अन्नदाता की बात सुनें और कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करें : गहलोत

By भाषा | Published: November 29, 2020 09:22 PM2020-11-29T21:22:53+5:302020-11-29T21:22:53+5:30

Listen to Annadata and reconsider agricultural laws: Gehlot | अन्नदाता की बात सुनें और कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करें : गहलोत

अन्नदाता की बात सुनें और कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करें : गहलोत

जयपुर, 29 नवम्बर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये तीनों नये कृषि कानूनों, राज्य सरकार द्वारा उनमें किये गये संशोधनों और किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।

गहलोत ने अपने पत्र में किसान आंदोलन पर प्रधानमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया है। मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि 26 नवंबर को देश जब संविधान दिवस मना रहा था तभी देश के अन्नदाताओं पर लाठियां चलाई जा रही थीं और पानी की बौछारें की जा रही थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘किसान अपनी मांगों को रखने दिल्ली नहीं पहुंच सकें इसके लिये सड़कों को खोदा गया और अवरोधक भी लगाये गये। केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध प्रदर्शन के हक को छीनने की कोशिश की जो न्यायोचित नहीं है। किसानों ने अपने खून पसीने से देश की धरती को सींचा है। केंद्र सरकार को उनकी मांगों को सुनकर तुरंत समाधान करना चाहिए।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुश्किल दौर में भी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दे रहे अन्नदाता को इस तरह का प्रतिफल नहीं देना चाहिये। मुख्यमंत्री ने मांग की है कि किसानों के हित और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिये प्रधानमंत्री मोदी इन कानूनों पर पुनर्विचार करें।

गहलोत ने पत्र में लिखा है कि केंद्र सरकार द्वारा इन तीनों विधेयकों को किसानों और विशेषज्ञों से चर्चा किये बिना ही लाया गया। उन्होंने कहा कि संसद में विपक्षी पार्टियों द्वारा इन विधेयकों को प्रवर समिति को भेजने की मांग को भी सरकार ने नजरअंदाज किया।

उन्होंने कहा, ‘‘इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है, जिसके कारण किसानों में अविश्वास पैदा हुआ है। इन कानूनों के लागू होने से किसान सिर्फ निजी कंपनियों पर निर्भर हो जायेगा। साथ ही, निजी मंडियों के बनने से दीर्घकाल से चली आ रहीं कृषि मंडियों का अस्तित्व भी खत्म हो जायेगा। इसके कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा।’’

मुख्यमंत्री ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार ने इन संशोधनों में किसानों के हित को सर्वोपरि रखा है और कृषि विपणन व्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान ने संविदा खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान किया है और किसी विवाद की स्थिति में पूर्ववत मंडी समितियों और सिविल न्यायालयों के पास सुनवाई का अधिकार होगा, जो किसानों के लिये सुविधाजनक है।

उन्होंने कहा कि मंडी प्रांगणों के बाहर होने वाली खरीद में भी व्यापारियों से मंडी शुल्क लिया जायेगा। संविदा खेती की शर्तो का उल्लंघन या किसानों को प्रताड़ित करने पर व्यापारियों और कंपनियों पर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना और सात साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के अतिरिक्त दीवानी प्रक्रिया संहिता, 1908 में संशोधन किया गया है, जिससे पांच एकड़ तक की भूमि वाले किसानों को कर्ज ना चुका पाने पर कुर्की से मुक्त रखा गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Listen to Annadata and reconsider agricultural laws: Gehlot

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे