लोकसभा में गूंजा आरक्षण मुद्दा, NDA की सहयोगी लोजपा भी विरोध में उतरी, कहा- केंद्र करे इस मामले में हस्तक्षेप
By रामदीप मिश्रा | Published: February 10, 2020 01:18 PM2020-02-10T13:18:15+5:302020-02-10T13:18:15+5:30
लोकसभा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विपक्ष की ओर से मचे हंगामें के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह 'संवेदनशील मामला' है जिस पर सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत सरकार का पक्ष रखेंगे।
लोकसभा में सोमवार (10 फरवरी) को कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने नियुक्तियों एवं पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर हंगामा किया है। इसके साथ-साथ शीर्ष अदालत के फैसले पर NDA की सहयोगी लोक जन शक्ति पार्टी (लोजपा) ने भी अपनी असहमति प्रकट की है।
लोजपा अध्यक्ष व सांसद चिराग पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोजपा सहमत नहीं है, जिसमें बताया गया है कि नौकरियों, पदोन्नति के लिए आरक्षण एक मौलिक अधिकार नहीं है। हम केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हैं।
बीते दिन भी लोजपा ने केंद्र सरकार से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अलावा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को दशकों से मिलते आ रहे आरक्षण के लाभों को इसी तरह से जारी रखने को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की अपील की थी। चिराग पासवान ने ट्वीट कर कहा था, 'लोजपा सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से सहमत नहीं है। पार्टी की मांग है कि केंद्र सरकार अभी तक की तरह ही नौकरी और पदोन्नति में आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कदम उठाए।'
LJP President and MP Chirag Paswan in Lok Sabha: Lok Jan Shakti Party does not agree with the Supreme Court's decision that reservations for jobs, promotions, is not a fundamental right. We urge the Centre to intervene in this matter. pic.twitter.com/pmgemI9TXd
— ANI (@ANI) February 10, 2020
इधर, लोकसभा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विपक्ष की ओर से मचे हंगामें के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह 'संवेदनशील मामला' है जिस पर सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत सरकार का पक्ष रखेंगे। सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी के अन्य सदस्य इस मुद्दे को उठाने को कोशिश की।
कांग्रेस सदस्यों ने संविधान खतरे में होने की टिप्प्णी भी की। द्रमुक, माकपा और बसपा के सदस्यों ने भी अपने स्थान पर खड़े होकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखने का प्रयास किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया, लेकिन विपक्षी सदस्यों का शोर-शराबा जारी रहा। इस पर बिरला ने कहा कि सदस्य इस विषय को शून्यकाल में उठाएं क्योंकि सदन ने ही प्रश्नकाल को सुचारू रूप से चलने देने की व्यवस्था तय की है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि पदोन्न्ति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है।