JNU हिंसाः सोशल मीडिया पर दावा- राइट विंग के वॉट्सऐप ग्रुप में घुसा, जहां रची जा रही थी हमले की साजिश
By रामदीप मिश्रा | Published: January 6, 2020 07:33 PM2020-01-06T19:33:28+5:302020-01-06T19:33:28+5:30
JNU हिंसाः जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा में घायल हुई जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष को सोमवार को यहां एम्स से छुट्टी दे दी गई। रविवार को परिसर में हुई हिंसा में घोष को सिर में चोट लगी थी। जेएनयूएसयू ने आरोप लगाया कि आरएसएस से जुड़े एबीवीपी के सदस्यों ने उनपर पत्थर और छड़ से हमला किया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हुई हिंसा के लिए सोशल मीडिया पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस हिंसा में छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत कई छात्र घायल हुए हैं। वहीं, खुद आइशी घोष ने दावा किया है कि आरएसएस और एबीवीपी के गुडों ने हमला किया है।
फेसबुक पर आनंद मंगनाले नाम के पेज से दावा किया गया है कि इस घटना में दक्षिणपंथियों का हाथ। इस दौरान यूजर ने वॉट्सऐप चैट व ग्रुप के कई नंबर शेयर किए हैं। यूजर ने दावा किया है कि उसने जानकारी प्राप्त करने के लिए दक्षिणपंथी समूह को भड़काया और राइट विंग के गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उनके कुछ वॉट्सऐप ग्रुप्स को ज्वॉइन कर लिया। वह 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' ग्रुप में भी शामिल हो गया, ताकि राइट विंग पर नजर रखी जा सके।
उसने वॉट्सऐप का चैट फेसबुक पर शेयर करते हुए कहा, 'मैंने लिखा 'वीसी अपना है' (जोकि एक तथ्य है कि वीसी ABVP का ही है), जब शुरू में पुलिस को कैंपस के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी, मेन गेट पर क्या करना है, लोगों तक पहुँचने के लिए वे क्या कर रहे हैं और किस योजना से और किस तरफ से आ रहे हैं तथा उन लोगों को भी चेतावनी दी जो विरोध करने के लिए मुख्य दरवाजे के बाहर आ रहे थे।
उसने कहा कि यह उन गुंडों के बारे में अधिक जानकारी मिली जो वहां उपस्थित थे। छात्रों को चेतावनी देने के लिए योजना बनाने के लिए सवाल पूछ रहे थे। उन्होंने फिर कुछ और लोगों को जोड़ा और फिर गाली देना शुरू कर दिया। इसके बाद फिर उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल सभी नए लोगों को हटा दिया और आखिरकार, उन्होंने पता लगने पर मुझे भी ग्रुप से रिमूव कर दिया।
उसने दावा किया है कि अब उसके चैट के स्क्रीनशॉट शेयर किए जा रहे है और सपोर्ट किया जा रहा है। उसे मैसेज किए जा रहे हैं और पूछा जा रहा है कि कैसे पीटा लेफ्टिस्ट को, कहां हो, हम पचास लोग आ रहे हैं। उसे एबीवीपी का समझा जा रहा है।