सरकार के आश्वासन के बाद किसानों ने समाप्त किया प्रदर्शन, कहा सिर्फ ‘इंटरवल’ है
By भाषा | Published: September 22, 2019 06:12 AM2019-09-22T06:12:38+5:302019-09-22T06:12:38+5:30
संगठन के प्रवक्त ने बताया कि केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अनुपस्थिति में शिष्टमंडल ने संयुक्त सचिव अग्रवाल से भेंट की। अधिकारी ने किसानों को आश्वासन दिया है कि उनकी 15 में से पांच मांगे मान ली जाएंगी।
सरकार की ओर से 15 में से पांच मांगें स्वीकार किए जाने का आश्वासन मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के किसानों ने शनिवार रात अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। इससे पहले दिल्ली में प्रवेश से रोके जाने पर सैकड़ों की संख्या में किसान यूपी-दिल्ली सीमा (यूपी बॉर्डर) पर जमा हो गए थे और वहां घंटो बैठे रहे।
भारतीय किसान संगठन के प्रवक्ता ललित राणा ने बताया कि किसानों के एक शिष्टमंडल ने केन्द्रीय कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल से मुलाकात की। उन्होंने गन्ना की बकाया राशि के जल्दी भुगतान, फसलों का न्यूनतम मूल्य तय करने वाली समिति में किसानों के प्रतिनिधि की नियुक्ति सहित पांच मांगों को स्वीकार करने का आश्वासन दिया।
राणा ने कहा कि आश्वासन मिलने के बाद किसानों ने प्रदर्शन वापस लेने का फैसला लिया है। लेकिन, साथ ही उन्होंने कहा कि यह सिर्फ ‘इंटरवल’ है और मांगें पूरी नहीं होने पर वह जरुर लौटेंगे। कर्ज माफी, सस्ती बिजली, पेंशन और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने सहित किसानों की 15 मांगें हैं।
किसानों ने दिल्ली कूच 11 सितंबर को सहारनपुर से शुरू किया था। शुक्रवार को नोएडा पहुंचने पर उन्होंने सरकार के प्रतिनिधियों से बातचीत की लेकिन मसले का कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद वे लोग पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह की समाधी ‘किसान घाट’ जाना चाहते थे।
यूपी बॉर्डर पहुंचने पर शनिवार की सुबह किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया जिसके बाद वे वहीं धरने पर बैठ गए। हालांकि, उनके शिष्टमंडल को कृषि भवन जाकर केन्द्र सरकार के अधिकारियों से मिलने की अनुमति दी गयी।
संगठन के प्रवक्त ने बताया कि केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अनुपस्थिति में शिष्टमंडल ने संयुक्त सचिव अग्रवाल से भेंट की। अधिकारी ने किसानों को आश्वासन दिया है कि उनकी 15 में से पांच मांगे मान ली जाएंगी।
जो पांच मांगे स्वीकार की जानी हैं, वे हैं.... गन्ना बकाये का जल्दी भुगतान, पश्चिम उत्तर प्रदेश में प्रदूषित हो चुकी गंगा की सहायक नदियों की सफाई, फसलों का न्यूनतम मूल्य तय करने वाली समिति में किसान प्रतिनिधियों की नियुक्ति और बीमा का लाभ सिर्फ परिवार के मुखिया को नहीं बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को दिया जाए।
राणा ने कहा, ‘‘हमारा विरोध अभी समाप्त नहीं हुआ है। यह सिर्फ इंटरवल है क्योंकि किसानों को खेतों में पक चुकी फसल का भी ख्याल रखना है। यदि हमारी सभी मांगें नहीं मानी गयीं तो किसान फिर से सड़कों पर उतरेंगे।’’