कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: अगर BJP कर्नाटक जीती तो खिसक जाएगी दिल्ली की गद्दी?

By खबरीलाल जनार्दन | Published: April 4, 2018 07:26 AM2018-04-04T07:26:07+5:302018-04-09T18:04:01+5:30

कर्नाटक विधानसभा और केंद्र की गद्दी में अजीब संबंध है। अगर बीजेपी इसे गहरे समझती है तो वह कर्नाटक हारना पसंद करेगी या फिर उसे 40 सालों का इतिहास बदलना होगा।

Karnataka assembly election 2018: Is BJP wins Karnataka, It may loose Loksabha election 2019 | कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: अगर BJP कर्नाटक जीती तो खिसक जाएगी दिल्ली की गद्दी?

Karnataka assembly election 2018

Highlights40 सालों का इतिहास गवाह है, कर्नाटक जीतने वाली पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं जीत पातीकर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी, कांग्रेस के बीच जेडीएस सेंध लगाने की पूरी तैयारी कर चुकी है

कर्नाटक कांग्रेस मुक्त भारत का पताका लिए घूम रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आंख किरकिरी है। और दम तोड़ती कांग्रेस के लिए संजीवनी। इसलिए दोनों पार्टियों ने एड़ी-चोटी का दम लगा दिया है। लेकिन कर्नाटक विधानसभा का केंद्र की सत्ता से एक अजीब संबंध चला आ रहा है, जो कांग्रेस के पक्ष में जाता दिख रहा है।

असल में बीते 40 सालों में कर्नाटक की सत्ता और दिल्ली की गद्दी, एक साथ किसी को नहीं मिली। एक हाथ में कर्नाटक आता है, तो दूसरे हाथ से दिल्ली फिसल जाती है। साल 1978 से आज तक बीते 40 सालों में बस एक बार सन् 2013 में ऐसा हुआ, जब कर्नाटक विधानसभा में उसी पार्टी को विजयश्री मिली, जिसकी केंद्र में सरकार (कांग्रेस) थी। पर ठीक से सालभर नहीं बीते कि दिल्ली की गद्दी कांग्रेस से छिन गई।

कहने का आशय ये है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने वाला, लोकसभा चुनाव हार जाता है। या वो कर्नाटक जीत ही नहीं पाता, जो केंद्र की सत्ता में होता है। बीते चालीस सालों से यही होता आया है। कुछ महीनों पहले कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होते हैं। इसमें देश की सबसे प्रमुख दो राष्ट्रीय पार्टियों में से एक सरकार बनाती है। लेकिन वही पार्टी कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में सरकार नहीं बना पाती। या फिर जो पार्टी केंद्र में सरकार चला रही होती है वह कर्नाटक जीत ही नहीं पाती। साल 1978 की जनता पार्टी की आंधी में भी कांग्रेस यहां से नहीं उखड़ी थी। (कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की ताजातरीन खबरों के लिए यहां जाएं)

ऐसे में इतिहास के आंकड़ों को पैमाना माने तो पहली स्थिति में खुद बीजेपी नहीं चाहेगी कि वो 15 मई को कर्नाटक में एक बार फिर से भगवा पताका फहराए और अगले साल यानी 2019 के लोकसभा चुनाव हार जाए। दूसरी स्थिति में बीजेपी चुनाव जीत ही नहीं पाएगी। आंकड़े ये रहे-

कर्नाटक विधानसभा और केंद्र की सरकार
साल विधानसभा कर्नाटक जीतने वाली पार्टीकेंद्र में सरकार
साल 1978छठीं विधानसभाकांग्रेसजनता पार्टी
साल 1983सातवीं विधानसभाजनता दलकांग्रेस
साल 1985आठवीं विधानसभाजनता दलकांग्रेस
साल 1989नौवीं विधानसभाकांग्रेसजनता दल
साल 1994दसवीं विधानसभाजनता दल (सेकुलर)कांग्रेस
साल 1999ग्यारहवी विधानसभाकांग्रेसबीजेपी
साल  2004बारहवीं विधानसभाबीजेपीकांग्रेस
साल 2008तेरहवीं विधानसभाबीजेपीकांग्रेस
साल 2013चौदहवीं विधानसभाकांग्रेसकांग्रेस (लेकिन 2014 कांग्रेस हारी)
साल 2018पंद्रहवीं विधानसभा?बीजेपी (2019 में चुनाव होने हैं)

