जम्मू-कश्मीर जिला परिषद चुनावः गुपकार अलायंस से भाजपा परेशान, विरोधी दलों के उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर किया जा रहा ‘बंद’
By सुरेश एस डुग्गर | Published: November 23, 2020 12:40 PM2020-11-23T12:40:47+5:302020-11-23T12:42:39+5:30
कश्मीर में सात दलों से बने गुपकार अलायंस के उम्मीदवारों के जिला परिषद के चुनावों में मैदान उतरने के कारण भाजपा की परेशानी बढ़ चुकी है। उसकी परेशानी का आलम यह है कि वह इन चुनावों में प्रचार के लिए भी स्टार प्रचारकों तथा केंद्रीय आलाकमान से बुलाए जाने वाले नेताओं का सहारा ले रही है।
जम्मूः जिला परिषद के चुनावों में जिस प्रकार का चुनाव प्रचार कश्मीर में हो रहा है आपने शायद कभी देखा नहीं होगा। सिर्फ विरोधी दलों के उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर ‘बंद’ किया जा चुका है और कइयों को प्रतिदिन कथित तौर पर सुबह से शाम तक संबंधित पुलिस थानों में आकर बैठने को कहा जा रहा है क्योंकि सरकारी तौर पर उनकी जान को खतरा बताया जा रहा है।
दरअसल कश्मीर में सात दलों से बने गुपकार अलायंस के उम्मीदवारों के जिला परिषद के चुनावों में मैदान उतरने के कारण भाजपा की परेशानी बढ़ चुकी है। उसकी परेशानी का आलम यह है कि वह इन चुनावों में प्रचार के लिए भी स्टार प्रचारकों तथा केंद्रीय आलाकमान से बुलाए जाने वाले नेताओं का सहारा ले रही है।
पर इसके साथ ही जो हथकंडे गुपकार अलायंस के उम्मीदवारों को रोकने के लिए अपनाए जा रहे हैं उस पर पूर्व मुख्यमंत्री और श्रीनगर से वर्तमान सांसद डा फारूक अब्दुल्ला व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अपना रोष प्रकट कर चुके हैं। डा अब्दुल्ला ने इस शनिवार को चुनाव आयोग को लिखे पत्र में इस पर हैरानगी जताई थी कि वे अपनी जिन्दगी में ऐसा पहली बार देख रहे हैं कि उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर चुनाव प्रचार करने से रोका जा रहा है।
ऐसे ही आरोपों से भरा एक पत्र मकापा नेता युसूफ तारीगामी ने भी उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को लिखा तो उनके पत्र लिखने के उपरांत उप राज्यपाल ने आश्वासन तो दिया निष्पक्ष चुनावों का पर जमीनी हकीकत फिलहाल नहीं बदल पाई है। हालत यह है कि विरोधी दलों के उम्मीदवार अब सिर्फ व्हाट्सएम ग्रुपों और आनलाइन प्रचार करने को ही मजबूर हो रहे हैं, वह भी 2जी की स्पीड पर।
चुनाव मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों की दुखद परिस्थिति यह है कि उन्हें सुरक्षा के नाम पर एक ही जगह ठूंसा जा रहा है और कइयों को तो अपनी अपनी पार्टी की बैठकों में शामिल होने से भी रोका जा रहा है। दरअसल पुलिस कहती है कि चुनाव मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों को व्यक्तिगत तौर पर सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती है।