किसान आंदोलन: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के आंदोलन ने पकड़ा जोर, तीसरी महापंचायत में जुटे हजारों किसान
By अनुराग आनंद | Published: February 1, 2021 08:05 AM2021-02-01T08:05:17+5:302021-02-01T08:09:12+5:30
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बनाए तीनों कृषि कानून के खिलाफ अब राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के बाद आंदोलन की आंच उत्तर प्रदेश भी पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसान पंचायत लगाकर दिल्ली सीमा की तरफ कूच करने का ऐलान कर रहे हैं।
बागपत: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन का विस्तार अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी होता दिख रहा है जहां रविवार को बागपत में आयोजित महापंचायत में हजारों लोग शामिल हुए। इस क्षेत्र में तीन दिनों के अंदर यह ऐसा तीसरा आयोजन था। यहां तहसील मैदान पर हुई ‘सर्व खाप पंचायत’ में आसपास के जिलों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर किसान बड़ी संख्या में पहुंचे।
कई ट्रैक्टरों पर तो तेज आवाज में संगीत बज रहा था और बहुतों पर तिरंगे के साथ किसान यूनियनों का झंडा भी लगा था। शुक्रवार को मुजफ्फरनगर और शनिवार को मथुरा के बाद यह क्षेत्र में किसानों की तीसरी महापंचायत थी।
‘‘आंदोलन पूरी ताकत के साथ जारी रहेगा’’
मुजफ्फरनगर व मथुरा में हुई महापंचायत में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेतृत्व में होने वाले विरोध प्रदर्शन को समर्थन व्यक्त किया गया। भाकियू नेता राजेंद्र चौधरी ने यहां मौजूद लोगों से कहा, ‘‘आंदोलन पूरी ताकत के साथ जारी रहेगा।’’
कार्यक्रम में शामिल हुए बड़ौत के एक स्थानीय निवासी ने ‘भाषा’ को बताया कि महापंचायत में 26 जनवरी को बागपत जिले में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पर भी चर्चा हुई।
रविवार को हुई ‘सर्व खाप महापंचायत’ में पहुंचने वाले प्रमुख क्षेत्रीय किसान नेताओं में देश खाप के चौधरी सुरेंद्र सिंह और चौबीसी खाप के चौधरी सुभाष सिंह शामिल थे। इसके अलावा अजीत सिंह के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और आप के समर्थक भी महापंचायत में मौजूद थे।
किसानों ने तय किया कि स्थिति को समझें और दिल्ली की सीमाओं की ओर बढ़ना शुरू करें
शाम में महापंचायत की समाप्ति की घोषणा करने से पहले देश खाप के प्रमुख चौधरी सुरेंद्र सिंह ने भीड़ से कहा, ‘‘स्थिति को समझें और दिल्ली की सीमाओं की ओर बढ़ना शुरू करें और गाजीपुर तथा सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन को पूर्ण समर्थन दें।’’ देश खाप के एक अन्य नेता ब्रजपाल चौधरी ने कहा कि अब लड़ाई किसानों के आत्मसम्मान की है।
उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस और प्रशासन बल से आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन जब तक नए कानून वापस नहीं लिए जाते यह समाप्त नहीं होगा।’’ चौधरी हरीपाल सिंह ने महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों के एकत्र होने पर प्रसन्नता जतायी।
‘‘बेशक दिल्ली में पुलिस वालों ने किसानों को डंडे मारे हों, पर हम आज भी ‘जय जवान जय किसान’ बोलते हैं"
एक स्थानीय नेता ने मंच से भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘बेशक दिल्ली में पुलिस वालों ने किसानों को डंडे मारे हों, पर हम आज भी ‘जय जवान जय किसान’ बोलते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ भी हो उसका जवाब हम अहिंसा से देंगे, हिंसा से नहीं। प्रदर्शन स्थल पर हमारे नेता और हमारे पंच (पंचायत के नेता) फैसला करेंगे और हम उसका पालन करेंगे।’’
गणतंत्र दिवस पर ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के बाद ऐसा लग रहा था कि किसान आंदोलन ठंडा पड़ जाएगा लेकिन भाकियू नेता राकेश टिकैत की भावनात्मक अपील ने इसमें नई जान फूंक दी और गाजीपुर स्थित प्रदर्शन स्थल पर हजारों की संख्या में किसान जुट गए और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आयोजित हो रही महापंचायतों में भी किसानों की काफी भीड़ जुट रही है।
(एजेंसी इनपुट)