केरल उच्च न्यायालय ने टीके की दूसरी खुराक के बारे में अपना पहले का आदेश रद्द किया
By भाषा | Updated: December 3, 2021 17:42 IST2021-12-03T17:42:43+5:302021-12-03T17:42:43+5:30

केरल उच्च न्यायालय ने टीके की दूसरी खुराक के बारे में अपना पहले का आदेश रद्द किया
कोच्चि, तीन दिसंबर केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपने पूर्व के एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया था कि पात्र लोगों को वर्तमान अनिवार्य 84 दिनों के बजाय चार सप्ताह के अंतराल के बाद कोविशील्ड की दूसरी खुराक लेने की अनुमति दी जाए।
मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ ने केंद्र सरकार की अपील पर विचार करने के बाद अपनी एकल पीठ का आदेश रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि वह केंद्र सरकार के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
केंद्र ने काइटेक्स गारमेंट्स लिमिटेड (केजीएल) की याचिका पर न्यायमूर्ति पी बी सुरेश कुमार के तीन सितंबर को सुनाए गए फैसले को चुनौती दी थी। केजीएल की याचिका में 84 दिनों तक इंतजार किए बिना उसने अपने कर्मचारियों को टीके की दूसरी खुराक देने की अनुमति का अनुरोध किया था।
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने खुराक के बीच के अंतर को घटाकर 30 दिन कर दिया था।
केंद्र सरकार ने अपनी अपील में तर्क दिया कि यदि एकल न्यायाधीश के फैसले को रद्द नहीं किया गया तो यह देश की टीकाकरण नीति को पटरी से उतार सकता है और इसके परिणामस्वरूप कोविड-19 से लड़ने की उसकी रणनीति के क्रियान्वयन में गड़बड़ी होगी।
केंद्र ने यह भी दावा किया है कि तीन सितंबर के फैसले में वैज्ञानिक नजरिए से देखने के बजाय संविधान में प्रदान किए गए समानता के अधिकार के आधार पर मूल्यांकन करने का प्रयास किया गया और यदि अनुमति दी गई तो इसके सामाजिक रूप से अच्छे परिणाम नहीं होंगे, जो नहीं होने देना चाहिए।
केजीएल ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने अपने 5,000 से अधिक कामगारों को टीके की पहली खुराक दे दी है और लगभग 93 लाख रुपये की लागत से दूसरी खुराक की व्यवस्था की है, लेकिन मौजूदा प्रतिबंधों के कारण इसे प्रदान करने में वह असमर्थ है।
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