आइए यहां एक नजर कर्नाटक के हालिया तीन विधानसभा चुनावों पर डाल लेते हैं। बीते चुनावों में क्या रहा है जनता का मूड- 

साल 2013, देशभर में कांग्रेस विरोधी लहर के बीच मिली जीत

साल 2013 में हुए चौदहवें विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को अप्रत्याशित जीत मिली। अप्रत्याशित इसलिए कि प्रतिद्वंदी पार्टी बीजेपी जबर्दस्त तरीके से पूरे में देश में कांग्रेस विरोधी लहर बनाने में कामयाब हो रही थी। लेकिन यहां कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया। प्रदेश की 224 विधानसभा सीटों में 122 पर कब्जा जमाया। (जरूर पढ़ेंः कर्नाटक: लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता देकर सिद्धारमैया ने 'योगी-मोदी-शाह' के लिए बिछाई है नई बिसात)

कुल हुए 71.4 फीसदी मतदान में 36.5 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले। जबकि तत्कालीन सत्ताधारी बीजेपी केवल 19.9 फीसदी वोट मिले। इनके खाते में 40 सीटें ही आईं। दूसरी ओर सत्ताधारी बीजेपी से ज्यादा वोट शेयर जनता दल सेकुलर का रहा। जेडीएस को 20.19 प्रतिशत वोट मिले और उसने भी 40 सीटें जीतीं।

देशभर में हो रही थी कांग्रेस की वाहवाही, 2008 में कर्नाटक लूट ले गई BJP

केंद्र की कांग्रेस सरकार की देशभर में अच्छी छवि थी। मनमोहन सिंह समझदार प्रधानमंत्रियों में एक गिने जा रहे थे। लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 110 सीटें जीतने में कामयाब रही। कुल हुए मतदान का 33.8 फीसदी हिस्सा बीजेपी के नाम रहा। (जरूर पढ़ेंः अमित शाह की फिसली जबान, राहुल गांधी समेत तमाम कांग्रेसी वीडियो शेयर करके ले रहे हैं चुटकी)

दूसरी ओर बीजेपी से ज्यादा वोट शेयर (34.7 प्रतिशत मत) लेकर कांग्रेस महज 80 सीटों पर सिमट गई। जबकि जेडीएस ने 18.9 फीसदी वोटों पर 28 सीटों सीटें जीतीं। यहां पहली बार बूथ मैनेजमेंट के फॉर्मूले पर जबर्दस्त काम किया गया। अबकी चुनावों में यह फॉर्मूला बेहद बारीकी से प्रयोग किया जा रहा है।

केंद्र में गिरी पर कर्नाटक में बना ले गई थी बीजेपी सरकार

यह काल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार जाने के बाद का है। देश के सबसे प्रभावशाली और लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में शुमार किए जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी और हिन्दूत्व का झंडा बुलंद करने वाले लाल कृष्‍ण आडवाणी साल 2004 केंद्र में अपनी सत्ता नहीं बचा पाए थे। लेकिन कर्नाटक में 28.3 प्रतिशत वोट के दम पर बीजेपी ने 79 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने पहली बाद दक्षिण भारत में सरकार बनाने में सफल हुई थी। (जरूर पढ़ेंः बीएस येदियुरप्पा: दक्षिण भारत में पहली बार भगवा लहराने वाले नेता, बीजेपी और कांग्रेस दोनों को दिखा चुके हैं दम)

हालांकि शुरुआत में थोड़े समय के लिए प्रदेश की सबसे ज्यादा वोट शेयर (35.2 फीसदी मत) पाकर 65 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने किंग मेकर जेडीएस (20.7 फीसदी वोट से 58 सीट जीती) के साथ सरकार बना ली थी। लेकिन बाद में सरकार गिर गई। बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को चेहरा बनाया और सरकार बनाई।

कब होंगे कर्नाटक विधानसभा चुनाव

साल 2018 में 224 सीटों के लिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव आगामी 12 मई को होंगे। नतीजे 15 मई को घोषित कर दिए जाएंगे। प्रमुख पार्टियां फिर से सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी हैं। दोनों की राह का रोड़ा और किंग मेकर बनने की जुगत में लगी जेडीएस भी पूरे दमखम से मैदान में कूद गई है।

Web Title: Karnataka assembly election 2018: Is BJP wins Karnataka, It may loose Loksabha election 2019

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