जम्मू कश्मीर में 1900 वर्ग किमी क्षेत्र में बिछी हैं बारूदी सुरंगे, नागरिकों के लिए बनी हुई हैं खतरा, रिपोर्ट में खुलासा

By सुरेश एस डुग्गर | Published: April 18, 2023 12:04 PM2023-04-18T12:04:02+5:302023-04-18T12:05:21+5:30

जम्मू संभाग की 160 वर्ग किमी तथा कश्मीर की 1730 वर्ग किमी भूमि में लाखों की तादाद में दबाई गई बारूदी सुरंगें प्रदेश के उन नागरिकों के लिए खतरा बनी हुई हैं जो इन इलाकों में रहते हैं। कश्मीर में कई ऐसे गांव हैं जिनके चारों ओर बारूदी सुरंगें बिछाई गई हैं।

Landmines are spread over an area of ​​1900 sq km in Jammu and Kashmir report revealed | जम्मू कश्मीर में 1900 वर्ग किमी क्षेत्र में बिछी हैं बारूदी सुरंगे, नागरिकों के लिए बनी हुई हैं खतरा, रिपोर्ट में खुलासा

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsजम्मू कश्मीर के करीब 1900 वर्ग किमी के क्षेत्र में बारूदी सुरंगें दबी पड़ी हैंकश्मीर में कई ऐसे गांव हैं जिनके चारों ओर बारूदी सुरंगें बिछाई गई हैंकई गांवों में सेना दबाई गई बारूदी सुरंगों के मैप को खो चुकी है

जम्मू: यह एक कड़वी सच्चाई है कि जम्मू कश्मीर की जनता खतरनाक बारूदी सुरंगों के साए तले जिन्दगी काट रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के करीब 1900 वर्ग किमी के क्षेत्र में लाखों बारूदी सुरंगें दबी पड़ी हैं जिनके आसपास लाखों लोगों की जिन्दगी रोजाना घूमती है। हालांकि इससे अधिक क्षेत्रफल में बारूदी सुरंगें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में दबी पड़ी हैं।

जम्मू संभाग की 160 वर्ग किमी तथा कश्मीर की 1730 वर्ग किमी भूमि में लाखों की तादाद में दबाई गई बारूदी सुरंगें प्रदेश के उन नागरिकों के लिए खतरा बनी हुई हैं जो इन इलाकों में रहते हैं। ये लाखों बारूदी सुरंगें भारत-पाक युद्धों के दौरान दबाई गई थीं और अभी भी वे वहां पर इसलिए हैं क्योंकि इंटरनेशनल बार्डर और एलओसी पर सीजफायर के बावजूद खतरा कभी टला ही नहीं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लैंडमाइन्स अर्थात बारूदी सुरंगों पर प्रतिबंध लागू करवाने के लिए जुटे करीब 1000 संगठनों की रिपोर्ट के मुताबिक इतनी संख्या में बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल करने और उनका भंडारण करने वाले देशों में भारत का स्थान 6ठा है और पाकिस्तान पांचवें स्थान पर आता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर को बांटने वाली एलओसी तथा जम्मू सीमा के हजारों गांवों में लाखों लोग प्रतिदिन इन बारूदी सुरंगों के साए में अपना दिन आरंभ करते हैं और रात भी मौत के साए तले काटते हैं। ऐसा भी नहीं है कि ये बारूदी सुरंगें आज कल में बिछाई गई हों बल्कि देश के बंटवारे के बाद से ही ऐसी प्रक्रिया अपनाई गई थी और रिपोर्ट के मुताबिक भारत व पाकिस्तान की सरकारों ने माना है कि हजारों बारूदी सुरंगें अपने स्थानों से लापता हैं।

एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बारूदी सुरंगों के संजाल की बात तो समझ में आती है लेकिन इस रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में कई ऐसे गांव हैं जिनके चारों ओर बारूदी सुरंगें बिछाई गई हैं। रिपोर्ट कहती है कि इनमें से आतंकवादग्रस्त क्षेत्र भी हैं तो वे गांव भी हैं जिन्हें एलओसी पर लगाई गई तारबंदी दो हिस्सों में बांटती है।
ये सुरंगें आज नागरिकों को क्षति पहुंचा रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कुपवाड़ा के वरसुन गांव की कथा बहुत दर्दनाक है जहां 1990 के आरंभ में सेना ने अपने कैम्प के आसपास हजारों बारूदी सुरंगें दबाई थीं और अब वहां कैम्प नहीं है पर बारूदी सुरगें हैं।

यह वहां  पर अब भी इसलिए हैं क्योंकि सेना दबाई गई बारूदी सुरंगों के मैप को खो चुकी है। करनाह के करीब चार गांव ऐसे हैं जिन्हें एलओसी की तारबंदी के साथ-साथ अब बारूदी सुरंगों की दीवार ने भी बांट रखा है। कई घरों के बीच से होकर गुजरने वाली बारूदी सुरंगों की दीवार को आग्रह के बावजूद भी हटाया नहीं जा सका है। वर्ष 2002 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के करीब की स्थिति के दौरान ऑपरेशन पराक्रम के दौरान दबाई गई लाखों बारूदी सुरंगों में से सैकड़ों अभी भी लापता हैं। इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया जा चुका है।

Web Title: Landmines are spread over an area of ​​1900 sq km in Jammu and Kashmir report revealed

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