लातूर भूंकप के बारे में 10 ऐसी बातें, जिससे हिल गया था पूरा देश, हुई थी 10 हजार मौतें

By पल्लवी कुमारी | Published: September 30, 2018 07:33 AM2018-09-30T07:33:20+5:302018-09-30T07:33:20+5:30

Mumbai Latur Earthquake 10 Unknown Facts: इस भयावह भूंकप आपदा से बचे कुछ लोग आज 25 साल बाद भी बड़े पैमाने पर हुई क्षति के मुआवजे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस त्रासदी की सालगिरह पर पूरा गांव इस दिन बंद हो जाता है।

Latur Earthquake mumbai 1993 10 Unknown facts Which Killed 10,000 People | लातूर भूंकप के बारे में 10 ऐसी बातें, जिससे हिल गया था पूरा देश, हुई थी 10 हजार मौतें

लातूर भूंकप के बारे में 10 ऐसी बातें, जिससे हिल गया था पूरा देश, हुई थी 10 हजार मौतें

नई दिल्ली, 30 सितंबर: महाराष्ट्र के लातूर के इतिहास में 30 सिंतबर का दिन कभी भुलाया नहीं जा सकता है। जिले के किल्लारी गांव के निवासी हर साल 30 सितंबर के दिन को काला दिवस के रूप में देखते हैं। 1993 में 30 सिंतबर को आज से  25 साल पहले लातूर-उस्मानाबाद क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप आया था, इस भयंकर भूंकप में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे और ना जाने कितने हजार लोग घायल हुए थे। लातूर में भूकंप सुबह के तीन बजकर 56 मिनट पर आया था,  उस वक्‍त लोग गहरी नींद में सो रहे थे। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.3 थी। जिसकी वजह से बहुत ज्यादा नुकसान हो गया था। लातूर का भूकंप भारत के सबसे विनाशकारी भूकंपों में से एक था। इस त्रासदी की सालगिरह पर पूरा गांव इस दिन बंद हो जाता है।

यह भूकंप महाराष्ट्र के दक्षिणी मराथवाड़ा क्षेत्र में आया था और इसका प्रभाव लातूर, बीड, ओस्मानाबाद और निकटवर्ती क्षेत्रों में पड़ा, जो मुम्बई से 400 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। 

आइए जानें इस भूकंप के बारे में सात बातें...

1- इस भूकंप की वजह से 52 गांव बर्बाद हो गए थे। तकरीबन 30 हजार लोग घायल हो गए थे। आज भी इस दिन को याद कर वहां के लोग कांप जाते हैं। 

2- लातूर के इस भूंकप का केन्द्र किल्लारी था। जहां एक बड़ा गढ़ा खोखलानुमा आकार बन गया था। जो अभी भी आज तक बना हुआ है। यह एक अंतर-प्लेट भूकंप था।

3- भूकंप ने मुख्य रूप से लातूर और उस्मानाबाद के जिलों को प्रभावित किया। झटकों से प्रभावित जिलों की संख्या को ध्यान में रखते हुए, मारे गए और घायल लोगों की संख्या बहुत अधिक थी क्योंकि लातूर एक घनी आबादी वाली जगह है। भूकंप से इतना विनाश इसलिए हुआ क्योंकि हाइपोसेन्टर काफी अधिक था, केवल 10 किमी गहराई। जिसके परिणामस्वरूप शॉकवेव के कारण अधिक नुकसान हुआ।

4- भूकंप के बारे में आई उस वक्त की खबरों के मुताबिक राहत वस्तुओं और बचाव कार्यकर्ताओं के लिए विदेशों से भी मदद आए थे।  नुकसान की भरपाई के लिए लातूर के पुनर्निर्माण के लिए विश्व बैंक द्वारा पुनर्निर्माण की पेशकश की गई थी।

5- बचाव कार्य के लिए फौरन ही भारतीय सेना, राज्य रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने पहल शुरू कर दी थी। 

