टुकड़े-टुकड़े गैंग को लेकर कन्हैया कुमार का भाजपा पर हमला, कहा हम करेंगे देश को बांटने वालों के टुकड़े...
By एसके गुप्ता | Published: January 10, 2020 05:38 AM2020-01-10T05:38:40+5:302020-01-10T05:42:21+5:30
कन्हैया ने कहा कि देश के गृहमंत्री हमे टुकड़े-टुकड़े गिरोह कहकर बुलाते हैं। तो मैं उनको बस इतना बता देना चाहता हूं कि हम देश के टुकड़े नहीं बल्कि बीजेपी के टुकड़े करेंगे।
जेएनयू कैंपस में हुई हिंसक घटना के विरोध में गुरूवार को जेएनयू छात्रसंघ और जेएनयू शिक्षक एसोसिएशन ने विरोध मार्च निकाल मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) का घेराव किया। प्रदर्शन जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई के नेता कन्हैया कुमार भी शामिल हुए। दिल्ली में मंडी हाउस से मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक निकाले गए इस मार्च के दौरान कन्हैया कुमार ने भाजपा पर जमकर हमला बोला। कन्हैया ने कहा कि देश के गृहमंत्री हमे टुकड़े-टुकड़े गिरोह कहकर बुलाते हैं। तो मैं उनको बस इतना बता देना चाहता हूं कि हम देश के टुकड़े नहीं बल्कि बीजेपी के टुकड़े करेंगे।
कन्हैया ने कहा कि जेएनयू कहता है कि इस देश में जनता की चुनी हुई सरकार है, जनता ने टैक्स दिया है। सरकार जो प्राइवेट जहाज पर उड़ती है, जो अपने दोस्तों को बड़े ठेके दिलाती है, उस सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सरकार शिक्षण संस्थान को बचाए, रेलवे को बचाए. राष्ट्रवाद के नाम पर सरकार राष्ट्रीय संपत्ति को बेचना बंद करे। कन्हैया ने कहा कि आपको (केंद्र सरकार) क्या लगता है कि कभी आप रिजर्वेशन को गाली देकर , कभी मेरिट का तर्क लाकर हमारी लड़ाई गुमराह कर देंगे। हम आपसे बहस के लिए तैयार हैं। मेरिट ये होता है कि इस विश्वविद्याय में गरीब से गरीब बच्चे अपने मेरिट से यहां पढ़ने आ सकें।
कन्हैया ने कहा कि जेएनयू सिर्फ आज की पीढ़ी के लिए नहीं लड़ता है। वह आगे की पीढ़ी के लिए लड़ता है। हम सिर्फ अपने लिए नहीं जीना सीखते हैं। इस देश का संविधान सभी नागरिकों को पढ़ने और सपने देखने का अधिकार देता है। आप हमारे सपने को मार देना चाहते हैं, हम नहीं मरने देंगे अपने सपने। हमें यह हक है कि हम पढें और देश के निर्माण में योगदान दें। मेरी मां 3000 रुपए महीने कमाती है। अगर जेएनयू न होता तो मैं इतना न पढ पाता। जेएनयू ने ही और यहां की अच्छी शिक्षा ने ही मुझे निर्भीक बनाया है।
यहां छात्रों की कच्ची अंग्रेजी होने पर उन्हें शिक्षक बेहतर शिक्षा देकर मजबूत बनाते हैं। जेएनयू में ही यह संभव है कि यहां 150 रुपए में छात्र पढ पाता है। जेब में बिना पैसे शिक्षा देने की नजीर जेएनयू ही है। वरना शीशे के मॉल वाले इंस्टीट्यूट में जाने से डर लगता है। वहां 50 फीसदी वालों को मेरिट नहीं दी जाती, जेएनयू में उन्हें ही मेरिट में शामिल किया जाता है जो काबिल है। आपको भ्रम है कि पुलिस से पिटवा कर हमें रोक दोगे। ऐसा नहीं होने वाला क्योंकि हमारा तो शुरू से ही यह नारा रहा है कि यह अंदर की बात है पुलिस हमारे साथ है।