एक थप्पड़ से शुरू हुआ था पद्मावत पर विवाद, आज जल रहा है देश
By रामदीप मिश्रा | Published: January 25, 2018 03:03 PM2018-01-25T15:03:10+5:302018-01-25T15:49:06+5:30
फिल्म की रिलीज 1 दिसंबर 2017 को प्रस्तावित थी। लेकिन, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) ने तकनीकी कारणों से फिल्म को वापस फिल्ममेकर्स को लौटा दिया था।
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत गुरुवार (25 जनवरी) को देश में रिलीज हुई है, लेकिन आपको शायद ही ध्यान हो कि इस फिल्म का विवाद 27 जनवरी 2017 दिन शुक्रवार को शुरू हुआ था यानि एक साल पूरा होने में केवल दो दिन बाकी हैं। इस एक साल में फिल्म का नाम बदलने से लेकर करणी सेना के विरोध प्रदर्शन ने हर किसी को हैरान कर दिया। आज हम आपको बताते हैं कि कब-कब क्या हुआ...
27 जनवरी को ऐसे शुरू हुआ था विवाद
27 जनवरी 2017 को फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ जयपुर में शूटिंग के दौरान हाथापाई और मारपीट हुई थी। इस फिल्म का विरोध कर रहे राजपूत समूहों की भीड़ ने जयपुर के जयगढ़ किले में लगे फिल्म के सेट के बाहर प्रदर्शन किया था और भंसाली को थप्पड़ जड़ दिया था। साथ ही उनके साथ मारपीट और अभद्रता भी की थी। इसके बाद बिना फिल्म की शूटिंग पूरी किए उन्हें पैकअप कर वापस मुबंई जाना पड़ा था।
9 अक्टूबर को ट्रेलर हुआ था रिलीज
पद्मावत फिल्म का ट्रेलर 9 अक्टूबर 2017 को रिलीज किया गया था। हालांकि उस समय फिल्म का नाम पद्मावती था। ट्रेलर के रिलीज होते ही राजपूत करणी सेना ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया था। करणी सेना आरोप लगाती आई है कि फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच गलत दृश्य दर्शाया गया है।
17 नवंबर को ये हुआ
फिल्म की रिलीज 1 दिसंबर 2017 को प्रस्तावित थी। लेकिन, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) ने तकनीकी कारणों से फिल्म को वापस फिल्ममेकर्स को लौटा दिया था क्योंकि प्रमाणन के लिए किया गया आवेदन अधूरा बताया गया था। उसने कहा था कि पहले फिल्म की तकनीकी कमियों को दूर किया जाए उसके बाद आगे कदम बढ़ाया जाएगा।
28 दिसंबर को इतिहासकारों को दिखाई थी फिल्म
विवादों में फंसी फिल्म पद्मावत की रिलीज को लेकर सेंसर बोर्ड ने तीन इतिहासकारों की भी राय ली थी। बोर्ड ने जयपुर के इतिहासकारों की राय जानने के लिये उन्हें आमंत्रित किया है था। फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के बारे समीक्षा करने के लिए सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने इन्हें आमंत्रित किया था। इसके बाद फिल्म का नाम बदलकर पद्मावत रखा गया। वहीं, फिल्म को लेकर कहा गया कि इसमें पांच बदलाव किए गए और पद्मावत को रिलीज करने की तारीख 25 जनवरी तय तक दी गई।
फिल्म बैन के लिए खटखटाया एससी का दरवाजा
फिल्म को रिलीज करने की तारीख का ऐलान होने के बाद करणी सेना ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया और बैन करने की मांग का गई, जिसके बाद कई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित राज्य सरकारों ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी। फिर मामला बढ़ते देख देश से सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया।
एससी ने दी फिल्म को हरी झंडी
कई राज्यों में फिल्म बैन होने के बाद मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा, जहां न्यायालय ने 18 जनवरी को फिल्म पद्ममावत पूरे देश में रिलीज करने के लिए हरी झंडी दे दी और राज्य सरकारो द्वारा लगाया बैन भी हटा दिया। हालांकि मामला यहीं शांत नहीं हुआ। इसके बाद राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार ने आदेश पर दोबारा पुनर्विचार याचिका डाली जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए सिनेमाघरों को सुरक्षा देने का आदेश दिया।