खनन पट्टों की लीज मामले में झारखंड सरकार ने सीएम सोरेन को बचाने के लिए ली SC की शरण, जानें पूरा मामला

By एस पी सिन्हा | Published: May 19, 2022 04:50 PM2022-05-19T16:50:07+5:302022-05-19T16:51:45+5:30

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने की जानकारी झारखंड हाईकोर्ट को दी.

Jharkhand government took refuge in Supreme Court to save Chief Minister Hemant Soren in cases like lease of mining leases | खनन पट्टों की लीज मामले में झारखंड सरकार ने सीएम सोरेन को बचाने के लिए ली SC की शरण, जानें पूरा मामला

खनन पट्टों की लीज मामले में झारखंड सरकार ने सीएम सोरेन को बचाने के लिए ली SC की शरण, जानें पूरा मामला

Highlightsप्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है.मुख्यमंत्री के करीबियों पर शेल कंपनियों में बड़ी पैमाने पर निवेश का आरोप लगाते हुए ईडी से जांच की मांग की है.

रांची: झारखंड हाईकोर्ट में आज खनन पट्टों की लीज, शेल कंपनियों में निवेश और मनरेगा घोटाले से जुड़े मामले में अहम सुनवाई हुई. लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बचाने के लिए झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है. ऐसे में खनन पट्टों की मंजूरी पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ सीबीआई और ईडी की जांच से जुडी याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. आज इस मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में होनी थी, लेकिन राज्य सरकार के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का आधार बनाते हुए अदालत से अगली तिथि मांग ली.

रांची के अनगडा में खनन पट्टों की लीज के लिए 88 डिसमिल जमीन हेमंत सोरेन को आवंटित करने के मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन व न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई हुई. प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है. मुख्यमंत्री के करीबियों पर शेल कंपनियों में बड़ी पैमाने पर निवेश का आरोप लगाते हुए ईडी से जांच की मांग की है. वहीं, सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता के क्रेडेंशियल का मामला फिर उठाया. 

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने की जानकारी झारखंड हाईकोर्ट को दी. पिछली सुनवाई में ईडी की ओर से वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता ने मनरेगा मामले में 16 प्राथमिकी दर्ज करने की जानकारी देते हुए शेल कंपनियों से इसका संबंध बताया था और इसी के आधार पर सीबीआई जांच की मांग की थी, ‌जिसको लेकर राज्य सरकार ने खनन पट्टों की लीज और फिर शेल कंपनियों से जुड़े मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है. जबकि मनरेगा से जुड़े मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में ही होगी.

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर अपने नाम से खनन पट्टा लेने का आरोप है. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले को उजागर किया था. इसके बाद मामला राज्यपाल रमेश बैसे से होते हुए चुनाव आयोग तक पहुंच गया. आयोग ने मुख्यमंत्री को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. इसके बाद मुख्यमंत्री ने अपनी बीमार मां का हवाला देते हुए एक माह का समय मांगा. आयोग ने एक माह की जगह दस दिनों का समय दिया. अभी तक हेमंत सोरेन ने अपना जवाब आयोग को नहीं भेजा है. संभावना जताई जा रही कि चंद रोज के भीतर मुख्यमंत्री अपना जवाब भेज देंगे. उसके बाद चुनाव आयोग अपना फैसला सुनाएगा.

वहीं, ईडी ने पिछली सुनवाई में झारखंड हाईकोर्ट में एक सीलबंद रिपोर्ट सौंपी थी, राज्य सरकार की ओर से यह रिपोर्ट मांगी गई, लेकिन अदालत ने इनकार कर दिया. इसे ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसी बीच कोर्ट में ईडी ने कह दिया कि उसे अहम जानकारी हाथ लगी है. इसके बाद अदालत ने तमाम अहम जानकारियां सीलबंद लिफाफे में तलब कर ली. 

ईडी के इस कदम से हेमंत सोरेन की मुश्किलें और बढ गई हैं. लेकिन अभी तक यह खुलासा नहीं हुआ है कि इसमें किन किन लोगों का नाम है. अदालत ने इसे गोपनीय रखा है. इस बीच हेमंत सोरेन के बचाव में मुकदमा लड़ रहे कपिल सिब्बल ने अदालत से ईडी द्वारा सिपुर्द जानकारियां जानने की इच्छा जताई, लेकिन अदालत ने उन्हें यह मौका नहीं दिया. साफ तौर पर जानकारियां देने से मना कर दिया.

बता दें कि आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के मामले की जांच कर रहे ईडी को पूछताछ में जो जानकारी मिली है, उससे राज्‍य के शीर्ष नेतृत्‍व पर उंगली उठ रही है. राज्य में अवैध खनन के जरिए करोड़ो के कारोबार के खुलासे के बाद अब नया तथ्य सामने आया है. ईडी सूत्रों की मानें तो दुमका के डीएमओ कृष्णचंद्र किस्कू और पाकुड के डीएमओ प्रदीप कुमार साह ने पूछताछ में बताया है कि संताल में अवैध खनन के कारोबार पर पंकज मिश्रा का पूर्ण नियंत्रण है. पंकज ने अपने व रिश्तेदारों के नाम पर साहिबगंज में खनन पट्टा लिया है. पंकज मिश्रा मुख्यमंत्री के बरहेट विधायक प्रतिनिधि हैं.

वहीं, मुख्यमंत्री तथा उनके प्रेस सलाहकार के नाम खनन लीज आवंटन से संबंधित रिपोर्ट झारखंड के प्रधान महालेखाकार ने सीएजी को भेज दी है. सीएजी ने इससे संबंधित पूरी रिपोर्ट मांगी थी. जांच में यह बात सामने आई है कि संताल के जिलों से बांग्लादेश तक स्टोन चिप्स की तस्करी होती थी. बगैर परिवहन चालान भी चिप्स बांग्लादेश तक भेजे गए थे. ईडी को जानकारी मिली है कि बोल्डर भेजने की बजाय स्टोन चिप्स बांग्लादेश भेजे जाते थे. इस मामले में न सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग बल्कि रॉयल्टी के नुकसान का भी मामला सामने आया है. अब रेलवे से ट्रांसपोर्टिंग करने वाली तीन कंपनियां भी रडार पर हैं.

Web Title: Jharkhand government took refuge in Supreme Court to save Chief Minister Hemant Soren in cases like lease of mining leases

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