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झारखंड: महिला ने हार्डकोर नक्सली और दो लाख के इनामी सबजोनल कमांडर बसंत गोप को टांगी से हमला कर उतारा मौत के घाट

By एस पी सिन्हा | Updated: May 7, 2020 16:55 IST

कमांडर को घायल देख अन्य उग्रवादी डर गये. इसके बाद घायल कमांडर को साथ लेकर भाग गये. लेकिन रास्ते में बसंत की मौत हो गई.

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ठळक मुद्देउग्रवादी आवाज देकर विनीता उरांव के पति भीम उरांव व परिवार के सभी सदस्यों को घर से निकलने के लिए कह रहे थे.  जब घर का दरवाजा नहीं खुला, तो उग्रवादी दरवाजा तोड़कर अंदर घुस गये.

रांची:झारखंड के गुमला में एक आदिवासी बेटी विनीता उरांव की हिम्मत की आज सर्वत्र चर्चा हो रही है. दरअसल उसने साहस कर पूरे परिवार की जान बचा ली. घर पर हमले के दौरान वह अकेले टांगी लेकर पीएलएफआइ उग्रवादियों से भिड गई. पीएलएफआई के हार्डकोर नक्सली और दो लाख के इनामी पीएलएफआई के सबजोनल कमांडर बसंत गोप को टांगी से प्रहार कर विनीता उरांव ने मार डाला. बसंत गोप पिछले करीब एक दशक से गुमला में आतंक का पर्याय बना हुआ था. ऐसे में विनीता उरांव की बहादुरी की ग्रामीण सराहना कर रहे हैं. पुलिस ने बसंत का शव बरामद कर लिया है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार गोली चलाते हुए दरवाजा तोड़कर घर में घुसे पीएलएफआइ के एरिया कमांडर बसंत गोप को सबसे पहले विनीता ने टांगी से काट डाला. कमांडर को घायल देख अन्य उग्रवादी डर गये. इसके बाद घायल कमांडर को साथ लेकर भाग गये. लेकिन रास्ते में बसंत की मौत हो गई. बुधवार को वृंदा जंगल से बसंत का शव मिला. मामला गुमला सदर थाना से 10 किमी दूर वृंदा नायक टोली गांव का है. 

बताया जाता है कि पीएलएफआइ के पांच-छह उग्रवादियों ने वृंदा नायक टोली गांव के भीम उरांव के घर पर मंगलवार की रात हमला कर दिया था. घर की दीवारों पर गोलियां चलाई. अंधाधुंध हवाई फायरिंग की. उग्रवादी आवाज देकर विनीता उरांव के पति भीम उरांव व परिवार के सभी सदस्यों को घर से निकलने के लिए कह रहे थे. 

लेकिन जब घर का दरवाजा नहीं खुला, तो उग्रवादी दरवाजा तोड़कर अंदर घुस गये. एरिया कमांडर बसंत गोप सबसे पहले घुसा तभी कोने में छिपी विनीता ने टांगी से उग्रवादी बसंत गोप पर हमला कर दिया. घायल बसंत चिल्लाने लगा. विनीता का रौद्र रूप देख सभी उग्रवादी बसंत को लेकर भाग गये. 

बताया जाता है कि बुधवार को छापामारी के दौरान बसंत गोप का शव जंगल से मिला. शव लकडी में बंधा हुआ है. आशंका जताई जा रही है कि घायल बसंत को उसके साथी लकडी में बांधकर कंधे में टांगकर भाग रहे थे. लेकिन जंगल में उसकी मौत हो गई. उसकी छाती पर चोट लगी है. घर में भीम उरांव, पत्नी विनीता उरांव, भाई पीयूष टोप्पो, वृद्ध मां व दो बच्चे हैं. दो साल पहले भीम उरांव के पिता शनिचरवा उरांव की पीएलएफआइ उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी. 

स्व. शनिचरवा गांव में जलछाजन का काम कराते थे. 50 हजार लेवी मांगी गई थी. उनकी लेवी नहीं देने पर हत्या की गई थी. इसके पहले भी छह बार उग्रवादियों ने उसके घर पर हमाला किया था. इसके बाद से परिवार के सभी छह सदस्य रांची पलायन कर गये थे. रांची में रहकर मजदूरी करते थे. लेकिन लॉकडाउन को देखते हुए वे लोग 24 मार्च को अपने गांव आ गये थे. भीम ने कहा कि पीएलएफआइ कमांडर बसंत गोप सहित पांच-छह अन्य उग्रवादी थे, जिन्होंने घर पर हमला किया था. अब तक छह बार नक्सलियों ने हमारे परिवार पर हमला किया है. मेरी पत्नी विनीता की हिम्मत के कारण हम लोगों की जान बची है

वहीं, विनीता उरांव ने कहा कि जब उग्रवादी गोलीबारी करने लगे और पिता को बाहर बुलाने लगे, तो शुरू में मैं डर गई. एक बार लगा कि अब उग्रवादी हम सभी को मार देंगे. इस डर के बीच मैं टांगी लेकर घर के दरवाजे के पास छिप गई. जैसे ही उग्रवादी दरवाजा तोड कर अंदर घुसे, मैंने हमला कर दिया. अंधेरा था. टांगी की वार से उग्रवादी दरवाजे के पास गिर गया. मैंने उग्रवादी पर चार-पांच बार टांगी से वार किया. इसके बाद उग्रवादी डरकर अपने घायल साथी को घसीटते हुए लेकर भाग निकले. घटना के बाद पुलिस गांव में कैंप कर रही है. वहीं इस घटना के बाद से वृंदा नायक टोली और इसके आसपास के ग्रामीणों में खुशी की लहर है.

 

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