लच्छू महाराज: क्या आप जानते हैं लच्छू महाराज नें क्यों बजाया था जेल में तबला और क्यों ठुकरा दिया था पद्मश्री का सम्मान, जानें यहां
By मेघना वर्मा | Published: October 16, 2018 09:58 AM2018-10-16T09:58:57+5:302018-10-16T10:07:13+5:30
Lachhu Maharaj 74 Birthday Google Doodle:लच्छू महाराज के अख्खड़ स्वभाव का अंदाज इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक बार आकाशवाणी में अपने तबला वादन के शो को बीच से ही छोड़ कर वापिस आ गए थे।
भारतीय शास्त्रीय संगीत के बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले मशहूर तबलावादक लच्छू महाराज की जयंती पर देश के सबसे बडे़ सर्च इंजन गूगन ने उनकी याद में डूडल बनाया है। लच्छू महाराज की जंयती पर गूगल ने उन्हें श्रद्धांजली दी है। आपको बता दें देश के सबसे महान तबला वादकों में लच्छू महाराज का नाम लिया जाता है। इनका जन्म 16 अक्टूबर 1944 को हुआ और लच्छू महाराज का असली नाम लक्ष्मी नारायण था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लच्छू महाराज 8 साल के थे जब उन्होंने तबला बजाना सीखा।
लच्छू महाराज अपने मस्तमौला और अख्खड़ अंदाज के लिए जाने जाते थे। कभी किसी के कहने पर उन्होंने तबला नहीं बजाया मगर हमेशा अपने दिल की सुनी। उनकी जिंदगी से जुड़ी ऐसी ही कुछ घटनाएं हम आपको बताने जा रहे हैं जो उनके इस अख्खड़ स्वभाव को दर्शाती हैं।
जब जेल में तबला बजाने लगे थे लच्छू महाराज
ये बात है सन् 1975 की जब देश में आपातकाल लगा था। उस समय लच्छू महाराज जेल पहुंच गए थे और वहां जार्ज फर्नांडिस, देवव्रत मजुमदार, मार्कंडेय जैसे समाजवादियों को जेल में तबला बजाकर सुनाया था। समाजवादी नरेन्द्र नीरव नें मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि लच्छू महाराज सिर्फ जेल में तबला ही नहीं बजा रहे थे बल्कि आपातकाल का अपने तरीके से विरोध भी जता रहे थे। बनारस के दालमंडी की ठसाठस भीड़ और बाजार में ग्राहकों से भरे गलियों के बीच लच्छू महाराज का घर था जहां बिना किसी की परवाह किए वह मस्तमौला अंदाज में तबला बजाने का रियाज करते थे।
नहीं लिया था पद्मश्री का सम्मान
लच्छू महाराज सात भाइयों में से दूसरे नंबर पर थे। उनके भाई गजेन्द्र सिंह ने बताया कि लच्छू महाराज को केंद्र सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान के लिए भी नॉमिनेट किया गया था। मगर लच्छू महाराज ने वह सम्मान लेने से इंकार कर दिया था। गजेन्द्र ने बताया कि सरकार ने उन्हें सम्मान के लिए पत्र भी भेजा था मगर अचानक ही लच्छू महाराज ने पद्मश्री सम्मान लेने से मना कर दिया। उनका मनाना था कि किसी भी कलाकार के लिए सबसे बड़ा अवॉर्ड उनके दर्शकों की ताली की गड़गड़ाहट होती है।
जब आकाशवाणी का शो बीच में ही छोड़ कर चले आए थे लच्छू महाराज
लच्छू महाराज के अख्खड़ स्वभाव का अंदाज इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक बार आकाशवाणी में अपने तबला वादन के शो के लिए गए थे मगर जिन निदेशक ने उन्हें बुलाया था उनकों आने में पांच मिनट की देर हो गई इस बात से लच्छू महाराज इतने नाराज हो गए कि बिना शो किए ही वापिस चले आए।
इसी प्रकार एक बार एक संगीत समारोह में स्टेज शो पर उनका तबला बजाते-बजाते फट गया। जब दूसरा तबला लाने में देर हुई तो लच्छू महाराज बीच कार्यक्रम से ही उठकर चले गए। उनकी ये जिद तबला और संगीत के प्रति उनके प्यार को दर्शाती है। संगीत का दीवाना ये महान कलाकार 28 जुलाई को हम सभी को छोड़कर चला गया।