क्या है वीटो पॉवर, जिसका इस्तेमाल कर चीन बचाता है आतंकी मसूद अजहर को
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 14, 2019 03:27 PM2019-03-14T15:27:24+5:302019-03-14T15:27:24+5:30
शुरू में चीन ने बहुत कम वीटो किया लेकिन उसके बाद काफी सक्रिय हो गया...
पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने के भारत के प्रयास पर चीन ने एक बार फिर पानी फेर दिया। सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से चार सदस्यों अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस ने इसका समर्थन किया जबकि चीन ने विरोध किया। चीन अपनी जिस ताकत को इस्तेमाल कर मसूद अजहर को बचाता है, आइए जानते हैं उस वीटो पावर के बारे में...
क्या है वीटो (veto)?
वीटो लैटिन भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है 'मेरी अनुमति नहीं है'। प्राचीन रोम में चुने हुए अधिकारियों में कुछ के पास ऐसा पॉवर होता था जिसका इस्तेमाल करके रोम सरकार की किसी कार्रवाई को रोक सकते थे। तभी से इस शब्द को किसी चीज को करने से रोकने के पॉवर के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्तमान में यूएन सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस,रूस, यूके और यूएस हैं। इन पांचों राष्ट्रों के पास वीटो पावर है।
स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है। यही मसूद के मामले चीन करता है। सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्य उसे ग्लोबल आतंकी घोषित करने के समर्थन में थे लेकिन चीन उसके विरोध में था और उसने वीटो पॉवर का इस्तेमाल करते हुए अड़ंगा लगा दिया।
फरवरी, 1945 में क्रीमिया, यूक्रेन के शहर याल्टा में एक सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन को याल्टा सम्मेलन या क्रीमिया सम्मेलन के नाम से जाना जाता है। इसी सम्मेलन में सोवियत संघ के तत्कालीन प्रधानमंत्री जोसफ स्टालिन ने वीटो पावर का प्रस्ताव रखा था। याल्टा सम्मेलन का आयोजन युद्ध बाद की योजना बनाने के लिए हुआ था। इसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंसटन चर्चिल, सोवियत संघ के प्रधानमंत्री जोसफ स्टालिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डी.रूजवेल्ट ने हिस्सा लिया।
वैसे वीटो का यह कॉन्सेप्ट साल 1945 में ही नहीं आया। 1920 में लीग ऑफ नेशंस की स्थापना के बाद ही वीटो पावर वजूद में आ गया था। उस समय लीग काउंसिल के स्थायी और अस्थायी सदस्यों, दोनों के पास वीटो पावर थी।
16 फरवरी, 1946 को सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (यूएसएसआर) ने पहली बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया था। लेबनान और सीरिया से विदेशी सैनिकों की वापसी के प्रस्ताव पर यूएसएसआर ने वीटो किया था।
वीटो की असली ताकत
वीटो की असली ताकत यह है कि इसमें शामिल पांच सदस्यों में से अगर कोई एक भी वीटो कर देता है तो उस मुद्दे पर बाकी बचे चार सदस्यों की सहमति का कोई मतलब नहीं होता।
कब-कब हुआ वीटो का इस्तेमाल
-शुरुआती सालों में सोवियत रूस ने सबसे ज्यादा वीटो का इस्तेमाल किया। अब तक यह 141 बार वीटो का इस्तेमाल कर चुका है जो अब तक के कुल वीटो का करीब आधा है। अब तक कुल 291 बार वीटो का इस्तेमाल किया जा चुका है।
-अमेरिका ने अब तक 83 बार वीटो का इस्तेमाल किया है। पहली बार इसने 17 मार्च, 1970 को वीटो किया था। अमेरिका ने वीटो का ज्यादातर इस्तेमाल इजरायल के हितों की रक्षा के लिए किया है।
-ब्रिटेन ने 32 बार इस्तेमाल किया है। पहली बार 30 अक्टूबर, 1956 को स्वेज संकट के दौरान किया था।
-फ्रांस ने पहली बार 26 जून, 1946 को इसका इस्तेमाल किया था और अब तक 18 बार वीटो किया है।
-चीन ने 15 बार वीटो का इस्तेमाल किया है। चीन ने 13 मार्च, 2019 को मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर एक बार फिर वीटो का इस्तेमाल किया।