कर्नाटक हाईकोर्ट: मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों सहित पब और रेस्तरां में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बंद हो लाउडस्पीकर का प्रयोग
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 18, 2022 02:35 PM2022-06-18T14:35:16+5:302022-06-18T14:44:24+5:30
कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस अशोक एस किनागी की बेंच ने अपने आदेश में राज्य सरकार को आदेशित किया कि राज्य के विभिन्न धार्मिक स्थलों, पब और रेस्टोरेंट्स सहित अन्य तमाम सार्वजनिक स्थानों में कहीं भी रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच चल रहे लाउडस्पीकरों पर लगे प्रतिबंध को सख्ती से लागू करें।
बेंगलुरु:कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य के धार्मिक स्थलों, रेस्टोरेंट्स के अलावा पब में प्रयोग होने वाले अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार ऐसे गैर-कानूनी लाउस्पीकरों से हो रहे ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करे।
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए दो जजों की बेंच ने यह आदेश पारित किया। इस बेंच में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस अशोक एस किनागी शामिल थे।
कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को आदेशित किया कि राज्य के विभिन्न धार्मिक स्थलों, पब और रेस्टोरेंट्स सहित अन्य तमाम सार्वजनिक स्थानों में कहीं भी रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकरों पर लगे प्रतिबंध को सख्ती से लागू करें।
इसके साथ ही चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस अशोक एस किनागी की बेंच ने राज्य सरकार के अधिकारियों को कहा कि लाउडस्पीकरों और अन्य संगीत वाद्ययंत्रों के विद्युतीय प्रणाली की मशीनों से हो रहे ध्वनि प्रदूषण के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकार एक जागरूकता अभियान चलाए और उसके विषय में की गई कार्रवाई के संबंध में आगामी तीन सप्ताह के भीतर अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
अदालत ने सरकारी अधिकारियों को सख्त लहजे में कहा, "संबंधित अधिकारी कोर्ट से निर्गत आदेश पर उचित कार्रवाई करें रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर, सार्वजनिक उद्धोषणा प्रणाली और जारी की गई ध्वनि डेसिबल सीमा से अधिक पैदा होने वाली ध्वनियों और संगीत वाद्ययंत्रों को पूर्णतया प्रतिबंधित करें।"
इस याचिका की पिछली सुनवाई पर सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि अधिकारियों ने कुछ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और धार्मिक स्थलों को सार्वजिनक तौर पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल करने के लिए 'अवैध रूप' से "लाइसेंस" दिया था, जो ध्वनि की निर्धारित डेसिबल से ज्यादा की ध्वनि को प्रवाहित करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण हो रहा है और यह माननीय सर्वोच्च अदालत के दिये आदेश की अवमानना है।
जिसके बाद कोर्ट ने बयान को दर्ज करते अधिकारियों को सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर पाबंदी लगाने और जागरूकता अभियान चलाने आदेश दिया और संबंधित कार्रवाई की रिपोर्ट तीन सप्ताह में जमा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हमें याचिकाकर्ता राकेस पी द्वारा सूचित किया गया है कि सरकार द्वारा नियंत्रित मंदिर, गुरुद्वारों, मस्जिदों और पब और रेस्तरां जैसे अन्य विभिन्न धार्मिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर लाउडस्पीकरों का गैर-कानूनी तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है।"
कर्नाटक हाईकोर्ट में लाउडस्पीकरों के बेजा इस्तमेाल को लकेर राकेश पी ने साल 2021 में यह याचिका दायर की थ, जिस पर हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित करते हुए अगली सुनवाई को तीन हफ्तों के लिए टाल दिया है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)