लखीमपुर खीरी हिंसा: न्यायालय ने कहा कि ऐसी घटनाएं होने पर, कोई जिम्मेदारी नहीं लेता
By भाषा | Updated: October 4, 2021 19:24 IST2021-10-04T19:24:10+5:302021-10-04T19:24:10+5:30

लखीमपुर खीरी हिंसा: न्यायालय ने कहा कि ऐसी घटनाएं होने पर, कोई जिम्मेदारी नहीं लेता
नयी दिल्ली, चार अक्टूबर उच्चतम न्यायालय में एक किसान संगठन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान जब अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने लखीमपुर खीरी में किसान प्रदर्शन के दौरान हिंसा और उसमें आठ लोगों के मारे जाने की घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया तो शीर्ष अदालत ने इस पर टिप्पणी की कि जब इस तरह की घटनाएं होती हैं तो कोई भी उनकी जिम्मेदारी नहीं लेता है।
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे एक किसान संगठन की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह टिप्पणी की। इस संगठन ने याचिका में मांग की है कि उसे यहां जंतर मंतर पर ‘सत्याग्रह’ करने की अनुमति देने का निर्देश अधिकारियों को दिया जाए।
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ से कहा कि तीन नए कृषि कानूनों की वैधता को अदालत में चुनौती दी जा चुकी है ऐसी स्थिति में इस तरह के प्रदर्शनों पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमने देखा कि कल लखीमपुर खीरी में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी है।’’
वेणुगोपाल ने कहा कि इस घटना में आठ लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि अब कोई और दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं होनी चाहिए।
इस पर न्यायालय ने कहा कि इस तरह की घटनाओं में जान-माल का नुकसान होने पर कोई भी उसकी जिम्मेदारी नहीं लेता है।
लखीमपुर खीरी में रविवार को कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर कथित रूप से दो एसयूवी वाहन चढ़ाये जाने के बाद हुयी हिंसा के सिलसिले में दो प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं। ये किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आगमन का विरोध कर रहे थे। इस हिंसा में आठ व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामला शीर्ष अदालत के समक्ष है तो उसी मुद्दे को लेकर किसी को भी सड़कों पर नहीं उतरना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस सवाल पर विचार करेगी कि क्या किसी कानून की वैधानिकता को संवैधानिक न्यायालय में चुनौती देने वाले व्यक्ति या संगठन को मामला न्यायालय के विचाराधीन होने की स्थिति में विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए।
पीठ ने याचिकाकर्ता ‘किसान महापंचायत’ से कहा कि जब शीर्ष अदालत तीन नए कृषि कानूनों पर रोक लगा चुकी है तो फिर वे प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं।
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