आम चुनाव 2019 के लिए दक्षिण में कांग्रेस नीत महागठबंधन का झंडा बुलंद करेगा जनता दल (सेकुलर)
By संतोष ठाकुर | Published: November 7, 2018 12:16 PM2018-11-07T12:16:32+5:302018-11-07T12:16:32+5:30
कांग्रेस भी जेडीएस की इस पहल से खासी उत्साहित है। उसकी खुशी के कई कारण हैं। सबसे पहली वजह यह है कि इससे उन अफवाहों पर विराम लगेगी, जिसमें कहा जा रहा था कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में ठीक नहीं चल रहा है।
आम चुनाव 2019 के लिए कांग्रेस को दक्षिण भारत में एक और मजबूत सहयोगी मिल गया है। जेडीएस ने स्पष्ट शब्दों में महागठबंधन और इसके नेता के तौर पर कांग्रेस की पुरजोर वकालत करते हुए कहा है कि वह राष्ट्रव्यापी दल है। ऐसे में निश्चित तौर पर नेतृत्व उसका ही बनता है। इसके लिए जेडीएस ने दक्षिणी राज्यों में अन्य विपक्षी दलों से भी बात करने का इरादा व्यक्त किया है।
जेडीएस के इस खुले समर्थन से न केवल कांग्रेस को संबल मिला है, बल्कि इससे भाजपा की भी मुश्किल कुछ बढ़ती दिख रही है। इसकी वजह यह है कि अगर जेडीएस दक्षिण के छोटे दलों से महागठबंधन के लिए बात करता है तो इसका विपरीत असर यह हो सकता है कि भाजपा को पहले से कठिन लग रहे दक्षिण में नया साथी तलाश करने की दिशा में समस्या हो सकती है।
जेडीएस के इस खुले समर्थन पर चर्चा करते हुए भाजपा सरकार के एक मंत्री ने कहा कि इसका कितना असर होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन निश्चित तौर पर इसकी वजह से हमें दक्षिण भारत में नए साथियों की तलाश में कुछ समस्या सामने आ सकती है। इसकी वजह यह है कि जेडीएस कर्नाटक में सरकार में है। ऐसे में स्थानीय सरकार में होने का उसे कुछ लाभ मिल सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशाल व्यक्तित्व के सामने जेडीएस कितना प्रभाव छोड़ सकता है यह देखना होगा।
इस मंत्री ने कहा कि राज्य और केंद्र के चुनाव में अंतर होता है।कर्नाटक में भी देश ने देखा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार शुरू किया तो किस तरह से भाजपा की सीटों में इजाफा हुआ था। वहीं, 2019 में तो स्वयं नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट डाले जाएंगे।
जेडीएस की पहल से कांग्रेस उत्साहित
कांग्रेस भी जेडीएस की इस पहल से खासी उत्साहित है। उसकी खुशी के कई कारण हैं। सबसे पहली वजह यह है कि इससे उन अफवाहों पर विराम लगेगी, जिसमें कहा जा रहा था कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में ठीक नहीं चल रहा है। इसमें कभी भी दरार आ सकती है। खासकर यह राहत ऐसे समय में मिल रही है जब 2019 के आम चुनाव के लिए महागठबंधन के लिए प्रयास तेज हो रहे हैं और इसके नेता को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। दूसरा, कांग्रेस को दक्षिण में सहयोगी दलों की तलाश में बहुत अधिक मेहनत नहीं करनी होगी।