‘संविधान के मूल ढांचे’ पर ऐतिहासिक निर्णय दिलाने वाले केशवानंद भारती का निधन
By भाषा | Published: September 6, 2020 06:51 PM2020-09-06T18:51:59+5:302020-09-06T18:51:59+5:30
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने केरल के 79 वर्षीय संत के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि लोगों के प्रति अपनी सेवा को लेकर वह याद रखे जाएंगे। पुलिस ने बताया कि केरल निवासी संत केशवानंद भारती श्रीपदगलवरु का वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियों के चलते यहां एडनीर मठ में निधन हो गया।
कासरगोड: केशवानंद भारती का रविवार को यहां निधन हो गया। उनकी याचिका पर ही उच्चतम न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ के बारे में ऐतिहासिक निर्णय दिया था। सत्तर के दशक के प्रारंभ में इस मामले की सुनवाई 68 दिनों तक चली थी और यह उच्चतम न्यायालय में चली अब तक की सबसे लंबी कार्यवाही थी। सुनवाई पीठ में 13 न्यायाधीश शामिल थे, जो शीर्ष न्यायालय में अब तक की सबसे बड़ी पीठ थी।
उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने केरल के 79 वर्षीय संत के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि लोगों के प्रति अपनी सेवा को लेकर वह याद रखे जाएंगे। पुलिस ने बताया कि केरल निवासी संत केशवानंद भारती श्रीपदगलवरु का वृद्धावस्था में होने वाली बीमारियों के चलते यहां एडनीर मठ में निधन हो गया।
पुलिस ने कहा, ‘‘ हमें मिली सूचना के मुताबिक रविवार तड़के करीब साढ़े तीन बजे उनका निधन हुआ।’’ दिवंगत संत को मठ में विभिन्न तबके और हर क्षेत्र के लोगों ने श्रद्धांजलि दी। वह इस मठ के पांच दशक पहले प्रमुख बने थे। उल्लेखनीय है कि चार दशक पहले भारती ने केरल भूमि सुधार कानून को चुनौती दी थी,जिसने यह सिद्धांत स्थापित किया कि ‘उच्चतम न्याालय संविधान के मूल ढांचे का संरक्षक है’ और 13 न्यायधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया, जो शीर्ष न्यायालय में अब तक की सबसे बड़ी पीठ थी।
हालांकि, केशवानंद को वह राहत नहीं मिली जो वह चाहते थे, लेकिन यह मामला अपने ऐतिहासिक फैसले को लेकर महत्वपूर्ण हो गया जिसने संविधान में संशोधन की संसद की व्यापक शक्तियों में कटौती कर दी। साथ ही, न्यायपालिका को किसी भी संविधान संशोधन की समीक्षा करने की शक्ति भी प्रदान कर दी। मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के. चंद्रू ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘ ‘‘केशवानंद भारती मामले का महत्व इसके इस फैसले की वजह से है कि संविधान में संशोधन किया जा सकता है, लेकिन इसके ‘‘मूल ढांचे’’ में नहीं।’
वरिष्ठ अधिवक्ता पी दतार ने कहा कि जब मठ की कुछ जमीन केरल भूमि सुधार कानून के तहत अधिग्रहित कर ली गई तब भारती ने इसके खिलाफ केरल उच्च न्यायालय का रुख किया था और आंशिक रूप से सफल हुए थे। हालांकि, जब संसद द्वारा स्वीकृत किये गये 29 वें संविधान संशोधन ने केरल के कानून को संरक्षण दे दिया तब उन्होंने इसे चुनौती देने के लिये शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि 29 वां संशोधन वैध है और यह कहा कि नौवीं अनुसूची में शामिल किये गये केरल के दो भूमि अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 31 बी के तहत संरक्षण पाने के हकदार हैं।
फैसले में कहा गया कि हालांकि ससंद के पास संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन उसके पास इसके मूल ढांचे को निष्प्रभावी करने की शक्ति नहीं है। उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कांग्रेस नेता अभिषेक मुन सिंघवी, भाजपा केरल इकाई प्रमुख के. सुरेंद्रन सहित अन्य ने भारती को श्रद्धांजलि दी। नायडू ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘स्वामी केशवानंद भारती की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने 1973 में अपना ऐतिहासिक निर्णय दिया था कि संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदला जा सकता।’’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘उनके निधन से राष्ट्र ने एक महान संत और आध्यात्मिक गुरु खो दिया है। उनका जीवन हमें सदैव प्रेरणा देता रहेगा।’’ प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘ हम पूज्य केशवानंद भारती जी को, सामुदायिक सेवा और दबे कुचले तबके को सशक्त करने के प्रति उनके योगदान को लेकर उन्हें हमेशा याद रखेंगे। वह भारत की समृद्ध संस्कृति और हमारे संविधान से गहराई से जुड़े हुए थे। वह पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। ओम शांति। ’’
केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार मामले की सुनवाई 68 दिनों तक चली थी और यह शीर्ष न्यायालय में चली अब तक की सबसे लंबी कार्यवाही थी। केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर 1972 को शुरू हुई और 23 मार्च 1973 को सुनवाई पूरी हुई। भारतीय संवैधानिक कानून में इस मामले की सबसे अधिक चर्चा होती है। भाषा सुभाष नरेश नरेश