दिल्ली: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आगामी 23 सितंबर को राजा हरि सिंह के जन्मदिन पर वार्षिक अवकाश की घोषणा की है। इस संबंध में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सार्वजनिक नोटिस जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि डोगरा राजवंश के राजा और जम्मू-कश्मीर रियासत के अंतिम शासक महाराजा महाराजा हरि सिंह के जन्मदिन पर 23 सितंबर को वार्षिक अवकाश रहेगा।
सरकार की ओर जारी अधिसूचना में कहा गया है, “महाराजा हरि सिंह जी की जयंती मनाने के लिए हर साल 23 सितंबर को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 के तहत जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के सरकारी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश रहेगा।”
इससे पहले बीते सप्ताह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने डोगरा राजवंश के अंतिम शासक हरि सिंह के जन्मदिन को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
मालूम हो कि 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ था और हिंदोस्तान दो मुल्कों भारत और पाकिस्तान में विभाजित हुआ था तो महाराजा हरी सिंह जम्मू-कश्मीर रिसायत के हुक्मरान थे। माना जाता है कि जब दोनों मुल्कों में रियासतों का विलय हो रहा था तो कश्मीर के महाराजा हरी सिंह की ख्वाहिश थी कि उसका डोगरा रियासत आजाद हो और वो न पाकिस्तान के झंडे तले रहे और न ही भारत के।
लेकिन हरि सिंह के साथ दो दिक्कतें थीं, पहला तो यह कि कश्मीर की अधिकांश बाशिंदे मुस्लिम थे और उनकी रियासत की सीमा पाकिस्तान के साथ मिलती थी। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की नियत कश्मीर को लेकर खराब थी।
इस कारण पाकिस्तान की फौज ने कबायलियों के भेष में कश्मीर पर हमला कर दिया। इस घटना से आतंकित महाराजा हरि सिंह ने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के पास गुहार लगाई। गृहमंत्री पटेल ने उन्हें पूरे मदद का भरोसा दिया लेकिन साथ में यह भी कहा कि उन्हें इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर दस्तखत करना होगा। जिसका सीधा मतलब था कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय।
जिन्ना की बदनीयती से बचने के लिए महाराज हरि सिंह को सरदार पटेल की बात माननी पड़ी और इस तरह से उन्होंने भारत के साथ विलय पत्र पर साइन किया। उसके बाद से जम्म-कश्मीर में डोगरा रियासत के शासन का अंत हो गया और वहां पर भारत का शासन शुरू हो गया था।