एलजी बेदी ने दिया ‘जलपान’, सीएम नारायणसामी कार्यक्रम बीच में छोड़कर चले गए, दोनों में ठनी
By भाषा | Published: January 27, 2020 08:18 PM2020-01-27T20:18:50+5:302020-01-27T20:18:50+5:30
बेदी ने कहा कि यह कोई निजी समारोह नहीं, बल्कि राष्ट्रीय शुचिता का कार्यक्रम था। मुख्मयंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि वह और कैबिनेट में उनके सहयोगी, विधानसभा अध्यक्ष एवं सांसद कार्यक्रम का निमंत्रण मिलने पर वहां पहुंचे थे क्योंकि ‘‘ऐसा करना हमारा लोकतांत्रिक कर्तव्य है’’।
पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज निवास में आयोजित ‘जलपान’ कार्यक्रम बीच में छोड़कर चले जाने को उचित ठहराया और उपराज्यपाल किरण बेदी पर ‘‘परम्पराओं और रिवाजों को तोड़ने’’ का आरोप लगाया।
वहीं, बेदी ने कहा कि यह कोई निजी समारोह नहीं, बल्कि राष्ट्रीय शुचिता का कार्यक्रम था। मुख्मयंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि वह और कैबिनेट में उनके सहयोगी, विधानसभा अध्यक्ष एवं सांसद कार्यक्रम का निमंत्रण मिलने पर वहां पहुंचे थे क्योंकि ‘‘ऐसा करना हमारा लोकतांत्रिक कर्तव्य है’’।
उन्होंने कहा, ‘‘हम समारोह में उपराज्यपाल द्वारा परम्पराओं का उल्लंघन किया जाना बर्दाश्त नहीं कर सके और इसलिए समारोह में कुछ मिनट शामिल होने के बाद हम परिसर से बाहर चले गए।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हालांकि हम खुश हैं कि पुडुचेरी के मनोज दास और वी के मुनुसामी को केंद्र ने पद्म पुरस्कारों के लिए चुना है, लेकिन प्रदेश के मंत्रालय को यह सूचित किया जाना चाहिए था कि इस कार्यक्रम में उपराज्यपाल पुरस्कार विजेताओं को भी सम्मानित करेंगी।’’
उन्होंने कहा कि इसके लिए अलग से एक कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए था। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमें इस फैसले को लेकर अंधेरे में रखा गया कि उपराज्यपाल शिक्षा निदेशक रुद्र गौड और कैराईकल के कलेक्टर विक्रांत राजा को प्रमाण पत्र देंगी और पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित करेंगी।’’
उन्होंने इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के दलों की सांस्कृतिक प्रस्तुति पर भी सवाल उठाए। बेदी ने इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए व्हाट्सऐप पर संदेश में कहा कि यह कोई निजी कार्यक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय शुचिता का समारोह था। उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के सुझाव के आधार पर जलपान कार्यक्रम को अधिक विविध और समावेशी बनाया गया था। बेदी ने कहा, ‘‘हालांकि, हमें उन्हें (प्रस्तुति देने वाले दलों) नजरअंदाज करने और पद्म पुरस्कार विजेताओं की मौजूदगी की सराहना नहीं करके उनका अपमान करने वाले हमारे निर्वाचित प्रतिनिधियों के व्यवहार पर खेद है।’’