झारखंड: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा लीज आवंटन मामले में झाखंड हाईकोर्ट ने की सुनवाई, बहस 1 जून को होगी
By एस पी सिन्हा | Published: May 24, 2022 04:54 PM2022-05-24T16:54:38+5:302022-05-24T16:54:38+5:30
झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने आज झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनन पट्टा लीज आवंटन मामले में सुनवाई की। खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कपिल सिबल, हेमंत सोरेन की ओर से मुकुल रोहतगी व अधिवक्ता अमृतांश वत्स तथा ईडी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता की दलील दी।
रांची: झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने आज झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनन पट्टा लीज आवंटन मामले में सुनवाई की। इस दौरान मुख्यमंत्री के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश मामले में भी खंडपीठ ने सुनवाई की।
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद खंडपीठ ने पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए एक जून की तारीख तय की। खंडपीठ ने 31 मई तक जवाब या जवाब पर प्रतिउत्तर दायर करने का वक्त दिया है।
खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिबल, हेमंत सोरेन की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी व अधिवक्ता अमृतांश वत्स तथा ईडी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता की दलील सुनने के बाद पीआईएल की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई के लिए एक जून की तारीख तय की।
खंडपीठ ने कहा कि 31 मई तक जिस किसी पार्टी को जवाब दायर करना हो या जवाब पर प्रतिउत्तर दायर करना हो, वह दायर कर दें। इसके बाद कोर्ट समय नहीं देगा।
उधर, इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर राज्य सरकार की एसएलपी पर आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई। करीब एक घंटा सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की एसएलपी पर सुनवाई के बाद झारखंड हाईकोर्ट को लंबित जनहित याचिकाओं की मेंटेनेबिलिटी पर सुनवाई करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि झारखंड हाई कोर्ट को पहले इस मामले में याचिका की वैधता पर सुनवाई करनी चाहिए। उसके बाद आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि झारखंड सरकार की ओर से बार-बार याचिका को राजनीति से प्रेरित बताते हुए आपत्ति जताई जा रही है।
कहा जा रहा है कि प्रार्थी का क्रेडेंशियल याचिका में बताया नहीं गया है। झारखंड सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि इस मामले में कोर्ट ने जनहित याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किया है, उससे पहले ही ईडी सीलबंद रिपोर्ट दाखिल कर रही है, जो सही नहीं है।
यहां बता दें कि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर कर झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
जिसमें कहा गया है कि प्रतिवादी शिवशंकर शर्मा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों की शेल कंपनियों में निवेश व अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर आवंटित माइनिंग लीज की जांच सीबीआई व ईडी से कराने की मांग को लेकर झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसे अदालत ने अभी इसे स्वीकार नहीं किया है।
इसके बावजूद ईडी सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल कर रही है। उसकी प्रति पीड़ित पक्ष को भी नहीं दी जा रही है। सरकार ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को निरस्त करने की मांग की है।