कपिल सिब्बल बोले- 4 साल से सो रही थी बीजेपी, चुनाव करीब आते ही उठाने लगे राम मंदिर का मुद्दा
By पल्लवी कुमारी | Published: October 30, 2018 11:15 AM2018-10-30T11:15:15+5:302018-10-30T11:15:15+5:30
Kapil Sibal Reaction on Ayodhya Ram Mandir Verdict:सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में दायर अपीलों को 2019 के जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, यह सुप्रीम कोर्ट को तय करने दिया जाए कि अयोध्या मामले की सुनवाई कब होगी। यह बीजेपी या कांग्रेस द्वारा तय नहीं किया जा सकता। गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में दायर अपीलों को 2019 के जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, यह सुप्रीम कोर्ट को तय करने दिया जाए कि अयोध्या मामले की सुनवाई कब होगी। यह बीजेपी या कांग्रेस द्वारा तय नहीं किया जा सकता। अगर वे कानून बनाना चाहते हैं, तो बनाएं, कांग्रेस ने उन्हें नहीं रोका है। यह मुद्दा इसलिए उठाया गया है, क्योंकि चुनाव करीब आ गए हैं, वे पिछले चार साल से सो रहे थे क्या?"
Court will decide when will #Ayodhya case be heard. It can’t be decided by BJP or Congress. If they want to make a law, then make it. Congress hasn’t stopped them. This issue is raised as elections approach. Have they been sleeping for last 4 years?: Kapil Sibal, Congress pic.twitter.com/8JIWPrH88w
— ANI (@ANI) October 30, 2018
2019 के जनवरी में राम मंदिर पर होगी सुनवाई
29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उचित पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई की आगे की तारीख तय करेगी। पीठ के दो दूसरे सदस्यों में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ शामिल थे।
भूमि विवाद मामले में दीवानी अपील इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर की गई है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ करीब 14 अपीलें दायर की गयी
इससे पहले तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के अपने फैसले में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा ना मानने संबंधी टिप्पणी पर पुनर्विचार का मुद्दा पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया था। अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठा था।
तब तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा था कि सबूत के आधार पर दीवानी मुकदमे पर फैसला किया जाएगा और इस मुद्दे को लेकर पूर्व का फैसला कोई मायने नहीं रखता।
पीठ ने अपीलों पर अंतिम सुनवाई के लिये 29 अक्टूबर की तारीख तय कर दी थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ करीब 14 अपीलें दायर की गयी हैं। उच्च न्यायालय ने चार दीवानी मुकदमों में फैसला सुनाया था। उच्च न्यायालय ने अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन को तीन पक्षों - सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर बांटने का फैसला सुनाया था।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)