कपिल सिब्बल के चैनल से टीवी पर वापसी करेंगे करण थापर और बरखा दत्त, अरनब गोस्वामी का हिंदी चैनल भी लांच को तैयार
By विकास कुमार | Published: January 19, 2019 08:08 PM2019-01-19T20:08:22+5:302019-01-19T23:07:53+5:30
'द प्रिंट' की रिपोर्ट के मुताबिक देश के जाने-माने टीवी पत्रकार करण थापर और बरखा दत्त कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल के चैनल से टीवी पर वापसी करने वाले हैं.
मीडिया और पॉलिटिक्स हमेशा से एक दूसरे के पूरक रहे हैं. राजनेताओं की न्यूज़ चैनलों में दिलचस्पी हमेशा से रही है. लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर नए चैनलों के रास्ते देश के दो विपक्षी दल अपना एजेंडा सेट करने की कोशिशों में लगे हुए हैं. मोदी सरकार के दौर में मीडिया में वर्गीकरण पहले की सरकारों की तुलना में ज्यादा तेजी से उभरकर सामने आया है. कुछ चैनलों को प्रो बीजेपी माने जाना लगा है तो वहीं कुछ को एंटी बीजेपी का तमगा दे दिया गया है. लेकिन इतना तो तय है कि आज मीडिया स्पष्ट तौर पर दो धड़ों में बंटी हुई दिखती है और इसका फायदा बिना शक के देश के तमाम पार्टियों के राजनेताओं को हुआ है.
'द प्रिंट' की रिपोर्ट के मुताबिक देश के जाने-माने टीवी पत्रकार करण थापर और बरखा दत्त कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल के चैनल से टीवी पर वापसी करने वाले हैं. इसके साथ ही टाइम्स नाउ छोड़कर रिपब्लिक चैनल शुरू करने वाले अरनब गोस्वामी का हिंदी चैनल रिपब्लिक भारत भी 26 जनवरी को लांच के लिए तैयार है. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं. द प्रिंट के मुताबिक बरखा दत्त और करण थापर हार्वेस्ट टीवी(HARVEST TV) जो कि 26 जनवरी से ऑन एयर होने जा रही है उसका अहम हिस्सा होंगे. इस चैनल के प्रमुख प्रमोटर्स में कपिल सिब्बल का नाम सबसे ऊपर आता है.
कपिल सिब्बल और हार्वेस्ट टीवी
हार्वेस्ट टीवी इंग्लिश के साथ-साथ हिंदी चैनल भी लांच कर रही है और चर्चा है कि इस चैनल के साथ देश के वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी भी जुड़ सकते हैं. लेकिन ख़बरें ऐसी भी है कि पुण्य प्रसून सूर्या समाचार के साथ जुड़ रहे हैं और जहां वो एडिटर-इन-चीफ की भूमिका में दिखने वाले हैं. रीजनल मीडिया का बड़ा नाम tv9 भी अपनी हिंदी चैनल लांच करने जा रहा है जिसके साथ वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी और अजित अंजुम जुड़ने वाले हैं. लोकसभा चुनाव से पहले तमाम दिग्गज टीवी पत्रकारों के टीवी पर आने से चुनाव के दौरान कवरेज दिलचस्प होने वाली है.
निष्पक्ष खबरों का तकाजा
मेनस्ट्रीम मीडिया के अलावा भी कई मीडिया आउटलेट्स चुनाव से पहले लांच हो गई है या होने जा रही है. इस चुनाव को देश की राजनीतिक बदलाव में अंतिम पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है लेकिन जिस तरह से मीडिया आज दो धड़ों में बंटी हुई दिखती है तो क्या ऐसे में निष्पक्ष पत्रकारिता की उम्मीद की जा सकती है? लोगों को विशुद्ध ख़बरें मिलेंगी या उसमें विचारधारा की मिलावट होगी इसका फैसला दर्शकों को अपने चेतना के स्तर पर करना होगा.
हर चुनाव से पहले फेक न्यूज़ और पेड न्यूज़ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाता है. सोशल मीडिया के इस बढ़ते दौर में फेक न्यूज़ एक वैकल्पिक पत्रकारिता बनता जा रहा है. फेसबुक ने अपने प्लेटफार्म और व्हाट्सएप्प पर फेक न्यूज़ पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाने का भरोसा दिलाया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि सोशल मीडिया इसके लिए अकेले जिम्मेवार होता है,आज के दौर में फेक न्यूज़ और पेड न्यूज़ का सबसे बड़ा स्रोत मेनस्ट्रीम मीडिया बनता जा रहा है, इसलिए एक जागरूक राजनीतिक दर्शक होने के नाते लोगों को पहले से ज्यादा अलर्ट रहना होगा.