कठुआ गैंगरेप की वकील की तस्वीर वायरल, लोगों ने कहा- बुलंद इरादों के साथ दिलाएंगी इंसाफ
By पल्लवी कुमारी | Published: April 19, 2018 08:58 PM2018-04-19T20:58:55+5:302018-04-19T20:58:55+5:30
जम्मू बार एसोसिएशन ने वकील पर केस छोड़ने का भी दवाब बनाया था। वकील दीपिका सिंह रजावत पीड़ित परिवार के साथ उस वक्त खड़ी हुईं थी, जब प्रशासन से लेकर स्थानीय लोग तक आरोपियों का समर्थन कर रहे थे।
श्रीनगर, 19 अप्रैल: जम्मू-कश्मीर के कठुआ गैंगरेप और हत्या के बाद पूरे देश में लोग आठ साल की बच्ची के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। इस मामले में दायर चार्जशीट में साफ-साफ बताया गया है कि बच्ची के साथ किस हैवानियत के साथ हफ्ते भर बंधक बनाकर गैंगरेप किया गया है।
इतना ही नहीं इस बात पर तो राजनीति भी हो रही है। आरोपियों के पक्ष में रैली निकाली गई थी। फिलहाल यह मामला क्राइम ब्रांच की देखरेख में है। इस मामले में खुद सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वत: संज्ञान लिया था। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर सरकार से इस बात के लिए जवाब मांगा था।
वहीं, इस बीच कठुआ रेप केस में पीड़िता के परिवार का मुकदमा लड़ रही वकील दीपिका सिंह रजावत की एक तस्वीर वायरल हो रही है। दीपिका की तस्वीर इसलिए भी ज्यादा वायरल हो रही है क्योंकि पीड़िता के परिवार के साथ खड़ी हुईं थी। जब प्रशासन से लेकर स्थानीय लोग तक आरोपियों का समर्थन कर रहे थे। सोशल मीडिया पर लोग दीपिका की काफी वाहवाही भी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह बिल्कुल निडर हैं। ये किसी के दवाब में आए बिना अपना काम निडर होकर करेंगी।
How often do we see a photograph like this? A confident, professional woman flanked by men who are not lecheroulsy staring at her. pic.twitter.com/x0fSa786bT
— Ashwaq Masoodi (@ashwaqM) April 17, 2018
बता दें कि जम्मू बार एसोसिएशन ने दीपिका पर केस छोड़ने का भी दवाब बनाया था। इसके बावजूद भी वह डटी रहीं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हुई मामले की सुनवाई से पहले मीडिया से कहा भी था, , 'मेरा बलात्कार भी हो सकता है। मेरा कत्ल भी किया जा सकता है और शायद वे मुझे कोर्ट में प्रैक्टिस ही न करने दें। उन्होंने मुझे अलग-थलग कर दिया है. मुझे नहीं पता मैं कैसे रह पाऊंगी।'
Can't stop being amazed at the courage shown by Deepika Singh Rajawat. She's a hero if there ever was one. https://t.co/b39MDWELZx
— Shivam Vij (@DilliDurAst) April 15, 2018
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वहीं, इस मामले में 18 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पीड़िता की पहचान जाहिर करने वाले मीडिया हाउसों को 10 लाख रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इन मीडिया हाउस द्वारा दिया गया पैसा जम्मू-कश्मीर पीड़ित क्षतिपूर्ति फंड में ट्रांसफर किया जाएगा। अदालत ने बलात्कार पीड़िताओं की पहचान उजागर करने वाले मीडिया वालों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि बलात्कार पीड़िताओं की पहचान जाहिर करने वाले किसी भी व्यक्ति को छह महीने तक जेल की सजा हो सकती है। हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 अप्रैल की तारीख दी है।