हल्के युद्धक टैंक 'जोरावर' का परीक्षण साल के अंत तक, लद्दाख के ऊंचे पहाड़ों पर चीन को मिलेगा जवाब

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: May 19, 2023 06:15 PM2023-05-19T18:15:41+5:302023-05-19T18:17:45+5:30

फिलहाल भारत के टी-72 और टी-90 टैंक चीन से लगती ऊंची पहाड़ियों पर तैनात हैं। हालांकि इनको देपसांग के मैदानी इलाकों में चलाना तो आसान है लेकिन पहाड़ों पर तेजी से इनकी जगह बदलना मुश्किल। इसलिए हल्के टैंक की जरूरत महसूस की जा रही था जिसकी कमी जोरावर पूरी करेगा।

light tank Zorawar ready for trials in the high-altitude mountainous border with China by the end of this year | हल्के युद्धक टैंक 'जोरावर' का परीक्षण साल के अंत तक, लद्दाख के ऊंचे पहाड़ों पर चीन को मिलेगा जवाब

डीआरडीओ और एल एंड टी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है बेहद हल्का टैंक जोरावर

Highlightsबेहद हल्के टैंक जोरावर का परीक्षण इस साल के अंत तक ऊंचे इलाकों में होगाये टैंक पारंपरिक टैंकों की तुलना में तेजी से एक जगह से दूसरी जगह जा सकता हैहल्के टैंक का नाम प्रसिद्ध जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है

नई दिल्ली: चीन सीमा पर भारतीय सरहदों की निगरानी कर रही सेना के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है कि भारी हथियरों को ऊंचे पहाड़ों पर तैनात कैसे किया जाए। 16 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर भारी 60 टन के भारी भरकम टैंक ले जाना तो असंभव सा काम है। लेकिन अब जल्द ही सेना की इस मुश्किल का समाधान होने वाला है और सीमा पार की चीनी चौकियां भारतीय टैंकों के निशाने पर आने वाली हैं।

दरअसल डीआरडीओ और निजी क्षेत्र की फर्म एल एंड टी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा बेहद हल्का टैंक जोरावर इस साल के अंत तक चीन के साथ लगती सीमा पर ऊंचाई वाली जगहों में परीक्षण के लिए तैयार है। डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,  "टैंक के इस साल के अंत तक परीक्षण के लिए तैयार होने की उम्मीद है और इसे तुरंत लद्दाख सेक्टर में हमारे अपने परीक्षणों के लिए भेजा जाएगा। एक बार जब हम तैयार हो जाएंगे, तो हम इसे उपयोगकर्ता परीक्षणों के लिए सेना को सौंप देंगे।"

एनआई से बात करते हुए  डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "मौजूदा ऑर्डर इनमें से 59 टैंकों के लिए है, लेकिन ऑर्डर 600 टैंकों तक जा सकता है।  कच्छ क्षेत्र के रण और रेगिस्तानी इलाकों में संचालन के लिए इन टैंकों का उपयोग करने की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।"

बता दें कि 2020 से चीन के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान हल्के टैंक की आवश्यकता महसूस की गई थी। चीन के पास पहले से ही ऐसे हल्के टैंक मौजूद हैं जो आसानी से ऊंची जगहों पर तैनात किए जा सकते हैं।  पीपुल्स लिबरेशन आर्मी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने हल्के टैंकों के साथ दिखाई भी दी थी। ये टैंक पारंपरिक टैंकों की तुलना में तेजी से एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं।

भारत में डीआरडीओ और निजी क्षेत्र की फर्म एल एंड टी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किए गए हल्के टैंक का नाम प्रसिद्ध जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है। जोरावर सिंह ने तिब्बत में कई सफल जीत का नेतृत्व किया था जो अब चीनी सेना द्वारा नियंत्रित है।

बता दें कि फिलहाल भारत के  टी-72 और टी-90 टैंक चीन से लगती ऊंची पहाड़ियों पर तैनात हैं। हालांकि इनको देपसांग के मैदानी इलाकों में चलाना तो आसान है लेकिन पहाड़ों पर तेजी से इनकी जगह बदलना मुश्किल। इसलिए हल्के टैंक की जरूरत महसूस की जा रही था जिसकी कमी जोरावर पूरी करेगा।

Web Title: light tank Zorawar ready for trials in the high-altitude mountainous border with China by the end of this year

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