6- भूकंप के बाद स्थिति सामान्य करने के लिए किसानों के लिए  46.55 लाख दिया गया था। वहीं, 299 लोगों को मवेशी दिए गए थे, क्योंकि उनकी रोजी-रोटी का साधन पूरी तरह खत्म हो चुका था। 

7- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भी लातूर भूकंप के बाद ही देश में स्थापित किया गया था।

8- इस विनाशकारी भूंकप की सूचना सबसे पहले एमेच्योर रेडियो के स्टेशन हैदराबाद और मुंबई से दी गई थी। इसी रेडियो की टीम ही सबसे पहले प्रभावित इलाके के पास  ओमर्गा पहुंची थी। जहां से सभी भूकंप प्रभावित इलाके के लोग सड़क पर आए थे। 

9-  मुंबई स्थित जेएनए वायरलेस एसोसिएशन ने एक विशेष मिशन खड़ा किया था। 

10-  भूकंप के राहत कार्य के लिए ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने वाहनों की सुविधा दी थी। जिसका उद्देश्य बचाव कार्य के लिए जारी सामनों को पहुंचाना था। ये मुंबई ओमर्गा तक पहुंचे थे।

लातूर के लोगों आज भी वह दिन याद कर कांप जाते हैं...

- न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक अभी भी  इस भयावह आपदा से बचे कुछ लोग बड़े पैमाने पर हुई क्षति के मुआवजे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इससे प्रभावित खेतिहर मजदूर सूर्यवंशी तानाजी को दोहरी क्षति हुई थी। उसने ना सिर्फ अपने परिजन को खो दिया बल्कि उसकी 6.5 एकड़ जमीन को सरकार ने पुनर्वास के नाम पर ले लिया था। वह पत्नी और 13 साल के बेटे के साथ टिन के छत वाली झोपड़ी में रहते हैं। उनका आरोप है कि उन्हें कभी मुआवजा नहीं मिला। 

सूर्यवंशी का कहना है कि 30 सितंबर का दिन किल्लारी के लोगों के लिए ‘काला दिन’ है और त्रासदी की सालगिरह पर पूरा गांव इस दिन बंद हो जाता है। इस आपदा को याद करते हुए उन्होंने बताया कि वह गणेश विसर्जन के जुलूस में थे जब यह प्राकृतिक आपदा आयी। वह घर की तरफ भागे और उनका पत्थरों का घर मलबे में तब्दील हो चुका था। 

उन्होंने पत्नी, मां और भाई को मलबे से बाहर निकाला लेकिन उसके पिता, 10 साल का बेटा, उसके भाई के तीन बच्चे और भाभी की मौत हो चुकी थी। बाद में उसके भाई और मां ने भी दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया कि वह अदालत भी गये लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। 

- किल्लारी के एक अन्य निवासी प्रशांत हरांगुले का घर क्षतिग्रस्त हो गया और इस आपदा में उनके परिवार के सदस्य घायल हो गये। वह याद करते हैं कि हर पांच मिनट में भूकंप के झटके महसूस हो रहे थे।  उन्होंने बताया कि उनके पिता साहसी व्यक्ति थे। वह कहते थे भगवान पर भरोसा रखो और जिंदगी में आगे बढ़ो। 

- तुलजापुर से कांग्रेस के पांच दफा के विधायक मधुकर चौहान का कहना है कि बहुत मदद की गयी लेकिन लोगों के घावों को कभी नहीं भरा जा सकता है। प्रभावित लोग वापस रोजमर्रा की जिंदगी में लौट रहे हैं।  

- किल्लारी के उप सरपंच अशोक पोतदार ने बताया कि क्षेत्र में अक्तूबर 1992 से जून 1993 तक भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। 

English summary :
Mumbai Latur Earthquake 10 Unknown Fact, Images: The history of Latur in Maharashtra can not be forgotten on 30th September. Every year the resident of Kiliari village is seen as a black day on September 30 every year. In the year 1993, on 25th September, 25 years ago, a devastating earthquake struck Latur-Osmanabad area, more than 10 thousand people were killed in this terrible earthquake and no number of thousands were injured.


Web Title: Latur Earthquake mumbai 1993 10 Unknown facts Which Killed 10,000 People

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