केरल: कन्नूर में शुरू हुई बमबाजी कल्चर के शिकार हो रहे हैं मासूम बच्चे

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 15, 2022 05:26 PM2022-07-15T17:26:05+5:302022-07-15T17:32:56+5:30

केरल के कन्नूर में हो रही बमबाजी की घटनाओं के लिए कथित तौर पर सीपीआई (एम), आरएसएस, पीएफआई और कांग्रेस पार्टी एक दूसरे को दोषी ठहराते रहते हैं।

Kerala: Innocent children are falling prey to the bombing culture that started in Kannur | केरल: कन्नूर में शुरू हुई बमबाजी कल्चर के शिकार हो रहे हैं मासूम बच्चे

केरल: कन्नूर में शुरू हुई बमबाजी कल्चर के शिकार हो रहे हैं मासूम बच्चे

Highlightsकन्नूर में राजनीतिक वर्चस्वता के लिए हो रही हिंसा के चपेट में कई बार बच्चे भी आ जाते हैं राजनीतिक बदले के लिए होने वाली हिंसक घटनाओं में खुलकर देसी बमों का प्रयोग होता हैसीपीआई (एम), संघ, पीएफआई और कांग्रेस इन घटनाओं के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराते हैं

कन्नूर: बीते कुछ समय से केरल के कन्नूर में होने वाले बम हादसों के कारण क्षेत्र की स्थिति बहुत ही अशांत है। राजनीतिक वर्चस्वता के लिए हो रही हिंसा के चपेट में केवल बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी शिकार हो रहे हैं। पुलिस जांच में एक बात स्पष्ट तौर पर उभर कर सामने आयी है कि राजनीतिक बदले के लिए होने वाली हिंसक घटनाओं में देसी बमों का प्रयोग हो रहा है।

समाचार वेबसाइट 'द न्यूज मिनट' के मुताबिक कन्नूर में लगातार हो रहा राजनीतिक प्रतिशोध की इन कथित घटनाओं के लिए सीपीआई (एम), आरएसएस, पीएफआई और कांग्रेस पार्टी एक दूसरे को दोषी ठहराते हैं।

केरल पुलिस के मुताबिक विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत साल 2021 में दर्ज किये गये कुल मामलो में से 46 मामले कन्नूर में दर्ज किये गये। इस साल की मई तक कन्नूर में कुल 20 केस दर्ज किये गये हैं, वैसे ग्रामीणों के मुताबित असली मामलों की संख्या बहुत अधिक है।

ग्रामीणों का कहना है कि राजनीतिक दलों से प्रभावित कई ऐसे युवक हैं, जो स्थानीय नेताओं के इशारे पर देसी बम बनाते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक पनूर, कूथुपरम्बा, इरिट्टी, चोकली, पोन्नयम और किज़ूर जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में ऐसी दुर्घटनाओं के मामले सामने आते हैं, जो सीधे तौर पर बम बनाने से जुड़ी होती हैं।

यहां जो देसी बम बनते हैं, उनमें अमोनियम और सल्फेट पाउडर, लोहे की कील, टूटे शीशे मिले होते हैं। इस देसी बम के अचानक फटने से कई बच्चे भी बुरी तरह से घायल हो चुके हैं।

साल 2016 में कन्नूर के कूथुपरम्बा का एक 11 वर्षीय लड़का देवानंद भी देसी बम के फटने के कारण घायल हो गया था, जब वह अपने एक रिश्तेदार के साथ अपनी मौसी के घर आया था। घायल होने के बाद देवानंद ने बताया कि ''उस वक्त बम फट गया जब वो घर के अंदर एक ईंट को हटा रहा था।'' गंभीर रूप से घायल होने के बाद दवानंद को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

कन्नूर के रहने वाले कृष्णन बताते हैं कि केवल देवानंद ही नहीं यहां कई बच्चे बम विस्फोटों में घायल हो चुके हैं। उनका कहना है कि लोग इन घटनाओं के बारे में इसलिए नहीं बोलते हैं क्योंकि इन देसी बमों के तार राजनीतिक दलों से जुड़ते हैं। यहां तक ​​कि पुलिस भी इन मामलों में खुद को असहाय समझती है।

कन्नूर के रहने वाले एक युवा ने बताया कि उसे बम बनाने की ट्रेनिंग खुद उसके चाचा ने दी थी। एक बार वो बम बना रहा था उसी दौरान विस्फोट हो गया और वो बुरी करह से घायल हो गया। कन्नूर के कई घरों में लोग अपनी पार्टी के प्रभुत्व को प्रभावशाली बनाने के लिए देसी बम बनाते हैं।

लेकिन जब घरों में बम धमाकों की घटनाएं तेजी से होने लगीं तो ऐसे लोगों ने खाली घरों और परिसरों में उसे बनाने का ताम शुरू कर दिया और यदा-कदा वो तैयार बम को अपने साथ ले जाना भूल जाते हैं और यह कारण है कि कभी-कभी बम दुर्घटनाएं की बात सामने आती हैं।

इस मामले में कन्नूर में लंबे समय तक काम कर चुके एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये देसी बम सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए बनाए जाते हैं। चूंकि इनसे होने वाली दुर्घटनाएं मुख्य रूप से गांवों में होती हैं, इसलिए अक्सर उन्हें दबा दिया जाता है। वहीं पुलिस की भी अपनी सीमाएं हैं और वो उसके पार जाकर कोई काम नहीं कर सकती है।

Web Title: Kerala: Innocent children are falling prey to the bombing culture that started in Kannur

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