मेरठ की सभा में बोले थे कल्याण सिंह - इतना धीरे बोलोगे तो मंदिर कैसे बनेगा

By भाषा | Published: August 22, 2021 03:05 PM2021-08-22T15:05:51+5:302021-08-22T15:05:51+5:30

Kalyan Singh said in the meeting of Meerut - How will the temple be built if you speak so slowly? | मेरठ की सभा में बोले थे कल्याण सिंह - इतना धीरे बोलोगे तो मंदिर कैसे बनेगा

मेरठ की सभा में बोले थे कल्याण सिंह - इतना धीरे बोलोगे तो मंदिर कैसे बनेगा

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का मेरठ से गहरा नाता था। पूर्व विधायक अमित अग्रवाल, सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, पूर्व मंत्री शकुंतला कौशिक और करुणेशनंदन गर्ग से उनका गहरा जुड़ाव था। भाजपा नेताओं के अनुसार 1974 के बाद से कल्याण सिंह का मेरठ लगातार आना-जाना रहा। 1974 में जनसंघ काल में, 1977 में जनता पार्टी के शासन में और उसके बाद भाजपा के गठन के बाद से तो उनका दूसरा घर ही मेरठ तथा बुलंदशहर हो गया था। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को तो उन्होंने शिष्य बना लिया था। वर्ष-2014 में लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की पहली रैली का आगाज क्रांतिकारियों की धरती मेरठ से हुआ था। केंद्र में भाजपा की सरकार और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए यहां दिल्ली रोड स्थित शताब्दी नगर में विजय शंखनाद रैली का आयोजन हुआ था। इस रैली में कल्याण सिंह ने अपने भाषण की शुरुआत जय श्रीराम से की थी। उन्होंने जनता से जय श्रीराम का उद्घोष कराने के लिए जोर से बोलने का निवेदन किया। उन्होंने कहा था, ‘‘इतना धीरे बोलोगे तो मंदिर कैसे बनेगा।’’ इसके बाद उन्होंने अपना भाषण शुरू किया था। यही दौरा उनका मेरठ का अंतिम दौरा रहा। अपने करीब 23 मिनट के भाषण में उन्होंने देश के लोगों से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की अपील की थी। सिंह के निधन पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा, ‘‘मेरे सिर से गुरु का साया उठ गया। उन्होंने मुझे हमेशा शिष्य माना। राजनीति में जो भी सीखा, बाबूजी से सीखा। राजनीति का क, ख, ग उन्होंने पढ़ाया। गलती हुई तो डांट भी पिलाई। जैसे कि एक गुरु अपने शिष्य को डांटते हैं, लेकिन तुरंत बताते थे कि यह गलत है। ऐसे नहीं ऐसे होना चाहिए। बाबूजी ने बहुत कुछ दिया। इतना दिया कि उम्मीद भी नहीं कर सकते थे। बाबू जी हमेशा सादगी के परिचायक रहे।’’ मेरठ से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने सिंह को याद करते हुए कहा, ‘‘मुख्यमंत्री कल्याण सिंह 1997 में मेरठ आए थे। उस समय मैं भाजपा का महानगर अध्यक्ष हुआ करता था। उनके साथ राजनाथ सिंह भी आए थे। एक मुख्यमंत्री के नाते उनका स्वागत करने का अवसर मुझे मिला था। ऐसे नेकदिल मार्गदर्शक की हमेशा कमी खलेगी। उस समय वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे।’’ पूर्व विधायक अमित अग्रवाल ने कहा, ‘‘सिंह ऐसे मुख्यमंत्री थे कि जेब में 50 रुपये भी नहीं होते थे और फ्रिज में फल के नाम पर दो केले होते थे। उनकी याददाश्त बहुत तेज थी और हजारों लोगों के नाम उनकी जुबां पर रहते थे। सामने दिखे नहीं कि सीधे नाम लेकर बुलाते थे। वह उपनाम की जगह सीधे नाम लेना उचित समझते थे।’’ सिंह के निधन पर मेरठ के खत्ता रोड निवासी सुभद्रा शर्मा रोते हुए कहा,‘‘ रक्षाबंधन से एक दिन पहले भाई दुनिया छोड़कर चला गया। कल्याण सिंह से उनके 50 साल से रिश्ते थे। जब भी मेरठ आते थे, उनके घर आते थे। वह उनसे जुड़ी तमाम स्मृतियों को संजोए हुए हैं, लेकिन कहती हैं कि इन्हें छापिये मत। मेरी आखिरी इच्छा अधूरी रह गई। मैं हर रोज प्रार्थना करती थी कि कल्याण सिंह को कुछ और आयु मिले ताकि वह भव्य राम मंदिर (अयोध्या में) के दर्शन कर सकें।’’कल्याण सिंह बहन के रूप में सुभद्रा शर्मा से रिश्ते को कितनी अहमियत देते थे, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि 1992 में मुख्यमंत्री रहते हुए वह उनकी बेटी नीलिमा की शादी में शामिल ही नहीं हुए, बल्कि भात देने की रस्म भी निभाई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Kalyan Singh said in the meeting of Meerut - How will the temple be built if you speak so slowly?

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे

टॅग्स :MLA Amit Agarwal