21वीं सदी में जिस दलित नेता की उत्तर भारत में गूंज है उनका आज (15 जनवरी) 62वां जन्मदिन है। बिना नाम बताए आप समझ ही गए होंगे ये कोई और नहीं बल्कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया कुमारी मायावती हैं। उनका बर्थडे पार्टी जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मना रही है। इस दौरान उनके संघर्षों की किताब ब्लू बुक तैयार की गई है जिसके जरिए वे राजनीति में दोबारा पकड़ मजबूत करेंगी। आइए आपको बताते हैं मायावती के संघर्ष और उनसे राजनीतिक करियर का संक्षिप्त इतिहास-
पिता चाहते थे बेटी बने अधिकारी
- मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 में देश की राजधानी दिल्ली में एक दलित परिवार में हुआ। उनके पिता प्रभु दयाल और माता रामरती थीं। बचपन में मायावती का नाम चंदावती देवी था।- उनके पिता प्रभु दयाल सरकारी कर्मचारी थे। वह भारतीय डाक-तार विभाग में वरिष्ठ लिपिक के पद से सेवानिवृत्त हुए। मां रामरती ने अनपढ़ थीं। मायावती के छह भाई और दो बहने हैं।- उनके पिता प्रभु दयाल अपनी बेटी को भारतीय प्रशासनिक अधिकारी के रूप में देखने चाहते थे। मायावती जब आईएएस की तैयारी कर रही थीं तभी वो कांशीराम के संपर्क में आईं। उनेक प्रभाव से ही वो करियर बनाने के बजाय राजनीति की तरफ झुकती गईं।
यहां से की मायावती ने पढ़ाई
-उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से कला विषयों में स्नातक किया। गाजियाबाद के लॉ कॉलेज से कानून की परीक्षा पास की और मेरठ यूनिवर्सिटी के वीएमएलजी कॉलेज से शिक्षा स्नातक (बी.एड.) की डिग्री ली। -मायावती ने स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद दिल्ली के ही एक स्कूल में बतौर टीचर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। साल 1977 में उनकी कांशीराम से मुलाकात हुई। कांशीराम ने मायावती के जीवन पर बहुत प्रभाव डाला। -उस समय दलितों के उत्थान के लिए कांशीराम बड़े पैमाने पर काम कर रहे थे, जिसका मायावती पर काफी असर हुआ और वह भी उनके कार्यों और परियोजनाओं में शामिल होना शुरू कर दिया।
1989 में जीता पहला चुनाव
-मायावती ने टीचर की नौकरी छोड़ने के बाद कांशीराम के साथ लगभग सात साल तक संघर्ष किया। इसके बाद कांशीराम की बसपा में शामिल हो गईं। -मायावती ने साल 1989 में पहली बार बिजनौर लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव जीता और संसद में उनकी एंट्री हो गई।
यूपी की सत्ता पर चार बार हुईं काबिज
-मायावती साल 1995 में पहली बार यूपी की सत्ता पर काबिज हुईं। वह सूबे की पहली दलित महिला सीएम बनीं। हालांकि यह सरकार गठबंधन की थी। वे 13 जून 1995 से 18 अक्टूबर 1995 तक मुख्यमंत्री रहीं। वह साल 2001 में पार्टी की अध्यक्ष भी बनीं।- वह दूसरी बार 21 मार्च 1997 से 20 सितंबर 1997, तीसरी बार 3 मई 2002 से 26 अगस्त 2003 और चौथी बार 13 मई 2007 से 6 मार्च 2012 तक यूपी की सीएम रहीं।