वरुण गांधी ने जेएनयू कुलपति की नियुक्ति को औसत बताया, व्याकरण की गलतियों से भरे पत्र को 'निरक्षरता की प्रदर्शनी' करार दिया
By विशाल कुमार | Published: February 8, 2022 12:46 PM2022-02-08T12:46:53+5:302022-02-08T12:58:04+5:30
वरुण गांधी ने पंडित द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्री को धन्यवाद देने वाले पत्र को साझा करते हुए कहा कि नई जेएनयू कुलपति द्वारा जारी यह प्रेस विज्ञप्ति निरक्षरता का प्रदर्शन करता है और व्याकरण की गलतियों से भरा पड़ा है।
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) की पहली महिला कुलपति प्रो. शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित के अंग्रेजी में लिखे गए एक पत्र में अनेक व्याकरण की गलतियां दिखाते हुए भाजपा सांसद वरुण गांधी ने उनकी नियुक्ति को औसत दर्जे का करार दिया।
वरुण गांधी ने पंडित द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिक्षा मंत्री को धन्यवाद देने वाले पत्र को साझा करते हुए कहा कि नई जेएनयू कुलपति द्वारा जारी यह प्रेस विज्ञप्ति निरक्षरता का प्रदर्शन करता है और व्याकरण की गलतियों से भरा पड़ा है।
This press release from the new JNU VC is an exhibition of illiteracy,littered with grammatical mistakes (would strive vs will strive;students friendly vs student-friendly;excellences vs excellence).Such mediocre appointments serve to damage our human capital & our youth’s future pic.twitter.com/tSanmy3VfR
— Varun Gandhi (@varungandhi80) February 8, 2022
उन्होंने आगे लिखा कि इस तरह की साधारण नियुक्तियां हमारी मानव पूंजी और हमारे युवाओं के भविष्य को नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं। इस दौरान उन्होंने पत्र में मौजूद अंग्रेजी की कई व्याकरण की गलतियों का भी उल्लेख किया।
गांधी के साथ ही कई सोशल मीडिया यूजरों ने पंडित के पत्र में व्याकरण की गलतियों की ओर ध्यान दिलाया। यूजरों ने उनकी नियुक्ति की आलोचना की।
बता दें कि, बीते सोमवार को सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी में राजनीति एवं लोक प्रशासन विभाग की प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित को जेएनयू का नया कुलपति नियुक्त किया गया। जेएनयू की स्थापना के बाद से वह पहली महिला कुलपति हैं।
उनकी नियुक्ति के तत्काल बाद ही उनके नाम के एक अपुष्ट ट्विटर हैंडल से किए गए विवादित ट्वीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
उन ट्वीट्स में जामिया मिलिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को सांप्रदायिक कैंपस बताया गया था, भारतीय ईसाइयों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल की गई थी और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं को मानसिक तौर पर बीमार जिहादी बताया गया था। विवाद को बढ़ते देख उस ट्विटर हैंडल को ही डिलीट कर दिया गया।