कांग्रेस संकटः 2.5 साल फार्मूला?, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद कर्नाटक में मुसीबत, वोक्कालिगा संत ने शिवकुमार का किया समर्थन
By सतीश कुमार सिंह | Updated: November 27, 2025 18:27 IST2025-11-27T15:40:55+5:302025-11-27T18:27:09+5:30
Karnataka Congress crisis: कर्नाटक के 77 वर्षीय मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके 63 वर्षीय उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच है, जहाँ 20 नवंबर को राज्य सरकार का आधा कार्यकाल के ठीक बाद शिवकुमार के समर्थक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।

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बेंगलुरुः कर्नाटक में कांग्रेस सरकार संकट में है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सामने गंभीर चुनौती हैं। "2.5 साल के फार्मूले" की पार्टी "हाईकमान" द्वारा कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन झगड़े कारण यहीं है। हाल ही में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कम से कम दो बार इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा है, जहाँ बाद में हुए चुनावों में उसे सत्ता गंवानी पड़ी। 2023 चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से छत्तीसगढ़ और राजस्थान छीन ली। राजस्थान में सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच मनमुटाव चलता रहा।
झगड़ों ने पिछले एक दशक में पंजाब और मध्य प्रदेश में भी पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुँचाया है। हाल ही में, यह कर्नाटक के 77 वर्षीय मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके 63 वर्षीय उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच है, जहाँ 20 नवंबर को राज्य सरकार का आधा कार्यकाल 2.5 साल या 30 महीने पूरा होने के ठीक बाद डीके शिवकुमार के समर्थक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
वोक्कालिगा संत ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के लिए शिवकुमार का समर्थन किया
कर्नाटक राज्य वोक्कालिगारा संघ ने कांग्रेस आलाकमान को बृहस्पतिवार को चेतावनी दी कि मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार के साथ अगर अन्याय हुआ तो वह इसका कड़ा विरोध करेगा। उपमुख्यमंत्री के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभालने वाले शिवकुमार प्रमुख कृषक समुदाय वोक्कालिगा से संबंध रखते हैं।
संघ के अध्यक्ष एल. श्रीनिवास ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव के दौरान शिवकुमार ने कड़ी मेहनत की, पूरे राज्य का दौरा किया, संगठन को मजबूत किया और उनके प्रयासों के कारण कांग्रेस को 140 सीट पर जीत मिली।’’ उन्होंने कहा कि लोगों के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान ने शिवकुमार से पूर्व में वादा किया था कि सिद्धरमैया का ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। बेंगलुरु के पूर्व उप महापौर श्रीनिवास ने कहा कि सिद्धरमैया अपने पिछले कार्यकाल में पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे थे और इस बार उन्होंने ढाई साल पूरे कर लिए हैं।
उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर संदेह है कि सिद्धरमैया शिवकुमार को जिम्मेदारी हस्तांतरित करेंगे या नहीं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मंत्री और विधायक दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम वोक्कालिगा संघ की ओर से कांग्रेस आलाकमान से अनुरोध करते हैं कि शिवकुमार को कम से कम उनके प्रयासों के लिए तो ‘कुली’ (ईनाम) दिया जाए।’’ श्रीनिवास ने शिवकुमार से कांग्रेस आलाकमान द्वारा किए गए वादे को पूरा करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री पार्टी के लिए जेल भी जा चुके हैं।
कांग्रेस का 'नेतृत्व का खेल' गुरुवार को ज़ोरदार तरीके से शुरू हो गया। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का खेमा दिल्ली पहुंचकर पार्टी पर अपने नेता को शीर्ष पद पर बनाए रखने के लिए दबाव बनाने के लिए तैयार है। सिद्धारमैया 'प्रतीक्षा करो और देखो' की स्थिति में हैं।
सूत्रों के अनुसार, अगर पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी उनके प्रतिद्वंद्वी उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को लेकर मंथन कर रहे हैं। सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच गहरे मतभेद को दर्शाती है, जो 2023 के चुनावों में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद से ही इस पद को लेकर आपस में उलझे हुए हैं।
सिद्धारमैया-डीके शिवकुमार के बीच सत्ता संघर्ष के बीच सिद्धारमैया समर्थक और प्रभावशाली दलित नेता गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि मैं हमेशा से (मुख्यमंत्री बनने की) दौड़ में रहा हूँ। परमेश्वर ने यह कहकर एक बड़ा समर्थन का संकेत दिया कि अगर कांग्रेस सत्ता परिवर्तन का फैसला करती है तो वे डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करेंगे।
सिद्धारमैया के एक और सहयोगी मंत्री ज़मीर अहमद खान ने इसके बिल्कुल उलट कहा कि मुख्यमंत्री शीर्ष पद पर बने रहेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी "मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवार" हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच किसी समझौते की कोई जानकारी नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ने कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जारी अटकलों के बीच बुधवार को कहा कि वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी से चर्चा के बाद इस मामले का समाधान करेंगे। उन्होंने कर्नाटक के मामले पर पूछे जाने पर कहा, ‘‘सोनिया जी, राहुल जी से चर्चा करूंगा...फिर इस मुद्दे का समाधान किया जाएगा।’’
बयान ऐसे समय में बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है जब राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों के बीच सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर शक्ति संघर्ष तेज हो गया है। 20 नवंबर को कांग्रेस सरकार के अपने पांच वर्षीय कार्यकाल के ढाई साल पूरा होने के बाद यह चर्चा और तेज हो गई है, क्योंकि 2023 में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच कथित ‘‘सत्ता साझेदारी’’ समझौते का दावा किया जा रहा है।
सिद्धरमैया ने हाल ही में कहा था कि वह पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे और भविष्य में राज्य का बजट पेश करना जारी रखेंगे। शिवकुमार ने मंगलवार को कहा था कि वह मुख्यमंत्री बदलने के मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर बात नहीं करना चाहते, क्योंकि यह पार्टी में चार-पांच लोगों के बीच एक ‘‘गुप्त समझौता’’ है, और उन्हें अपनी अंतरात्मा पर भरोसा है।