येदियुरप्पा सरकार सिलेबस से नहीं हटाएगी टीपू सुल्तान से जुड़े चेप्टर, BJP विधायक ने कहा था- उन्होंने किया था जनसंहार
By रामदीप मिश्रा | Published: January 21, 2020 01:48 PM2020-01-21T13:48:53+5:302020-01-21T13:48:53+5:30
टीपू सुल्तान का जन्म कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफाबाद) में हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। वह मैसूर राज्य के शक्तिशाली शासक थे। उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फकरुन्निसा था। उनके पिता मैसूर साम्राज्य के सेनापति थे, जो अपनी ताकत से 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने।
कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार पाठ्यपुस्तकों में मौजूद टीपू सुल्तान से जुड़े अध्यायों को नहीं हटाएगी। मैसूर के 18वीं शताब्दी के राजा टीपू सुल्तान के अध्यायों को अगले शैक्षणिक वर्ष (2020-21) में भी पाठ्यपुस्तकों रखा जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार एक समिति बनाएगी जो टीपू के सकारात्मक और नकारत्मक पहलुओं को जोड़ने पर विचार करेगी।
राज्य के शिक्षा मंत्री एस सुरेश कुमार ने कहा कि आने वाले शैक्षणिक वर्ष में पाठ्यपुस्तकों से टीपू सुल्तान के अध्यायों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन हमने एक व्यापक समिति बनाने का फैसला लिया है जो टीपू के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों पर गहन विचार करेगी और अपना निर्णय देगी।
येदियुरप्पा सरकार ने किया समिति का गठन
इससे पहले कर्नाटक की येदियुरप्पा सरकार की ओर से टीपू सुल्तान से जुड़े अध्यायों की समीक्षा के लिए गठित विशेषज्ञ समिति गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि 18वीं सदी के मैसूर के शासक को स्कूली पाठ्यक्रमों में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। समिति ने बीजेपी विधायक अप्पाचू राजन के आरोपों की भी जांच की थी और कहा था कि उनके आरोपों के पक्ष में पर्याप्त सबूत नहीं मिले। राजन ने दावा किया था कि टीपू सुल्तान ने कोडागू जिले में जनसंहार किया था।
जानिए कौन थे टीपू सुल्तान?
टीपू सुल्तान का जन्म कर्नाटक के देवनाहल्ली (यूसुफाबाद) में हुआ था। उनका पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। वह मैसूर राज्य के शक्तिशाली शासक थे। उनके पिता का नाम हैदर अली और माता का नाम फकरुन्निसा था। उनके पिता मैसूर साम्राज्य के सेनापति थे, जो अपनी ताकत से 1761 में मैसूर साम्राज्य के शासक बने। टीपू को मैसूर का शेर कहा जाता था। बताया जाता है कि उनकी गिनती एक विद्वान, शक्तिशाली और योग्य कवियों में होती थी। टीपू सुल्तान की अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए 4 मई, 1799 को मौत हो गई थी। वहीं, उनके चरित्र के सम्बंध में विद्वानों ने काफी मतभेद हैं। कई अंग्रेज विद्वानों ने उनकी आलोचना करते हुए उन्हें अत्याचारी और धर्मान्त बताया है, जबकि भारतीय इतिहासकारों ने उन्हें काफी चतुर, होशियार और तेज-तर्रार लिखा है, जिनकी नजर में सारे धर्म बराबर थे।