कोविड-19 : दूसरी लहर में काम के दौरान मानसिक तनाव पर खुल कर बोले डॉक्टर

By भाषा | Updated: May 17, 2021 20:31 IST2021-05-17T20:31:10+5:302021-05-17T20:31:10+5:30

Kovid-19: Doctor openly speaks on mental stress during work in second wave | कोविड-19 : दूसरी लहर में काम के दौरान मानसिक तनाव पर खुल कर बोले डॉक्टर

कोविड-19 : दूसरी लहर में काम के दौरान मानसिक तनाव पर खुल कर बोले डॉक्टर

नयी दिल्ली 17 मई राजधानी दिल्ली में कोविड-19 की भयावह लहर के बीच काम के दौरान अप्रत्याशित मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे डॉक्टरों ने अपने अनुभवों के बारे में खुलकर बात की है।

डॉक्टरों ने बताया कि किस तरह से उन्होंने लगातार कई दिनों तक 15-15 घंटे की शिफ्ट की, जिसमें बड़ी संख्या में हो रही मरीजों की मौत, मरीजों की जान बचाने की गुहार लगाते हुए उनके परिजन और जबर्दस्त मानसिक तनाव ने उन्हें भीतर से झकझोर दिया।

कोरोना संक्रमण की दूसरी भीषण लहर के कारण मरीजों की दिन-प्रतिदिन बढ़ती हुई संख्या से न केवल सरकारी बल्कि निजी अस्पतालों समेत दिल्ली का संपूर्ण स्वास्थ्य तंत्र लाचार होता दिखाई दे रहा था।

कोविड-19 की इस लहर के दौरान डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को शारीरिक थकावट के अलावा अप्रत्याशित मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ा।

राजधानी के अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार के पद पर तैनात डॉ सुरणजीत चटर्जी ने अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों में नए मरीजों की संख्या में कमी आने से थोड़ी राहत मिली है।

डॉ चटर्जी ने पीटीआई-भाषा से अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘ एक डॉक्टर होने के नाते हमें दबाव और मरीजों की मौत का सामना करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, लेकिन जब आप प्रतिदिन बड़ी तादाद में मरीजों को दम तोड़ते हुए देखें, उनके परिजनों को उनकी जान बचाने की गुहार लगाते हुए देखें, मरीजों को वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए देखें और ऐसी स्थिति में आप कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो आप खुद को असहाय महसूस करते हैं।’’

चटर्जी पिछले साल खुद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे।

उन्होंने कहा कि पिछले 20-25 दिनों ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है।

डॉ चटर्जी ने कहा, ‘‘डॉक्टर के तौर पर हम अपने काम के दौरान भावनाओं से परे होते हैं, लेकिन आखिरकार हम भी इंसान ही हैं और इस तरह से अपने परिवार और दोस्तों को तकलीफ में देखने से हमारा दिल भी पसीज जाता है।’’

डॉ चटर्जी ने कहा, ‘‘ 15-15 घंटे की शिफ्ट के दौरान लगातार व्यस्त रहना, कभी फोन पर सलाह देना, कभी ऑक्सीजन की कमी के कारण तनाव, बिस्तरों की कमी के बारे में सुनना। एक डॉक्टर के रूप में पिछले कुछ सप्ताह शारीरिक और मानसिक दोनों ही तौर पर बेहद तनाव भरे रहे।’’

फोर्टिस अस्पताल में श्वास रोग विभाग में सलाहकार के पद पर तैनात डॉ ऋचा सरीन ने हाल में कोविड-19 की वजह से अपने एक नजदीकी परिजन को खोया है। डॉ सरीन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों के दौरान डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी भीषण मानसिक तनाव के दौर से गुजरे हैं।

डॉ सरीन ने कहा, ‘‘ एक डॉक्टर होने के अलावा हमारे भीतर भी मानवीय संवेदनाएं होती हैं। जब आप जानते हैं कि यह जानलेवा वायरस इतनी तेजी से फैल रहा है और इसके कारण नौजवानों की भी मौत हो रही है, ऐसी स्थिति में हम भी चिंतित हो जाते हैं। आईसीयू में मरीजों को मरते हुए देखना काफी परेशान करने वाला होता है। ’’

डॉ सरीन खुद भी कोरोना से संक्रमित हुईं थीं और इस बार उनके पति और बेटा भी कोरोना से संक्रमित हो गए थे।

गौरतलब है कि दिल्ली में इस महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक कई डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के अलावा अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों की मौत हो चुकी है।

दिल्ली में 20 अप्रैल को कोविड-19 के 28 हजार से अधिक नए मामले सामने आए थे जबकि तीन मई को रिकार्ड 448 मरीजों की मौत हुई थी।

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Web Title: Kovid-19: Doctor openly speaks on mental stress during work in second wave

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