शराबमुक्त बिहार बनाने की नीतीश कुमार की घोषणा हवा में! ग्रामीण इलाकों में धड़ल्ले से जारी है शराब का धंधा
By एस पी सिन्हा | Published: December 16, 2022 04:27 PM2022-12-16T16:27:10+5:302022-12-16T16:43:23+5:30
बिहार में कहने को शराबबंदी है लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि कई जिलों में घड़ल्ले से इसकी बिक्री हो रही है। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा भी शामिल है।
पटना: बिहार में हुई जहरीली शराब से मौत के बाद भले ही हंगामा मचा हुआ है, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह है कि शराबमुक्त बिहार की घोषणा के वर्षों बाद आज भी दर्जनों गांवों में शराब चुलाने व बेचने का कारोबार निरंतर चल रहा है। मौत (जहरीली दारू) का यह कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है।
राज्य के ज्यादातर गांवों में शराब उपलब्ध है। कई गांवों में तो शाम ढलते ही शराबियों का जमघट लगने लगता है। इस तरह की मौतों के बाद भी लोग या प्रशासन सबक नहीं ले रहा। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बस कुछ दिन हाय तौबा और फिर से वही पुरानी चाल चलन...
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के अधिकतर गांवों-बाजार में शाम ढलते ही शराब का खेल दिखने लगता है। प्रशासनिक लापरवाही के कारण अब खुलेआम शराब की बिकता है। मुख्यमंत्री के कड़े तेवर देखकर कभी-कभी पुलिस महकमा में खलबली मच जाती है। लेकिन, कुछ ही दिनों में फिर से वही रवैया शुरू हो जाता है।
उसी तरह भोजपुर जिले के सहार, नारायणपुर सहित लगभग सभी थाना इलाकों में शराब की बिक्री धड़ल्ले से होती है। गांव में तो सूर्य अस्त और शराबी मस्त दिखने लगते हैं। यह दो जिले मात्र उदाहरण हैं। राज्य के लगभग सभी जिलों का यही हाल है। इसतरह से शराब का कारोबार एक बार फिर से पांव (नेटवर्क) पसारने लगा है। कभी-कभी हो रही मौतों के बाद सरकार और अधिकारी बेचैन होते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद वगी ढर्रा।
पुलिस की मिलीभगत से खुलेआम शराब चुलाने व बेचने का कारोबार चल रहा है। कई गांव के ग्रामीणों ने बताया कि सरकार चाहे जितना हवा बांध ले, जब तक सख्त कानून व पुलिस की मंशा साफ नहीं होगी। तब तक पूर्ण शराबबंदी संभव ही नहीं है। शराबी व धंधेबाज जेल जाता है और बहुत कम समय में छूट जाता है। राज्य के अधिकतर गांवों मे छुपे रूप से शराब चुलया व बेचा जा रहा है। इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को भी है। बावजूद गंभीरता से नहीं लेती है। वर्तमान में पुलिस की निष्क्रियता के कारण कुछ लोग शराब धंधा को रोजगार समझ रखा है।
यही नही होम डिलेवरी का कारोबार भी चल रहा है। बाजारों में कई स्थानों पर अंग्रेजी शराब एवं झारखण्ड के पाउच की होम डिलेवरी हो रही है। नारायणपुर गांव की एक वृद्ध महिला ने बताया कि इस इलाके के कई गांव में दशकों से शराब चुलाया एवं बेचा जाता है। अबतक गांव की दर्जनों महिला व पुरुष जेल जा चुके हैं। लेकिन, कुछ लोगों ने शराब चुलाना बंद नहीं किया। इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को भी दी गई। फिर भी पुलिसिया कारवाई न होने से देखा देखी अन्य ने भी शराब चुलाना शुरु कर दिया। जबकि, शराब के कारण सबसे अधिक शर्मसार महिलाओं को ही होना पड़ता है।
कभी घर में महिलाएं मार खाती हैं, तो कभी बाहर में शराबियों की टीका टिप्पणी सुननी पड़ती है। गलियों में शराबियों की गाली गलौज तो आम बात है। लोगों की मानें तो गांवों ये धंधा बखूबी फल फूल रहा है।