कर्नाटक: जब 'नंदिनी' है तो 'अमूल' क्यों?, बेंगलुरु के बाजार में शुरू हुआ 'नंदिनी बचाओ’ अभियान
By अनुभा जैन | Published: April 7, 2023 04:51 PM2023-04-07T16:51:09+5:302023-04-07T16:54:40+5:30
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में लोग 'अमूल' के इस्तेमाल न करने का संकल्प लेकर अपने गुस्से को जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन केएमएफ का नंदिनी ब्रांड उनके लिए ज्यादा विश्वनीय है।
बेंगलुरु:कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आइसक्रीम समेत कई उत्पाद बेचने वाला 'अमूल' अब ई-कॉमर्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए घरों में ताजा दूध और दही पहुंचाने जा रहा है। अमूल ने इस बात की जानकारी अपने ट्विटर और फेसबुक हैंडल पर शेयर की है लेकिन इसे लेकर लोगों की अमूल के प्रति नाराजगी तेज हो रही है। बेंगलुरु में लोग 'अमूल' के इस्तेमाल न करने का संकल्प लेकर अपने गुस्से को जता रहे हैं।
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड, जो कि अमूल ब्रांड के तहत अपने दुग्ध उत्पाद बेचती है। वह बेंगलुरु के बाजार में प्रवेश करने की कोशिश कर रही है, जिसे पहले से ही कर्नाटक मिल्क फेडरेशन केएमएफ के नंदिनी ब्रांड द्वारा खरीदा जा चुका है।
बिक्री व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए अमूल का कदम कन्नडिगाओं के बीच आक्रोश का जरिया बना है और उन्होंने इसके खिलाफ ट्विटर पर हैशटैग 'बॉयकॉट अमूल, नंदिनी को बचाओ’ के साथ एक अभियान शुरू किया है। केएमएफ राज्य के दुग्ध उत्पादकों से एकत्रित दूध की आपूर्ति राज्य और बाहरी राज्यों को करता है।
केएमएफ देश में दूसरा सबसे बड़ा दूध खरीदकर्ता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केएमएफ का अमूल में विलय का प्रस्ताव रखा था। अमित शाह के बयान का भी जमकर विरोध हुआ है। केएमएफ के अधिकारियों का कहना है कि यह अनैतिक है और अमूल सहकारी समितियों के अलिखित नियम को तोड़ रहा है।
अटकलें यह भी हैं कि 500 लीटर की नंदिनी उत्पादों की कृत्रिम कमी दिखाते हुये, नंदिनी की जगह लेते हुये राज्य और हुबली में अमूल दूध और दही लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस पर केएमएफ के अधिकारियों ने कहा कि जिन लोगों ने ऑनलाइन बुकिंग कराई उनके लिए अमूल दूध और दही बेचने को तैयार हैं। वह इस बात को जान लें कि इससे नंदिनी के दूध की बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अमूल बेलगाम और हुबली में दूध की आपूर्ति कर रहा है, लेकिन वह इस 500 लीटर को पार नहीं कर पाया है।
केएमएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अपने पीक सीजन में केएमएफ दुग्ध सहकारी समितियों के अनुरोध पर दूध की कमी वाले राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र और केरल में लगभग 5 लाख लीटर दूध की आपूर्ति करता है। दूध की भारी मात्रा में आपूर्ति की जाती है और ये राज्य अपने ब्रांड के तहत दूध बेचते हैं।
केएमएफ के निदेशक मार्केटिंग एम रघुनंदन ने कहा कि कर्नाटक में दूध की कोई कमी नहीं है। राज्य की दूध की दैनिक आवश्यकता 45 लाख लीटर है और दही 10 लाख लीटर है। लेकिन यह एक दिन में लगभग 73 लाख लीटर हासिल किया जाता है। एक महानगरीय शहर बेंगलुरु के रूप में केएमएफ के अधिकारी इस तथ्य के बारे में थोड़ा आशंकित हैं कि गैर-कन्नड़ आबादी नंदिनी को छोड़कर अन्य ब्रांडों पर स्विच कर सकती है।
पिछले कुछ वर्षों से अपने क्षेत्र में अमूल दूध के 200 लीटर की आपूर्ति कर रहा है। बेंगलुरु दुग्ध संघ के अध्यक्ष नरसिम्हामूर्ति ने आगे अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि अमूल ताजा दूध की आपूर्ति के अपने झूठे विज्ञापन के साथ नागरिकों से गलत वादा कर रहा है। गुजरात से दूध कर्नाटक में आने में 2-3 दिन लगेंगे और ग्राहकों तक पहुंचने में 3-4 दिन लगेंगे। जबकि नंदिनी का दूध जो ग्राहकों को रोजाना मिलता है, उसे 24 घंटे के भीतर प्रोसेस करके उन्हें सप्लाई किया जाता है। चूंकि कर्नाटक में अमूल द्वारा कोई सहकारी समिति नहीं बनाई गई है, इसका मतलब है कि अमूल ब्रांड गुजरात या किसी अन्य नजदीकी राज्य से खरीदे गए दूध की आपूर्ति करेगा।