जम्मू-कश्मीर, 18 जुलाई : कश्मीर के पहले आईएएस टॉपर शाह फैसल अपने एक बयान के कारण बीते कई दिनों से सुर्खियों में हैं। ऐसे में खबरों की मानें तो शाह फैसल और जेएनयू की छात्र नेता शेहला राशिद जल्द राजनीति में कदम रख सकती हैं। इन दिनों ये खबरों में है कि ये दोनों जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस में शामिल हो सकते हैं।
इस खबर को लेकर कयास तक तेज हुए जब वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने एक ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट करके लिखा है कि शाह फैसल और शेहला राशिद कश्मीर से अगला चुनाव लड़ सकते हैं। दोनों औपचारिक तौर पर उमर अब्दुल्ला और नेशनल कांफ्रेंस को ज्वाइन करने के बाद चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। मेरी व्यक्तिगत राय में जम्मू-कश्मीर में जितनी ज्यादा संख्या में नए और युवा चेहरे राजनीति में आएंगे वह उतना ही अच्छा रहेगा।फिर चाहे वह किसी भी पार्टी में शामिल क्यों न हों। इस ट्वीट के बाद से ये बात सुर्खियों में आ गई है। हांलाकि अभी पार्टी या फिर इन दोनों की तरफ से इसको लेकर कोई बात नहीं गई है।
शेहला राशिद जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। यूनिवर्सिटी कैंपस में हाल में हुए प्रदर्शन में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। शेहला खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। बता दें कि चुनाव लड़ने के लिए शाह फैसल को पहले अपने पद से इस्तीफा देना होगा। वहीं, शाह हाल ही में तब सुर्खियों में आए थे जब ‘रेपिस्तान’ का एक ट्वीट किया था। शाह ने देश में रेप की बढ़ती घटनाओं पर एक ट्वीट किया था जिस पर उनके ऊपर शिकंजा कस सकता है। दरअसल उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि ‘पैट्रिआर्की + पॉपुलेशन + इलिट्रेसी + अल्कोहल + पोर्न + टेक्नोलॉजी + एनार्की = रेपिस्तान।’ इस ट्वीट को केंद्र सरकार ने आईएएस अधिकारी के ऑल इंडिया सर्विसेज (कंडक्ट रूल्स), 1968 और ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिन एंड अपील) रूल्स, 1969 के खिलाफ माना है।
वहीं, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी की सरकार गिरने के बाद राज्यपाल शासन लागू है। जबकि अगले साल लोकसभा का भी चुनाव होना है, ऐसे में राज्य में राजनीति जमकर गरमाई हुई है। ऐसे में शाह फैसल और शेहला राशिद के नेशनल कांफ्रेंस में शामिल होने और चुनाव लड़ने की अटकलें सामने आने लगी हैं। जम्मू क्षेत्र में बीजेपी की लगातार मजबूत हो रही है तो शाह का मैदान में उतना यहां की राजनीति को एक नया मुकाम दे सकता है।