कश्मीर लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल हुए बर्खास्त, घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने का लगा था आरोप
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 11, 2022 04:02 PM2022-04-11T16:02:13+5:302022-04-11T18:46:29+5:30
कश्मीर लॉ कॉलेज से बर्खास्त हुए शेख शौकत पर आरोप लगते रहे हैं कि वो प्रो-पाकिस्तानी हैं और भारत की एकता के विरोधी हैं। कॉलेज प्रबंधन ने शौकत की जगह नए प्रिंसिपल के अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
श्रीनगर: अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप में फंसे कश्मीर लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल शेख शौकत को कॉलेज प्रशासन ने पद से बर्खास्त कर दिया है।
शेख शौकत पर आरोप लगते रहे हैं कि वो प्रो-पाकिस्तानी हैं और भारत की एकता के विरोधी हैं। कॉलेज प्रबंधन ने शौकत को कथित तौर पर बर्खास्त करते हुए उनकी जगह नए प्रिंसिपल के अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'राइजिंग कश्मीर' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शौकत पाकिस्तान प्रायोजित अलगाववादी संगठनों का समर्थन करते हुए कश्मीर के राजनीति में अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा देने का काम करते थे।
शौकत ने साल 2016 में तब सुर्खियां बटोरी थीं जब उन्होंने ‘आजादी: द ओनली वे’ नामक एक सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। जिसमें सैयद अली शाह गिलानी, अरुंधति रॉय, प्रोफेसर एसएआर गिलानी जैसे अन्य तमाम लोग मौजूद थे। दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित इस सम्मेलन में भाग लेने के दौरान शौकत पर भारत विरोधी भाषण देने का आरोप लगा था।
वहीं सम्मेलन में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे भी लगाए गए थे। जिसके कारण दिल्ली पुलिस ने आयोजन में मौजूद वक्ताओं के खिलाफ धारा 124 ए (देशद्रोह), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 149 (गैरकानूनी सभा) के तहत केस भी दर्ज किया था।
खबरों के मुताबिक उस घटनाक्रम के बाद कश्मीर लॉ कॉलेज प्रशासन ने प्रिंसिपल शौकत की संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए गोपनीय तरीके से जांच शुरू कर दी, जांच में पाया गया कि शौकत घाटी में सक्रिय अलगाववादियों और आतंकवादी नेटवर्क के साथ अंडरकवर संबंध बनाए हुए हैं। यही नहीं शौकत जम्मू-कश्मीर में भारतीय शासन के खिलाफ अलगाववादियों के हिंसक तरीकों को भी बौद्धिक वैधता प्रदान करते थे।
शेख शौकत ने भारत विरोधी इन गतिविधियों को तब अंजाम दिया जब उन्हें प्रिंसिपल के पद पर रहते हुए भारत सरकार की ओर से वेतन के रूप में लगभग 5.1 करोड़ रुपये और अतिरिक्त भत्ते के तौर पर 3.3 करोड़ रुपये दिये गये थे।
मालूम हो कि साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार श्रीनगर का दौरा किया था तब उस समय शौकत ने एक विवादित लेख में लिखा था, जिसमें शौकत ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल होने के लिए जम्मू-कश्मीर में प्रवासी मजदूरों को जबरन बस में बैठा कर ले जाया गया।
उन्होंने लिखा, “स्थानीय लोगों के शत्रुतापूर्ण रवैये को देखते हुए मोदी की रैली में दर्शकों को सुनिश्चित करने का सबसे आसान तरीका था कि इसमें प्रवासी मजदूरों को शामिल होने के लिए मजबूर किया जाए।”