कर्नाटक विधान परिषदः कांग्रेस को बड़ा झटका, सीएम इब्राहिम ने दिया इस्तीफा, जदएस में होंगे शामिल
By सतीश कुमार सिंह | Published: March 31, 2022 06:28 PM2022-03-31T18:28:09+5:302022-03-31T18:29:11+5:30
Karnataka Legislative Council: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कभी पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के करीबी सहयोगी रहे सीएम इब्राहिम 2008 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।
बेंगलुरुः पूर्व केंद्रीय मंत्री सीएम इब्राहिम ने कांग्रेस छोड़ दी। गुरुवार को कर्नाटक विधान परिषद की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफे में कहा, "मैं सीएम इब्राहिम 31 मार्च 2022 से कर्नाटक विधान परिषद की अपनी सदस्यता के लिए अपना इस्तीफा देता हूं।"
इससे पहले 12 मार्च को इब्राहिम ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा था। जनता दल (सेक्युलर), तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ बातचीत कर रहे हैं। इब्राहिम ने कहा कि वर्तमान में मेरे लिए तीन विकल्प हैं, जेडीएस, टीएमसी और समाजवादी पार्टी। टीएमसी और समाजवादी पार्टी के लोग मुझसे संपर्क कर रहे हैं।
इब्राहिम ने कहा कि हम अलींगा (अल्पा सांख्यता-लिंगायत) नामक एक नया आंदोलन शुरू करेंगे। वे एक साथ शामिल होंगे और अन्य सभी पिछड़े वर्गों और दलित समुदाय को इसमें शामिल होने का आह्वान करेंगे। चर्चा है कि जद(एस) में शामिल होंगे। उसे ''वास्तविक धर्मनिरपेक्ष पार्टी'' करार दिया।
इब्राहिम ने जल्द ही जद(एस) में शामिल होने के संकेत दिये और उन्होंने कहा कि 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी जद(एस) और भाजपा के बाद तीसरे स्थान पर रहेगी। उन्होंने कहा, ''मैंने अपने ऊपर से बोझ उतार दिया है। अपने अगले कदम के बारे में, मैंने इसे हमारे राष्ट्रीय नेता (पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) सुप्रीमो) देवेगौड़ा पर छोड़ दिया है ... (समर्थकों की) सर्वसम्मत राय है कि मुझे उनके साथ जाना चाहिये।'' इब्राहिम ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कई लोग जद(एस) में आना चाहते हैं और यह सिलसिला अप्रैल-मई से शुरू हो जाएगा।
उन्होंने कहा, ''मेरी इच्छा है कि जद (एस) अपने दम पर सत्ता में आए। (2023 के चुनावों में) पहले स्थान पर जद (एस), दूसरे पर भाजपा और तीसरे पर कांग्रेस रहेगी। कर्नाटक में (कांग्रेस के लिये) वैसा ही माहौल है, जैसा उत्तर प्रदेश और पंजाब में था।'' उन्होंने कहा कि विधान परिषद के अध्यक्ष बसवराज होराती ने उन्हें सूचित किया है कि उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
इब्राहिम ने कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से एमएलसी के रूप में इस्तीफा दिया है और उनका राजनीतिक भविष्य जनता के हाथों में है। जद(एस) में शामिल होने के लिए शर्तें रखने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा ‘‘यह मेरा घर है.... क्या मैं अपने घर में वापस आने के लिए शर्तें रखूंगा।’’ ऐसी खबरों भी हैं कि इब्राहिम ने कांग्रेस इसलिए छोड़ी क्योंकि उनके पास अत्यधिक समर्थन होने के बावजूद परिषद में विपक्ष के नेता का चयन पार्टी ने लोकतांत्रिक आधार पर नहीं किया। इस पर उन्होंने कहा ‘‘निश्चित रूप से जद(एस) में लोकतंत्र है इसलिए मैं यहां आया... मैं इसमें कब शामिल होउंगा, यह नेतृत्व पर निर्भर है।’’
इब्राहिम ने कांग्रेस छोड़ने का निर्णय ऐसे समय पर लिया है जब पार्टी ने बी के हरिप्रसाद को विधान परिषद में विपक्ष का नेता नियुक्त किया है। बताया जाता है कि इस पद पर इब्राहिम की नजर थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कभी पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के करीबी सहयोगी रहे इब्राहिम 2008 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। पिछले कुछ समय से वह पार्टी और इसके विधायक दल के नेता सिद्धरमैया से नाराज थे।
हाल ही में उन्होंने जद(एस) प्रमुख देवेगौड़ा तथा पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमार स्वामी से मुलाकात कर पार्टी में शामिल होने के बारे में बातचीत की थी। इब्राहिम ने 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद जद(एस) छोड़ दी थी। फिर वे कर्नाटक में सिद्धरमैया के नेतृत्व में चलाए गए एक सामाजिक आंदोलन ‘‘अहिंदा’’ (एएचआईएनडीए) से जुड़ गए थे। इसके बाद इब्राहिम 2008 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे।