झारखंड: पुलिस पर आरोप- नक्सलियों संग सांठ-गांठ कर अफीम की खेती की तैयारी, 6.37 अरब के कारोबार का अनुमान

By एस पी सिन्हा | Published: August 17, 2019 03:11 PM2019-08-17T15:11:16+5:302019-08-17T15:11:16+5:30

जानकारों की अगर मानें तो पुलिस, वनकर्मी, नक्सली-उग्रवादी, दबंगों व कुछ किसानों की सांठ-गांठ से इस वर्ष करीब 6.37 अरब (स्थानीय दर) की अफीम का कारोबार होने का अनुमान लगाया जा रहा है. 

Jharkhand: Police allegedly cultivate opium with Naxalites, Business worth Rs 6.37 billion Expected | झारखंड: पुलिस पर आरोप- नक्सलियों संग सांठ-गांठ कर अफीम की खेती की तैयारी, 6.37 अरब के कारोबार का अनुमान

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

झारखंड में अफीम के तस्करों ने इस वर्ष सूबे के 10 जिलों में लगभग 2450 एकड़ जमीन पर खेती की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कई इलाकों में उग्रवादी संगठन के लोगों ने भी अफीम की खेती की तैयारी की है. बता दें कि वर्ष 2004-05 में चतरा से शुरू हुई अफीम की खेती अब राज्य के 10 जिलों में होने लगी है. 

जानकारों की अगर मानें तो पुलिस, वनकर्मी, नक्सली-उग्रवादी, दबंगों व कुछ किसानों की सांठ-गांठ से इस वर्ष करीब 6.37 अरब (स्थानीय दर) की अफीम का कारोबार होने का अनुमान लगाया जा रहा है. 

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस व वन विभाग के अधिकारियों (सभी नहीं) के बीच प्रति एकड़ करीब 1.50 लाख बांटे जाते हैं. इस तरह इस वर्ष करीब 36 करोड़ मिलेंगे. करीब इतने ही रुपये नक्सलियों व उग्रवादियों के हिस्से में लेवी के रूप में आयेंगे. बताया जा रहा है कि अफीम की खेती के लिए किसानों व तस्करों ने गैर मजरूआ जमीन, वन भूमि और निजी जमीन को चिह्नित कर लिया है. इस साल तस्करों ने जिलावार अलग से कुछ एकड़ में खेती करने की योजना बनाई है ताकि इसे पुलिस कार्रवाई के नाम पर नष्ट किया जाये व इसकी आड़ में बड़े पैमाने पर सुरक्षित तरीके से खेती की जा सके. सूत्रों की अगर मानें तो अक्तूबर से फरवरी के बीच होनेवाले इस धंधे के लिए अभी से उत्तर प्रदेश व बंगाल के एजेंट जिलों में घूमने लगे हैं. 

सूत्र बताते हैं कि जमीन के लिए पैसे देने, पुलिस व वनकर्मियों को सेट करने के अलावा धंधे में शामिल होने के लिए बेरोजगारों की सूची भी बनने लगी है. पोस्ता के पौधे व डोडा की पिसाई के लिए आटा चक्की भी तय करने की प्रक्रिया जारी है. कुछ इलाकों में खेती का जिम्मा उस क्षेत्र के उग्रवादियों ने भी ले लिया है तो कुछ इलाकों में उनका कमीशन तय हो रहा है. वन क्षेत्र में जेसीबी से सफाई का काम भी जारी है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, पोस्ता की खेती से अफीम, डोडा व डंठल का डस्ट और पोस्ता दाना का उत्पादन होता है. प्रति एकड़ पोस्ते की खेती से लगभग 40 किलो अफीम का उत्पादन होता है. स्थानीय बाजार में इसका मूल्य करीब 40 हजार रुपये प्रति किलो की दर से 16 लाख होता है. जबकि बाहर के बाजार में 40 किलो अफीम का मूल्य करीब 40 लाख रुपये हो जाते हैं. पोस्ता के पौधे व डोडा का डस्ट (एक एकड़ में करीब 100 किलो) का स्थानीय बाजार में मूल्य करीब 4000 रुपये प्रति किलो की दर से करीब चार लाख रुपये होते हैं.

बाहर के बाजार में इसकी कीमत करीब छह लाख हो जाती है. एक एकड़ भूमि पर करीब 300 किलो पोस्ता दाना निकलता है. स्थानीय बाजार में इसका मूल्य 300 रुपये किलो है. जबकि बाहर के बाजार में करीब 450 रुपये किलो. इस तरह एक एकड़ अफीम की खेती करनेवाले को स्थानीय बाजार में करीब 26 लाख रुपये की आय (कुछ इलाकों में एकड़ का माप कम होने पर आय घटती है) होती है.
 
जानकारों की अगर मानें तो तस्कर इसे बाहर के बाजार में करीब 47 लाख से अधिक में बेचते हैं. एक एकड़ जमीन पर अफीम की खेती करने में करीब छह लाख रुपये का खर्च आता है. इसमें प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन मालिक को करीब 2.50 लाख रुपये (वैसे जमीन मालिक को जिनकी अपनी जमीन होती है और जो कमाई में हिस्सा नहीं लेते), वन विभाग व पुलिस को करीब 1.50 लाख, नक्सलियों-उग्रवादियों को करीब एक लाख, मजदूरों को करीब 50 हजार, पोस्ता का बीज, जमीन तैयार करने, खाद, पटवन आदि पर करीब 50 हजार रुपये का खर्च आता है. इस तरह अफीम की खेती करने वाले को प्रति एकड़ करीब 20 लाख रुपये की कमाई होती है. जबकि तस्करों (जहां खेती होती है, वहां से माल खरीद कर बाहर के बाजार में बेचने वाला) को करीब 21 लाख रुपये की कमाई होती है. 
 
प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखंड के चतरा, लातेहार, खूंटी, मेदिनीनगर, साहेबगंज, दुमका, पाकुड, जामताडा, रामगढ़, गुमला और फरक्का से सटे बंगाल का इलाके इसके लिए मुफीद माने जा रहे हैं. इन जिलों के विभिन्न प्रखंडों खासकर जंगली इलाकों में इसकी खेती की जाती है. इसकी तैयारी अभी से हीं शुरू कर दी गई है.

Web Title: Jharkhand: Police allegedly cultivate opium with Naxalites, Business worth Rs 6.37 billion Expected

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