CAB पर प्रशांत किशोर ने फिर उठाये सवाल, कहा- भारत की आत्मा को बचाने का जिम्मा अब 16 गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर
By विनीत कुमार | Published: December 13, 2019 10:44 AM2019-12-13T10:44:34+5:302019-12-13T10:50:44+5:30
प्रशांत किशोर ने कहा कि तीन राज्यों ने साफ कर दिया है वे CAB को अपने यहां लागू नहीं करेंगे, लेकिन अब बाकी राज्यों के लिए भी अपना स्टैंड लेने का समय है।
जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने एक बार फिर संसद के दोनों सदनों में पास हो चुके और अब राष्ट्रपति से भी मिल चुके नागरिक संशोधन विधेयक (सीएबी) को लेकर पार्टी लाइन से अलग जाकर बड़ी बात कही है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि संसद में बहुमत प्रबल रहा लेकिन अब न्यायपालिका से आगे भारत की आत्मा को बचाने का जिम्मा 16 गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर है जिन्हें इसे अपने राज्य में लागू करना है।
प्रशांत किशोर ने साथ ही कहा कि तीन राज्यों ने साफ कर दिया है वे इसे अपने यहां लागू नहीं करेंगे, लेकिन अब बाकी राज्यों के लिए भी अपना स्टैंड लेने का समय है। प्रशांत किशोर ने इससे पहले इसी हफ्ते लोकसभा में सीएबी बिल पास होने पर अपनी नाराजगी जाताई थी। हालांकि, लोकसभा और फिर राज्य सभा, दोनों ही सदनों में जेडीयू सासंदों ने इस विधेयक का समर्थन किया।
प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को ट्वीट किया, 'संसद में बहुमत प्रबल रहा। अब न्यायपालिका से आगे 16 गैर बीजेपी मुख्यमंत्रियों पर भारत की आत्मा बचाने का जिम्मा है क्योंकि ये वो राज्य हैं जिन्हें अपने यहां इसे लागू करना है। तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने सीएबी और एनआरसी को 'न' कह दिया है। अब दूसरे लोगों के लिए अपना स्टैंड साफ करने का समय है।'
प्रशांत किशोर ने इससे पहले बुधवार को भी ट्वीट में कहा, 'कैब का समर्थन करते हुए, जद(यू) नेतृत्व को एक पल के वास्ते उन सभी के बारे में विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2015 में उनमें आस्था और विश्वास को दोहराया था।'
हालांकि, तब नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी और मंत्रिमंडल में शामिल संजय झा ने कहा, 'पार्टी का आधिकारिक लाइन स्पष्ट है और यह संसद के जारी सत्र में सभी के लिए है। एक या दो नेता व्यक्तिगत राय व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन इस तरह के मामलों को इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर विभाजन के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।’
बता दें कि प्रशांत किशोर समेत जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव पवन के वर्मा ने भी खुले तौर पर जेडीयू के लोकसभा में विधेयक के पक्ष में मतदान करने पर निराशा व्यक्त करते हुए नीतीश से इसपर राज्य सभा में कानून पर बहस के दौरान फिर से विचार करने का आग्रह किया था। हालांकि, जेडीयू ने एक बार फिर राज्य सभा में भी इस बिल का समर्थन किया।