ उदाहरण पेश कर रही है. इस समिति ने जात-पात के भेद को परे रखकर कोरोना काल में इंसानियत को ही धर्म मानकर सबकी खूब सेवा की.
क्यों मिला पुरस्कारकोरोना काल में जबकि रिश्तेदार, अपने लोग ही दूर भाग रहे थे, बैतुलमाल ने सबको आसरा दिया. समिति की सोच साफ थी-तुम जमीनवालों पर रहम करो...आसमानवाला तुम पर रहम करेगा.
हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई की भावना को हकीकत बनाने वाले 40 कार्यकर्ताओं की फौज कोल्हापुर में काम कर रही है. कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही थी, अंतिम संस्कार तक के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था.
ऐसे में अस्पताल से शव का कब्जा लेकर धर्म, रीति-रिवाजों के मुताबिक विधिपूर्वक दहन, दफन तक सबकुछ किया. कोरोना काल में उन्होंने 676 शवों का अंतिम संस्कार किया. दहन व दफन विधि के वीडियो रिश्तेदारों से साझा करने, अस्थी पहुंचाने जैसे काम करके परिजनों की भावनाओं का भी उन्होंने पूरा-पूरा खयाल रखा.
लॉकडाउन के दौर में जरूरतमंदों के घर ताजा भोजन पहुंचाना, पांच महीने चल सके इतना राशन देकर लोगों की जान बचाई. वेंटिलेटर, बेड, सीपीआर व आईजीएम अस्पतालों को मुफ्त लाकर दिए. उनके इस सामाजिक कार्य के लिए जाफर सिराज सैय्यद उर्फ जाफरबाबा व उनकी टीम को लोकमत महाराष्ट्रीयन ऑफ द ईयर पुरस्कार देते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है.