कपिल सिब्बल ने कोर्ट की चुप्पी पर उठाए सवाल, कहा- अगर लोगों की सुनवाई नहीं होगी तो यह लोकतंत्र कैसे है?

By विशाल कुमार | Published: April 19, 2022 12:35 PM2022-04-19T12:35:07+5:302022-04-19T12:39:53+5:30

इस पर जोर देते हुए कि आज का लोकतंत्र संविधान निर्माताओं की कल्पना के अनुरूप नहीं है कपिल सिब्बल ने कहा कि आज मुख्यधारा की मीडिया कारोबारियों के हाथों में है और लोगों तक एक ही तरह की बात पहुंचाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा उनकी फंडिंग की जा रही है।

kapil sibbal democracy election government court judiciary | कपिल सिब्बल ने कोर्ट की चुप्पी पर उठाए सवाल, कहा- अगर लोगों की सुनवाई नहीं होगी तो यह लोकतंत्र कैसे है?

कपिल सिब्बल ने कोर्ट की चुप्पी पर उठाए सवाल, कहा- अगर लोगों की सुनवाई नहीं होगी तो यह लोकतंत्र कैसे है?

Highlightsसिब्बल ने कहा कि आज का लोकतंत्र संविधान निर्माताओं की कल्पना के अनुरूप नहीं है।उन्होंने सभी से संविधान को लागू करने के लिए खड़े होने का आग्रह किया।उन्होंने कहा कि अदालतें इन मामलों में तब तक चुप रहना पसंद करती हैं जब तक कि प्रभावशाली पक्ष शामिल न हों।

नई दिल्ली: वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा कि अगर कोर्ट चुप रहेगा और लोगों की सुनवाई नहीं होगी और कॉरपोरेट सेक्टर राजनीतिक दलों की फंडिंग करेंगे और सरकार कॉरपोरेट सेक्टर द्वारा चलाए जा रहे मेनस्ट्रीम मीडिया की फंडिंग करेगी तो यह लोकतंत्र कैसे है?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस पर जोर देते हुए कि आज का लोकतंत्र संविधान निर्माताओं की कल्पना के अनुरूप नहीं है कपिल सिब्बल ने कहा कि आज मुख्यधारा की मीडिया कारोबारियों के हाथों में है और लोगों तक एक ही तरह की बात पहुंचाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा उनकी फंडिंग की जा रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि अदालतें इन मामलों में तब तक चुप रहना पसंद करती हैं जब तक कि प्रभावशाली पक्ष शामिल न हों। उन्होंने सभी से संविधान को लागू करने के लिए खड़े होने का आग्रह किया क्योंकि इसका उद्देश्य लोकतंत्र को ढहने से रोकना है।

उन्होंने कहा, 'जो संवैधानिक रूप से सुनने के लिए बाध्य हैं वे सुनते नहीं हैं और जिन्हें बोलने की आजादी है उन्होंने बोलना बंद कर दिया है। यदि आप नहीं बोलते हैं और सत्ता में बैठे लोग नहीं सुनते हैं, तो कोई संवाद नहीं होगा और यदि संवाद नहीं है तो लोकतंत्र नहीं हो सकता।'

उन्होंने आगे कहा, 'भारत में यही स्थिति है। हमारे पूर्वजों ने इसकी कल्पना नहीं की थी। दोष हमारे साथ है। क्योंकि हम खड़े नहीं होना चुनते हैं। भारत के खड़े होने का समय आ गया है। आपके और मेरे खड़े होने का समय आ गया है। क्योंकि अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो लोकतंत्र नष्ट हो जाएगा। हम ऐसा नहीं होने देंगे।'

उन्होंने कहा कि एक लोकतंत्र में हर आवाज सुनी जानी चाहिए, दर्द से रोने वाले हर आवाज की पहचान होनी चाहिए और हर उपलब्धि की सराहना की जानी चाहिए। हालांकि, हमारा लोकतंत्र आज चुनाव के साथ शुरू होता है और उसके परिणामों के साथ समाप्त होता है।

Web Title: kapil sibbal democracy election government court judiciary

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