Kerala Rain Aerts: आगामी पांच दिन में हो सकती है केरल के कई हिस्सों में बारिश, आईएमडी वेबसाइट ने इन जिलों में जारी किया अलर्ट
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 6, 2023 16:01 IST2023-11-06T11:47:48+5:302023-11-06T16:01:16+5:30
Kerala rain alerts: आईएमडी वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार, आलप्पुषा और एरणाकुलम जिलों में अधिक बारिश हुई थी।

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Kerala rain alerts: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने उत्तरी तमिलनाडु और आसपास के इलाकों पर बने चक्रवाती परिसंचरण के कारण अगले पांच दिन के दौरान केरल के कई हिस्सों में बारिश होने का सोमवार को पूर्वानुमान लगाया। आईएमडी ने बताया कि चक्रवाती परिसंचरण के कारण केरल में आगामी पांच दिन में सामान्य से मध्यम बारिश हो सकती है।
उसने बताया कि राज्य के कुछ हिस्सों में छह से नौ नवंबर के बीच भारी बारिश हो सकती है। बीते महीनों में केरल के अधिकतर हिस्सों में सामान्य बारिश हुई थी जबकि कुछ हिस्सों में इसके मुकाबले अधिक बारिश हुई। आईएमडी वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार, आलप्पुषा और एरणाकुलम जिलों में अधिक बारिश हुई थी।
जबकि तिरुवनंतपुरम और पतनमतिट्टा में बहुत अधिक बारिश हुई। वायनाड राज्य का एकमात्र जिला था जहां पांच नवंबर तक बीते एक महीने में कम बारिश हुई। अधिक बारिश का अर्थ है कि मौसम के दौरान सामान्य मानी जाने वाली वर्षा से 20-59 प्रतिशत तक अधिक बारिश होना, जबकि 60 प्रतिशत से अधिक बारिश होने पर इसे बहुत अधिक माना जाता है।
मौसम विभाग ने आंध्र प्रदेश में छह से आठ नवंबर के बीच बारिश होने का अनुमान जताया
मौसम विभाग ने छह से आठ नवंबर के बीच आंध्र प्रदेश के विभिन्न भागों में बारिश होने का सोमवार को अनुमान जताया है। विभाग ने सोमवार और मंगलवार को आंध्र प्रदेश के दक्षिणी तटीय इलाकों और रायलसीमा के विभिन्न हिस्सों में भारी बारिश होने की संभावना जताई है।
विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि दो दिन में पूरे राज्य में अलग-अलग स्थानों और आंध्र प्रदेश के दक्षिणी तटीय इलाकों तथा रायलसीमा में मंगलवार को गरज के साथ बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग ने यह भी कहा कि दक्षिण-पूर्वी अरब सागर और निकटवर्ती लक्षद्वीप द्वीपसमूह से पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी के बीच एक मौसम प्रणाली बन रही है।
विभाग ने कहा कि इस मौसम प्रणाली के प्रभाव के चलते पश्चिम गोदावरी जिले के कई स्थानों पर भी सोमवार को वर्षा हो रही है। इस प्रणाली ने आंध्र प्रदेश के दक्षिणी तटों, केरल तथा कर्नाटक के एक हिस्से को प्रभावित किया है और यह समुद्र तल से औसतन 1.5 किलोमीटर ऊपर तक फैली हुई है।