बच्ची को अपमानित करने के मुद्दे पर केरल सरकार का रुख एक ‘गुगली’ है: उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: December 20, 2021 18:52 IST2021-12-20T18:52:17+5:302021-12-20T18:52:17+5:30

Kerala government's stand on child humiliation a 'googly': High Court | बच्ची को अपमानित करने के मुद्दे पर केरल सरकार का रुख एक ‘गुगली’ है: उच्च न्यायालय

बच्ची को अपमानित करने के मुद्दे पर केरल सरकार का रुख एक ‘गुगली’ है: उच्च न्यायालय

कोच्चि, 20 दिसंबर केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार के उस बयान को 'स्पिन' या 'गुगली' करार दिया जिसमें उसने कहा था कि रिकॉर्ड में ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो यह दर्शाती हो कि एक पिंक पुलिस अधिकारी ने अगस्त में एक पिता और उसकी आठ वर्षीय पुत्री पर अपना फोन चुराने का आरोप लगाया था और बच्ची को अपमानित किया था।

राज्य सरकार का ताजा रुख पिछले हफ्ते अदालत की उस टिप्पणी के जवाब में आया है जिसमें कहा गया था कि लड़की सार्वजनिक कानून के तहत मुआवजे की हकदार है और सरकार बताए कि वह कितनी राशि देगी।

अदालत के अवलोकन और सवाल के जवाब में, राज्य सरकार ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसी कोई सामग्री नहीं है कि एक पिंक पुलिस अधिकारी ने लड़की को रोका या उसे अपमानित किया गया जिससे उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ या जिससे वह सार्वजनिक कानून के तहत मुआवजे की हकदार हो।

उच्च न्यायालय ने कहा कि न तो राज्य को और न ही पुलिस को इस तरह का रुख अपनाना चाहिए- वह भी तब जब महिला पिंक पुलिस अधिकारी ने अपने बयान में स्वीकार किया था कि उसने अपना फोन मिलने तक पिता-पुत्री को घटनास्थल पर रोका था।

अदालत ने कहा कि महिला अधिकारी ने यह भी स्वीकार किया था कि भीड़ जमा होने से पहले ही बच्ची रोने लगी थी, लेकिन पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के हलफनामे में कहा गया कि लड़की वहां लोगों द्वारा उपहास उड़ाए जाने के बाद ही रोई।

इसने कहा, "आप (राज्य) प्रतिवादी 4 (पिंक पुलिस अधिकारी) द्वारा सब कुछ स्वीकार किए जाने के बाद यह सब बहस कर रहे हैं।"

अदालत ने कहा, "आपके (राज्य) अनुसार, बच्ची को अपमानित नहीं किया गया था और वह भीड़ द्वारा उपहास उड़ाए जाने के कारण रोने लगी थी। राज्य द्वारा एक नया ‘‘स्पिन’’ बनाया जा रहा है। यह एक अच्छा ‘‘स्पिन’’ है, एक ‘‘गुगली’’ है।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि आईजीपी ने अपने हलफनामे में अपने द्वारा देखे गए वीडियो का भी उल्लेख किया है और पूछा कि इसे रिकॉर्ड में क्यों नहीं रखा गया।

अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता (लड़की) को वीडियो को रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया जाता है, तो राज्य इसे फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजना चाहेगा और इसलिए, निर्देश दिया जाता है कि आईजीपी द्वारा देखे गए वीडियो को 22 दिसंबर को सुनवाई की अगली तारीख से पहले रिकॉर्ड में रखा जाए।

उच्च न्यायालय आठ वर्षीय लड़की की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सरकार को उसके मौलिक अधिकार के उल्लंघन के लिए अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है।

याचिकाकर्ता ने 27 अगस्त को हुई अपमानजनक घटना के लिए सरकार से मुआवजे के रूप में 50 लाख रुपये की भी मांग की है।

अदालत ने 15 दिसंबर को कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राशि "अत्यधिक" है, लेकिन उसका विचार है कि बच्ची को सार्वजनिक कानून के तहत मुआवजा दिया जाना चाहिए।

यह घटना 27 अगस्त को अत्तिंगल निवासी जयचंद्रन और आठ साल की उनकी बेटी के साथ मूनुमुक्कू में हुई थी।

यातायात नियमन में सहायता के लिए तैनात महिला पिंक पुलिस अधिकारी रजिता ने दोनों पर पुलिस वाहन में रखे मोबाइल फोन को चोरी करने का आरोप लगाया था।

वायरल हुए एक वीडियो में अधिकारी और उनके सहयोगी पिता-पुत्री को परेशान करते और यहां तक ​​कि उनकी तलाशी लेते हुए दिखाई देते हैं। इस दौरान बच्ची रोने लगती है।

हालांकि, जब वहां मौजूद एक व्यक्ति ने अधिकारी का नंबर डायल किया, तो मोबाइल फोन पुलिस वाहन में ही मिला, जिसके बाद पुलिस टीम पिता और बेटी से माफी मांगे बिना ही वहां से चली गई।

अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत महिला अधिकारी का तबादला कर दिया गया और राज्य के पुलिस प्रमुख ने उसे व्यवहार प्रशिक्षण से गुजरने का निर्देश दिया।

अदालत ने पहले कहा था कि पिंक पुलिस अधिकारी के आचरण से "खाकी के शुद्ध अहंकार" का संकेत मिलता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Kerala government's stand on child humiliation a 'googly': High Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे