केरल: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सीएम पिनाराई विजयन से कहा- 'आप संभालो चांसलर का पद, मैं चांसलर के रूप में काम नहीं करना चाहता'
By रुस्तम राणा | Published: December 11, 2021 01:16 PM2021-12-11T13:16:05+5:302021-12-11T13:16:05+5:30
उन्होंने चिट्ठी में लिखा सीएम को लिखा है कि आप विश्वविद्यालयों के अधिनियमों में संशोधन करें और आप व्यक्तिगत रूप से चांसलर का पद ग्रहण करें, ताकि आप सरकार पर निर्भरता के बिना अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा कर सकें।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के बीच तल्खियां बढ़ गई हैं। विश्विद्यालयों में चांसलर की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खाने ने मुख्यमंत्री विजयन पर चिट्ठी लिखकर निशाना साधा है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा सीएम को लिखा है कि आप विश्वविद्यालयों के अधिनियमों में संशोधन करें और आप व्यक्तिगत रूप से चांसलर का पद ग्रहण करें, ताकि आप सरकार पर निर्भरता के बिना अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा कर सकें। राज्यपाल ने आग पत्र में चांसलर की जिम्मेदारियों से इस्तीफा देने की धमकी भी दी है।
इन दो विश्वविद्याल में चांसलर की नियुक्ति पर उठा विवाद
राज्यपाल ने अपनी चिट्ठी में केरल के कन्नूर विश्वविद्यालय के चांसलर की नियुक्ति पर नाराजगी व्यक्त की है, जिन्हें कि सर्च कमेटी को निलंबित करने के बाद दूसरा कार्यकाल दिया गया है। इसके अलावा आरिफ मोहम्मद खान ने कलाडी संस्कृत विश्वविद्यालय में चांसलर की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े किए हैं।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार के साथ नहीं चाहते विवाद
राज्यपाल ने मीडिया को बताया है कि वे सरकार के साथ किसी तरह का विवाद नहीं चाहते हैं। वे चांसलर के रूप में अब आगे काम नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी चिट्ठी पर सरकार की जो भी प्रतिक्रिया हो मैं इस राजनीतिक हस्तक्षेप को और बर्दाश्त नहीं कर सकता।
My advice to you is to amend Acts of universities & you personally assume the position of Chancellor, so that you can carry out your political objectives without any dependence on Gov: Kerala Gov AM Khan writes to Kerala CM over political appointments in Universities of the state pic.twitter.com/9chvwVbput
— ANI (@ANI) December 11, 2021
राज्य सरकार पर लगाया विश्वविद्यालय की स्वायत्तता समाप्त करने का आरोप
उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री को लिख चुका हूं, कृपया चांसलर का पद संभालें। यह बहुत आसान है। यह संवैधानिक पद नहीं है। यह एक कर्तव्य है जिसे विश्वविद्यालय के अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया है। अधिनियम में संसोधन करें। अध्यादेश लाओ, मैं इस पर तुरंत हस्ताक्षर करुंगा। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा मेरी नाक के नीचे विश्वविद्याल की स्वायत्तता समाप्त की जा रही है। मैं उसमें पक्षकार नहीं हो सकता।