झारखंड चुनाव: बीजेपी नहीं दोहराएगी हरियाणा, महाराष्ट्र की 'गलतियां', कट सकते हैं कई दिग्गजों के टिकट

By अभिषेक पाण्डेय | Published: November 3, 2019 09:13 AM2019-11-03T09:13:27+5:302019-11-03T09:13:27+5:30

Jharkhand Assembly polls 2019: झारखंड विधानसभा चुनावों में बीजेपी महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों की गलतियां दोहराने से बचेगी

Jharkhand Assembly polls 2019: BJP not to repeat mistakes of Maharashtra, Haryana in tickets and campaigning | झारखंड चुनाव: बीजेपी नहीं दोहराएगी हरियाणा, महाराष्ट्र की 'गलतियां', कट सकते हैं कई दिग्गजों के टिकट

रघुवर दास पांच साल का कार्यकाल पूरे करने वाले झारखंड के पहले मुख्यमंत्री हैं

Highlightsबीजेपी झारखंड विधानसभा चुनावों में कई बड़े नेताओं के टिकट काट सकती है बीजेपी इन चुनावों में आर्टिकल 370 जैसे मुद्दों के बजाय स्थानय मुद्दों पर देगी जोर

झारखंड विधासभा चुनावों के लिए तारीखों का ऐलान होते ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुट गई है। झारखंड में 30 से 20 दिसंबर तक पांच चरणों में चुनाव होना है, नतीजे 23 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। 

माना जा रहा है कि हाल ही में आए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए बीजेपी झारखंड में टिकट वितरण में सख्ती बरतने जा रही है और यहां अच्छा प्रदर्शन न करने वाले मंत्रियों और विधायकों के टिकट कटेंगे। साथ ही टिकट बंटवारे में किसी भी बड़े नेता की सिफारिश नहीं चलेगी और इस पर पार्टी आलाकमान का फैसला आखिरी होगा। 

रघुवर दास 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले झारखंड के पहले सीएम

रघुवर दास की अगुवाई में बीजेपी ने झारखंड में पांच साल सरकार चलाते हुए नया इतिहास रचा है। राज्य के गठन के बाद से रघुवर दास पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले मुख्यमंत्री है। अपने गठन के बाद से 14 साल में 9 मुख्यमंत्री देख चुके झारखंड के लिए रघुवर दास ने स्थिर सरकार का सपना सच कर दिखाया।  

बीजेपी के सामने गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री पर दांव लगाने की चुनौती

साथ ही वह राज्य के सीएम बनने वाले पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री भी हैं। लेकिन अब बीजेपी के लिए ये फॉर्मूला मुश्किल का सबब बन सकता है। 

दरअसल, झारखंड में 26 फीसदी आबादी आदिवासियों की हैं, ऐसे में भले ही बीजेपी के लिए पिछले पांच सालों में गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री का फॉर्मूला सफल रहा हो लेकिन इन चुनावों में भी गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री पर दांव लगाना आसान नहीं होगा। खासतौर पर हरियाणा जाट और महाराष्ट्र में मराठा मुद्दों पर दांव लगाने के बावजूद बीजेपी को आशातीत सफलता न मिलने से झारखंड में भी गैर-आदिवासी सीएम पर दांव लगाने उसके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। 

झारखंड चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों के बजाय स्थानीय मुद्दों पर जोर

माना जा रहा है कि बीजेपी झारखंड चुनावों में स्थानीय मुद्दों पर जोर देगी। वह चुनाव प्रचार में नक्सलवाद पर अंकुश, स्थिरता, विकास और बीजेपी सरकार के कामों को लेकर जनता के सामने आएगी। आर्टिकल 370 जैसे राष्ट्रीय मुद्दों का इस्तेमाल वह शहरों तक ही सीमित रखेगी। इसकी वजह महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में आर्टिकल 370 जैसे मुद्दों पर आक्रामक प्रचार के बावजूद पार्टी का उम्मीद के अनुरूप कामयाबी न मिलना है। 

बीजेपी के लिए झारखंड की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि 2014 में मोदी लहर के बावजूद वह राज्य में 81 सीटों में से 37 ही जीत सकी थी और बहुतम से 5 सीटें दूर रह गई थीं। इसी को देखते हुए पार्टी टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार तक में कोई कसर छोड़ने के मूड में नहीं है।

Web Title: Jharkhand Assembly polls 2019: BJP not to repeat mistakes of Maharashtra, Haryana in tickets and campaigning

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