केरल भारत का ही अंग है, वहां की अदालतें शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन करने को बाध्य हैं: सुप्रीम कोर्ट

By भाषा | Published: September 18, 2019 05:38 AM2019-09-18T05:38:46+5:302019-09-18T05:38:46+5:30

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय को उसके फैसले और आदेशों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है क्योंकि वे बाध्यकारी हैं और हर कीमत पर न्यायिक शुचिता बनाकर रखनी होगी।

Kerala is part of India, courts there are bound by top court's orders SC | केरल भारत का ही अंग है, वहां की अदालतें शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन करने को बाध्य हैं: सुप्रीम कोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsसंविधान के अनुच्छेद 141 के अनुसार शीर्ष अदालत द्वारा घोषित कानून सभी अदालतों के लिये बाध्यकारी है।अनुच्छेद 144 के तहत भारत की सीमा के भीतर दीवानी और न्यायिक प्राधिकारी उच्चतम न्यायालय की सहायता में काम करेंगे।

गिरजाघरों से संबंधित मामले में केरल उच्च न्यायालय द्वारा शीर्ष अदालत के फैसले और आदेश के साथ छेड़छाड़ से नाराज उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि केरल भारत का ही अंग है और वहां की अदालतें शीर्ष अदालत द्वारा घोषित व्यवस्था का पालन करने के लिये बाध्य हैं। शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय और सभी दीवानी अदालतों को शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले का उल्लंघन करते हुये कोई भी आदेश पारित करने से रोक दिया है।

इस फैसले में न्यायालय ने अपनी व्यवस्था में कहा था कि 1934 के मालनकारा गिरजाघर के संविधान और दिशानिर्देशों के अनुरूप ही प्रार्थना सभा की जायेगी। शीर्ष अदालत ने 2017 के इस फैसले में प्रशासन के अधिकार और गिरजाघरों में प्रार्थना को लेकर दो धड़ों के बीच विवाद के संदर्भ में अपनी व्यवस्था दी थी।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 141 के अनुसार शीर्ष अदालत द्वारा घोषित कानून सभी अदालतों के लिये बाध्यकारी है और अनुच्छेद 144 के तहत भारत की सीमा के भीतर दीवानी और न्यायिक प्राधिकारी उच्चतम न्यायालय की सहायता में काम करेंगे।

पीठ ने छह सितंबर को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘केरल भारतीय सीमा के भीतर होने के कारण सभी सम्बद्ध तद्नुसार ही काम करने के लिये बाध्य हैं। हमारी मंशा गिरजाघर में शांति कायम करने की थी, परंतु इस न्यायालय द्वारा प्रतिपादित कानून का उल्लंघन करते हुये ऐसे आदेश पारित किये जाने की वजह से कानून का कभी भी पालन नहीं किया जा सकता।’’

पीठ ने कहा, ‘‘यह फैसले और आदेश के उल्लंघन के समान है। उच्च न्यायालय (केरल) ने इस न्यायालय के फैसले और आदेशों का उल्लंघन करते हुये अंतरिम आदेश पारित किये हैं।’’ शीर्ष अदालत ने केरल उचच न्यायालय का अंतरिम आदेश निरस्त कर दिया जिसमें कहा गया था कि गिरजाघरों में प्रार्थना सभाओं का आयोजन मलानकारा गिरजाघर के दोनों प्रतिद्वन्द्वी गुट बारी-बारी से करेंगे।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय को उसके फैसले और आदेशों के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है क्योंकि वे बाध्यकारी हैं और हर कीमत पर न्यायिक शुचिता बनाकर रखनी होगी। न्यायालय ने कहा कि उसके आदेश की प्रति तत्काल ही केरल में सभी अदालतों और संबंधित प्राधिकारियों को केरल उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल भेजेंगे और इस न्यायालय को सूचित करेंगे कि गिरजाघर से संबंधित उपरोक्त विवाद को लेकर विभिन्न अदालतों में कितने मुकदमे लंबित हैं।

न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल तीन महीने में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत में पेश करेंगे। पीठ ने मलानकारा गिरजाघर के अंतर्गत आने वाले गिरजाघरों और 1100 परिशेष का नियंत्रण सौंपने के बारे में शीर्ष अदालत के फैसले पर अमल से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।

Web Title: Kerala is part of India, courts there are bound by top court's orders SC

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे